विश्व मानवाधिकार दिवस 2022 : भारतीय संसद से पारित मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम 1994 के अंतर्गत 16 अप्रैल 2001 को छत्तीसगढ़ राज्य में राज्य मानव अधिकार आयोग का गठन किया गया. तभी से छत्तीसगढ़ में मानव अधिकारों के संरक्षण और पीड़ित व्यक्तियों को न्याय दिलाने का काम किया जा रहा है.
छत्तीसगढ़ राज्य मानवाधिकार आयोग के गठन के बाद लगातार मानव अधिकार हनन से जुड़े मामले आते हैं. उनका निराकरण भी किया जा रहा है. 16 अप्रैल 2001 से लेकर अब तक आयोग में 60 हजार 197 मामले दर्ज हो चुके हैं. समय-समय पर मामलों का लगातार निराकरण किया जा रहा है. वर्तमान में 1073 मामले पेंडिंग हैं. बाकी सभी शिकायतों का निराकरण किया जा चुका है.World Human Rights Day 2022
किस तरह के मामले हैं ज्यादा : छत्तीसगढ़ राज्य मानव अधिकार आयोग से मिली जानकारी के अनुसार आयोग में सालाना 2500 से 3000 केस दर्ज होते है,जिनका समय समय पर निराकरण किया जाता है. छत्तीसगढ़ में ज्यादा तरह सामाजिक बहिष्कार, पेंशन से संबंधित मामले , पुलिस थाने से संबंधित और स्वास्थ्य विभाग से संबंधित मामले आते हैं.
महीने में कितने केस का होता है निराकरण : छत्तीसगढ़ राज्य मानव अधिकार आयोग से मिली जानकारी के अनुसार, रोजाना पीड़ितों की शिकायतों की सुनवाई हो रही है .सप्ताह में 15 केस का फाइनल डिस्मेंटल किया जा रहा है . हर महीने 60 मामले में फाइनल डिस्मेंटल कर न्याय दिलाने का काम किया जा रहा है.Status of cases in Chhattisgarh
छत्तीसगढ़ में कैसा है आयोग का कामकाज : छत्तीसगढ़ राज्य मानव अधिकार आयोग (Chhattisgarh State Human Rights Commission) के कार्यवाहक अध्यक्ष गिरधारी नायक का कहना है कि "आयोग द्वारा छत्तीसगढ़ में मानव अधिकार संरक्षण के क्षेत्र में काफी प्रयास किया गया है. छत्तीसगढ़ मानव अधिकार आयोग संस्था द्वारा समय-समय पर जिले के अस्पताल, जेल, पुलिस थाना, स्कूल, पोस्ट मेट्रिक हॉस्टल , बाल आश्रम वृद्धाश्रम, और संप्रेक्षण गृह का निरीक्षण कर वहां मानवाधिकार व्यवस्था की स्थिति का जायजा लिया जाता है. मानव अधिकार के संरक्षण को व्यापक पैमाने पर करने लगातार संवाद किया जाता है. जनता में जागरूकता के लिए आयोग स्कूल कॉलेजों में सेमिनार का आयोजन करता है , ताकि जनता अपने अधिकारों के प्रति जागरूक रहे.''
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सालाना कितने केस : प्रतिवर्ष 2500 से 3000 शिकायतें आयोग को प्राप्त होती है.आयोग के साथ साथ अन्य संस्थाओं द्वारा जांच की जाती है.आवश्यकता अनुसार बयान लिया जाता है. मामलों में कार्रवाई भी की जाती है. गम्भीर मनाव अधिकार संरक्षण से सम्बंधित को केस आते हैं तो तत्काल उसपर कार्यवाई होती है.कुछ प्रकरणों में मुआवजा भी प्रदान किया जाता है.पुलिस हिरासत में मौत, महिला अधिकार, राइट टू वाटर जैसे बहुत सारे मुद्दे को गंभीरता से लिया जाता है. इसमें कार्यवाई भी की जाती है."