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मिसाल : कहानी उस ललिता की जिसने ट्रेन दौड़ाने का सपना देखा, और बन गईं लोको पायलट - महिला दिवस

ललिता चौधरी पेशे से लोको पायलट है. उनके पिता का साथ और आशिर्वाद ने ललिता को आम से खास बना दिया है.

ललिता चौधरी की जिंदगी का सफर
ललिता चौधरी की जिंदगी का सफर
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Published : Mar 6, 2020, 11:45 PM IST

Updated : Mar 7, 2020, 7:58 PM IST

रायपुर : यूं तो आपने ट्रेन चलाते कई पुरूष लोको पायलट देखें होगें, लेकिन महिला लोको पायलट शायद ही आपने देखा होगा. वूमन्स डे पर हम आपको महिलाओं से जुड़ी उनकी कामयाबी और सफलता की कहानी आप तक पहुंचा रहे हैं. लेकिन एक महिला की सफलता के पीछे पति और पिता दोनों का ही अहम योदगान होता है, इस बात को एक बार फिर साबित कर दिखाया ललिता चौधरी के पिता ने.

पैकेज

ललिता पेशे से लोको पायलट हैं. ललिता अपनी कामयाबी का श्रेय अपने पिता को देती हैं. उनके पिता के साथ और आशीर्वाद ने ललिता को आम से खास बना दिया है. ललिता हर रोज पटरियों पर रेलगाड़ी को सरपट दौड़ाती हुई हजारों यात्रियों को सुरक्षित उनकी मंजिल तक पहुंचाती हैं. आइए इस रेल सफर के साथ-साथ ललिता के कामयाबी की कहानी खुद ललिता से सुनते हैं.

'रात को बस का सफर किया'

ETV भारत से की गई बातचीत में ललिता चौधरी बताती है कि, 'वह एक छोटे से गांव से आती हैं और उन्हें यहां तक पहुंचने के लिए काफी मुश्किलों और कठिनाइयों का सामना करना पड़ा है. उनके घर से कॉलेज तक के सफर के लिए सिर्फ एक ही बस चला करती थी, जिससे वह आया जाया करती थी. ये बस नाइट में चलती थी जिसके कारण आने-जाने में डर लगता था इस वजह से उनके पिता उनके साथ कॉलेज उनको छोड़ने और लाने जाया करते थे'.

'पूरा श्रेय अपने पिता को'

ललिता बताती हैं कि, 'उनकी इस उपलब्धि का वह पूरा श्रेय अपने पिता को जाता हैं. वैसे महिला ट्रेन ड्राइवर होना थोड़ा मुश्किल काम है पर नामुमकिन भी नहीं है. मेहनत से सब कुछ आसान हो सकता है'. वे कहती है कि, 'आज भी हजारों ऐसी लड़कियां है जिन्हें घर से निकलने नहीं दिया जाता है. इस कारण वे अपने आप को साबित नहीं कर पाती'.

लड़कियों को दें मौका

उन्होंने सभी अभिभावक से अपील करते हुए कहा कि, 'जब तक आप लड़कियों को मौका नहीं देंगे तब तक वे अपने आप को साबित नहीं कर पाएंगी. ETV भारत भी आपसे अपील करता है कि लड़कियों को मौका जरूर दीजिए ताकि वह अपने आप को साबित कर पाए और अपने माता-पिता का नाम ऊंचा कर सके'.

रायपुर : यूं तो आपने ट्रेन चलाते कई पुरूष लोको पायलट देखें होगें, लेकिन महिला लोको पायलट शायद ही आपने देखा होगा. वूमन्स डे पर हम आपको महिलाओं से जुड़ी उनकी कामयाबी और सफलता की कहानी आप तक पहुंचा रहे हैं. लेकिन एक महिला की सफलता के पीछे पति और पिता दोनों का ही अहम योदगान होता है, इस बात को एक बार फिर साबित कर दिखाया ललिता चौधरी के पिता ने.

पैकेज

ललिता पेशे से लोको पायलट हैं. ललिता अपनी कामयाबी का श्रेय अपने पिता को देती हैं. उनके पिता के साथ और आशीर्वाद ने ललिता को आम से खास बना दिया है. ललिता हर रोज पटरियों पर रेलगाड़ी को सरपट दौड़ाती हुई हजारों यात्रियों को सुरक्षित उनकी मंजिल तक पहुंचाती हैं. आइए इस रेल सफर के साथ-साथ ललिता के कामयाबी की कहानी खुद ललिता से सुनते हैं.

'रात को बस का सफर किया'

ETV भारत से की गई बातचीत में ललिता चौधरी बताती है कि, 'वह एक छोटे से गांव से आती हैं और उन्हें यहां तक पहुंचने के लिए काफी मुश्किलों और कठिनाइयों का सामना करना पड़ा है. उनके घर से कॉलेज तक के सफर के लिए सिर्फ एक ही बस चला करती थी, जिससे वह आया जाया करती थी. ये बस नाइट में चलती थी जिसके कारण आने-जाने में डर लगता था इस वजह से उनके पिता उनके साथ कॉलेज उनको छोड़ने और लाने जाया करते थे'.

'पूरा श्रेय अपने पिता को'

ललिता बताती हैं कि, 'उनकी इस उपलब्धि का वह पूरा श्रेय अपने पिता को जाता हैं. वैसे महिला ट्रेन ड्राइवर होना थोड़ा मुश्किल काम है पर नामुमकिन भी नहीं है. मेहनत से सब कुछ आसान हो सकता है'. वे कहती है कि, 'आज भी हजारों ऐसी लड़कियां है जिन्हें घर से निकलने नहीं दिया जाता है. इस कारण वे अपने आप को साबित नहीं कर पाती'.

लड़कियों को दें मौका

उन्होंने सभी अभिभावक से अपील करते हुए कहा कि, 'जब तक आप लड़कियों को मौका नहीं देंगे तब तक वे अपने आप को साबित नहीं कर पाएंगी. ETV भारत भी आपसे अपील करता है कि लड़कियों को मौका जरूर दीजिए ताकि वह अपने आप को साबित कर पाए और अपने माता-पिता का नाम ऊंचा कर सके'.

Last Updated : Mar 7, 2020, 7:58 PM IST
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