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विधानसभा का आज विशेष सत्र: छत्तीसगढ़ कृषि उपज मंडी संशोधन विधेयक-2020 लाएगी सरकार - छत्तीसगढ़ न्यूज

सीएम भूपेश बघेल की अध्यक्षता में सोमवार को हुई कैबिनेट की बैठक में छत्तीसगढ़ कृषि उपज मंडी कानून में संशोधन को मंजूरी दे दी गई. भूपेश सरकार अब इस विधेयक को विधानसभा में पेश करेगी. इसके लिए विधानसभा में 27 और 28 अक्टूबर को 2 दिवसीय विशेष सत्र बुलाया गया है.

special session of Chhattisgarh Legislative Assembly
छत्तीसगढ़ विधानसभा का विशेष सत्र
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Published : Oct 26, 2020, 10:18 PM IST

Updated : Oct 27, 2020, 8:03 AM IST

रायपुर: केंद्र सरकार के कृषि कानूनों का छत्तीसगढ़ की कांग्रेसशासित सरकार विरोध कर रही है. इन्हीं कानूनों के खिलाफ सरकार विधानसभा में छत्तीसगढ़ कृषि उपज मंडी संशोधन विधेयक-पेश करेगी. विधानसभा में पहले दिन आज सुबह 11 बजे दिवंगत नेताओं को श्रद्धांजलि दी जाएगी. पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी, पूर्व मंत्री चनेशराम राठिया, अविभाजित मध्यप्रदेश विधानसभा के पूर्व सदस्य लुईस बेक, डॉ.चन्द्रहास साहू, डॉ.राजेश्वरी प्रसाद त्रिपाठी, माधव सिंह ध्रुव, शशिप्रभा देवी को सदन में श्रद्धांजलि दी जाएगी.

इसके बाद 2 अगस्त 2020 के सत्र के प्रश्नों के अधूरे उत्तरों के संकलन को पटल पर रखा जाएगा. इसके बाद कैबिनेट में अनुमोदित किए गए कृषि उपज मंडी संशोधन विधेयक पर चर्चा होगी. सदन में चर्चा के बाद यह विधेयक पारित होगा.

'टकराहट के लिए नहीं किसानों की मदद के लिए कानून'

कृषि मंत्री रविंद्र चौबे ने कहा है कि हमारा कृषि कानून किसानों से हित के लिए है, केंद्र से टकराहट के लिए नहीं है. मंडी एक्ट में संशोधन के लिए चर्चा हुई है, जिसे विधानसभा के विशेष सत्र में पेश किया जाएगा.

छत्तीसगढ़ कृषि उपज मंडी संशोधन विधेयक-2020 लाएगी सरकार

मंडी संशोधन विधेयक में क्या है खास

मंडी संशोधन विधेयक में ये प्रोविजन शामिल हैं-

  • इसमें मंडी के कार्य क्षेत्र का विस्तार शामिल है. छत्तीसगढ़ सरकार सीधे नया कानून बनाने के बजाय राज्य के ही मंडी अधिनियम में संशोधन करने जा रही है. इससे मंडी को नियंत्रित करने का अधिकार मिल जाएगा.
  • आवश्यक वस्तु अधिनियम में जिस तरह लिमिट हटाई गई है, उसको नियंत्रित करने के लिए लेखा रखने का अधिकार. केंद्रीय कानून में आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत लिमिट की सीमा को खत्म करने की बात की गई है, लेकिन भूपेश सरकार अपने अधिनियम में संशोधन कर नई धाराएं जोड़ने वाली है, ताकि भंडारण और कारोबार के संचालन के लिए एक नियम हो. इसके तहत छत्तीसगढ़ में प्रशासनिक अधिकारियों को यह अधिकार मिल जाएगा कि किसी तरह की गलत जानकारी पर संबंधित संस्थान या व्यापारियों पर कार्रवाई कर सकें.
  • किसानों के संरक्षण का अधिकार. मोदी सरकार के कृषि कानूनों का विरोध करने वालों का तर्क है कि इनके लागू होने से किसानों की स्वायतत्ता खत्म हो जाएगी, साथ ही उन्हें अपनी फसल का सही दाम नहीं मिल पाएगा. इसके लिए छत्तीसगढ़ सरकार मंडी विधेयक में बदलाव करने जा रही है. वहीं छत्तीसगढ़ सरकार अभी न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम खरीदी पर दंड का प्रावधान नहीं करने वाली है. यहां पंजाब से अलग स्थिति है. यहां राज्य सरकार एफसीआई के लिए खरीदी करती है, इस कारण एमएसपी वाले प्रावधान को फिलहाल स्थगित कर दिया गया है. इस पर विधानसभा के शीत सत्र में कानून में संशोधन कर नया प्रावधान लाने की उम्मीद है.

'विपक्ष का काम है विरोध करना'

रविंद्र चौबे ने यह भी कहा कि पंजाब के जैसे कानून बनाते तो शायद ये बातें हो सकती थी. एग्रीकल्चर ट्रेड के आधार पर सभी कानून बनाए गए हैं. राज्य की सूची में कृषि शामिल है. केंद्र सरकार से टकराहट के लिए कानून नहीं है, बल्कि किसानों की मदद के लिए है.

पढ़ें- कैबिनेट बैठक: छत्तीसगढ़ कृषि उपज मंडी संशोधन विधेयक-2020 लाएगी सरकार, जल जीवन मिशन योजना के सभी टेंडर निरस्त

विपक्ष की रणनीति

डॉ. रमन सिंह ने कहा कि इस विधेयक की जो कानूनी गड़बड़ियां हैं, उसके बारे में हम सभी अपना पक्ष रखेंगे. राज्य का अधिकार ही नहीं है कि इस पर कोई कानून बना सके. छत्तीसगढ़ में 27 और 28 अक्टूबर को कृषि कानून के नाम पर हो रही विशेष विधानसभा सत्र को लेकर सोमवार को भाजपा विधायक दल की बैठक भी हुई. इस बैठक में सरकार को घेरने के लिए रणनीति बनाई गई. पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने बैठक के बाद ये सवाल उठाए

  • किस विषय को लेकर कांग्रेस विशेष सत्र बुला रही है?
  • आखिर कौन सी ऐसी इमरजेंसी आ गई की विशेष सत्र को बुलाना पड़ रहा है?
    भूपेश सरकार पर रमन सिंह का वार

पढ़ें-जल मिशन का टेंडर रद्द होने पर बीजेपी ने सरकार को घेरा, पारदर्शिता पर उठाए सवाल

नया कृषि बिल क्यों?

केंद्र सरकार के कृषि कानूनों का कांग्रेस सरकार विरोध कर रही है. इसे पूंजीपतियों को फायदे पहुंचाने वाला कानून बता रही है. संसद ने किसानों के लिए 3 नए कानून बनाए हैं.

पहला,'कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) विधेयक, 2020'.

इसमें केंद्र सरकार कह रही है कि वह किसानों की उपज को बेचने के लिए विकल्प को बढ़ाना चाहती है. किसान इस कानून के जरिये अब एपीएमसी मंडियों के बाहर भी अपनी उपज को ऊंचे दामों पर बेच पाएंगे.

दूसरा, 'कृषक (सशक्‍तिकरण और संरक्षण) कीमत आश्‍वासन और कृषि सेवा पर करार विधेयक, 2020'

इस विधेयक में कृषि करारों पर राष्ट्रीय फ्रेमवर्क का प्रावधान किया गया है. सरकार का कहना है कि ये बिल कृषि उत्‍पादों की बिक्री, फार्म सेवाओं, कृषि बिजनेस फर्मों, प्रोसेसर्स, थोक विक्रेताओं, बड़े खुदरा विक्रेताओं और निर्यातकों के साथ किसानों को जुड़ने के लिए सशक्‍त करता है.

तीसरा, 'आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक 2020'

इस बिल में अनाज, दलहन, तिलहन, खाद्य तेल, प्‍याज आलू को आवश्‍यक वस्‍तुओं की सूची से हटाने का प्रावधान है. सरकार का कहना है कि विधेयक के प्रावधानों से किसानों को सही मूल्य मिल सकेगा क्योंकि बाजार में स्पर्धा बढ़ेगी.

पढ़ें-नए कृषि बिल पर सियासी घमासान, विशेष सत्र को लेकर बीजेपी और भूपेश सरकार आमने-सामने

संसद के मानसून सत्र में केंद्र सरकार ने कृषि से जुड़े कानूनों में बदलाव किया था. इसके तहत कृषि उपज की खरीदी बिक्री के लिए मंडी जाने की अनिवार्यता खत्म कर दी गई. व्यापारियों के लिए स्टाक सीमा खत्म कर दी गई और कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के प्रावधान किए गए. कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कांग्रेस शासित राज्यों में नया कानून बनाने का सुझाव दिया था.

किसान संगठन की ये हैं प्रमुख मांगें

  • कृषि बिल को लेकर अखिल भारतीय किसान महासंघ ने कुछ सुझाव दिए थे, इन्हीं में से कुछ सुधार की उम्मीद छत्तीसगढ़ सरकार से है.
  • न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदी को जारी रखने की गारंटी देते हुए तय न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम दर पर खरीदी को दंडनीय अपराध माना जाए.
  • धान के साथ ही दलहन और तिलहन का भी समर्थन मूल्य तय होना चाहिए.
  • अनुबंध खेती में किसानों को भुगतान की गारंटी बैंक या सरकार प्रदान करे. किसी भी हाल में फसल के खराब होने या उत्पादन में कमी आने का जोखिम अनुबंध खेती करवाने वाली संस्था/कंपनी वहन करे.
  • किसानों के साथ अनुबंध में विवाद की स्थिति में विवादों के निपटारे के लिए, नि:शुल्क न्याय देने के लिए, जिला स्तर पर एक पर्याप्त अधिकार प्राप्त 'विवाद निपटारा समिति' का गठन किया जाए. समिति में अनिवार्य रूप से दो तिहाई संख्या में स्थानीय किसान प्रतिनिधियों को किसान की अध्यक्षता में शामिल किया जाए.

रायपुर: केंद्र सरकार के कृषि कानूनों का छत्तीसगढ़ की कांग्रेसशासित सरकार विरोध कर रही है. इन्हीं कानूनों के खिलाफ सरकार विधानसभा में छत्तीसगढ़ कृषि उपज मंडी संशोधन विधेयक-पेश करेगी. विधानसभा में पहले दिन आज सुबह 11 बजे दिवंगत नेताओं को श्रद्धांजलि दी जाएगी. पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी, पूर्व मंत्री चनेशराम राठिया, अविभाजित मध्यप्रदेश विधानसभा के पूर्व सदस्य लुईस बेक, डॉ.चन्द्रहास साहू, डॉ.राजेश्वरी प्रसाद त्रिपाठी, माधव सिंह ध्रुव, शशिप्रभा देवी को सदन में श्रद्धांजलि दी जाएगी.

इसके बाद 2 अगस्त 2020 के सत्र के प्रश्नों के अधूरे उत्तरों के संकलन को पटल पर रखा जाएगा. इसके बाद कैबिनेट में अनुमोदित किए गए कृषि उपज मंडी संशोधन विधेयक पर चर्चा होगी. सदन में चर्चा के बाद यह विधेयक पारित होगा.

'टकराहट के लिए नहीं किसानों की मदद के लिए कानून'

कृषि मंत्री रविंद्र चौबे ने कहा है कि हमारा कृषि कानून किसानों से हित के लिए है, केंद्र से टकराहट के लिए नहीं है. मंडी एक्ट में संशोधन के लिए चर्चा हुई है, जिसे विधानसभा के विशेष सत्र में पेश किया जाएगा.

छत्तीसगढ़ कृषि उपज मंडी संशोधन विधेयक-2020 लाएगी सरकार

मंडी संशोधन विधेयक में क्या है खास

मंडी संशोधन विधेयक में ये प्रोविजन शामिल हैं-

  • इसमें मंडी के कार्य क्षेत्र का विस्तार शामिल है. छत्तीसगढ़ सरकार सीधे नया कानून बनाने के बजाय राज्य के ही मंडी अधिनियम में संशोधन करने जा रही है. इससे मंडी को नियंत्रित करने का अधिकार मिल जाएगा.
  • आवश्यक वस्तु अधिनियम में जिस तरह लिमिट हटाई गई है, उसको नियंत्रित करने के लिए लेखा रखने का अधिकार. केंद्रीय कानून में आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत लिमिट की सीमा को खत्म करने की बात की गई है, लेकिन भूपेश सरकार अपने अधिनियम में संशोधन कर नई धाराएं जोड़ने वाली है, ताकि भंडारण और कारोबार के संचालन के लिए एक नियम हो. इसके तहत छत्तीसगढ़ में प्रशासनिक अधिकारियों को यह अधिकार मिल जाएगा कि किसी तरह की गलत जानकारी पर संबंधित संस्थान या व्यापारियों पर कार्रवाई कर सकें.
  • किसानों के संरक्षण का अधिकार. मोदी सरकार के कृषि कानूनों का विरोध करने वालों का तर्क है कि इनके लागू होने से किसानों की स्वायतत्ता खत्म हो जाएगी, साथ ही उन्हें अपनी फसल का सही दाम नहीं मिल पाएगा. इसके लिए छत्तीसगढ़ सरकार मंडी विधेयक में बदलाव करने जा रही है. वहीं छत्तीसगढ़ सरकार अभी न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम खरीदी पर दंड का प्रावधान नहीं करने वाली है. यहां पंजाब से अलग स्थिति है. यहां राज्य सरकार एफसीआई के लिए खरीदी करती है, इस कारण एमएसपी वाले प्रावधान को फिलहाल स्थगित कर दिया गया है. इस पर विधानसभा के शीत सत्र में कानून में संशोधन कर नया प्रावधान लाने की उम्मीद है.

'विपक्ष का काम है विरोध करना'

रविंद्र चौबे ने यह भी कहा कि पंजाब के जैसे कानून बनाते तो शायद ये बातें हो सकती थी. एग्रीकल्चर ट्रेड के आधार पर सभी कानून बनाए गए हैं. राज्य की सूची में कृषि शामिल है. केंद्र सरकार से टकराहट के लिए कानून नहीं है, बल्कि किसानों की मदद के लिए है.

पढ़ें- कैबिनेट बैठक: छत्तीसगढ़ कृषि उपज मंडी संशोधन विधेयक-2020 लाएगी सरकार, जल जीवन मिशन योजना के सभी टेंडर निरस्त

विपक्ष की रणनीति

डॉ. रमन सिंह ने कहा कि इस विधेयक की जो कानूनी गड़बड़ियां हैं, उसके बारे में हम सभी अपना पक्ष रखेंगे. राज्य का अधिकार ही नहीं है कि इस पर कोई कानून बना सके. छत्तीसगढ़ में 27 और 28 अक्टूबर को कृषि कानून के नाम पर हो रही विशेष विधानसभा सत्र को लेकर सोमवार को भाजपा विधायक दल की बैठक भी हुई. इस बैठक में सरकार को घेरने के लिए रणनीति बनाई गई. पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने बैठक के बाद ये सवाल उठाए

  • किस विषय को लेकर कांग्रेस विशेष सत्र बुला रही है?
  • आखिर कौन सी ऐसी इमरजेंसी आ गई की विशेष सत्र को बुलाना पड़ रहा है?
    भूपेश सरकार पर रमन सिंह का वार

पढ़ें-जल मिशन का टेंडर रद्द होने पर बीजेपी ने सरकार को घेरा, पारदर्शिता पर उठाए सवाल

नया कृषि बिल क्यों?

केंद्र सरकार के कृषि कानूनों का कांग्रेस सरकार विरोध कर रही है. इसे पूंजीपतियों को फायदे पहुंचाने वाला कानून बता रही है. संसद ने किसानों के लिए 3 नए कानून बनाए हैं.

पहला,'कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) विधेयक, 2020'.

इसमें केंद्र सरकार कह रही है कि वह किसानों की उपज को बेचने के लिए विकल्प को बढ़ाना चाहती है. किसान इस कानून के जरिये अब एपीएमसी मंडियों के बाहर भी अपनी उपज को ऊंचे दामों पर बेच पाएंगे.

दूसरा, 'कृषक (सशक्‍तिकरण और संरक्षण) कीमत आश्‍वासन और कृषि सेवा पर करार विधेयक, 2020'

इस विधेयक में कृषि करारों पर राष्ट्रीय फ्रेमवर्क का प्रावधान किया गया है. सरकार का कहना है कि ये बिल कृषि उत्‍पादों की बिक्री, फार्म सेवाओं, कृषि बिजनेस फर्मों, प्रोसेसर्स, थोक विक्रेताओं, बड़े खुदरा विक्रेताओं और निर्यातकों के साथ किसानों को जुड़ने के लिए सशक्‍त करता है.

तीसरा, 'आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक 2020'

इस बिल में अनाज, दलहन, तिलहन, खाद्य तेल, प्‍याज आलू को आवश्‍यक वस्‍तुओं की सूची से हटाने का प्रावधान है. सरकार का कहना है कि विधेयक के प्रावधानों से किसानों को सही मूल्य मिल सकेगा क्योंकि बाजार में स्पर्धा बढ़ेगी.

पढ़ें-नए कृषि बिल पर सियासी घमासान, विशेष सत्र को लेकर बीजेपी और भूपेश सरकार आमने-सामने

संसद के मानसून सत्र में केंद्र सरकार ने कृषि से जुड़े कानूनों में बदलाव किया था. इसके तहत कृषि उपज की खरीदी बिक्री के लिए मंडी जाने की अनिवार्यता खत्म कर दी गई. व्यापारियों के लिए स्टाक सीमा खत्म कर दी गई और कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के प्रावधान किए गए. कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कांग्रेस शासित राज्यों में नया कानून बनाने का सुझाव दिया था.

किसान संगठन की ये हैं प्रमुख मांगें

  • कृषि बिल को लेकर अखिल भारतीय किसान महासंघ ने कुछ सुझाव दिए थे, इन्हीं में से कुछ सुधार की उम्मीद छत्तीसगढ़ सरकार से है.
  • न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदी को जारी रखने की गारंटी देते हुए तय न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम दर पर खरीदी को दंडनीय अपराध माना जाए.
  • धान के साथ ही दलहन और तिलहन का भी समर्थन मूल्य तय होना चाहिए.
  • अनुबंध खेती में किसानों को भुगतान की गारंटी बैंक या सरकार प्रदान करे. किसी भी हाल में फसल के खराब होने या उत्पादन में कमी आने का जोखिम अनुबंध खेती करवाने वाली संस्था/कंपनी वहन करे.
  • किसानों के साथ अनुबंध में विवाद की स्थिति में विवादों के निपटारे के लिए, नि:शुल्क न्याय देने के लिए, जिला स्तर पर एक पर्याप्त अधिकार प्राप्त 'विवाद निपटारा समिति' का गठन किया जाए. समिति में अनिवार्य रूप से दो तिहाई संख्या में स्थानीय किसान प्रतिनिधियों को किसान की अध्यक्षता में शामिल किया जाए.
Last Updated : Oct 27, 2020, 8:03 AM IST
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