रायपुर: कोरोना काल में हर चीज के लिए विशेष प्रोटोकॉल बनाया गया है. इलाज से लेकर दुकान, व्यापार और यहां तक कि घर में रहने के लिए भी कई तरह की गाइडलाइन बनाई गई थी. महामारी के बीच सबसे बड़ी चुनौतियों में प्रसव भी शामिल था. कोरोना की दूसरी लहर में तेजी से फैलते संक्रमण को प्रसूताओं के साथ नवजात के लिए बेहद खतरनाक बताया गया था. अस्पतालों में नॉर्मल और सिजेरियन डिलीवरी (Delivery in Corona period) के लिए भी जरूरी इंतजाम किए गए थे. इस कठिन हालात में स्वास्थ्य विभाग ने गर्भवती महिलाओं की जांच और उनके प्रसव के लिए खास इंतजाम किए थे. अकेले राजधानी रायपुर में 9 हजार से ज्यादा डिलिवरी अस्पतालों में कराई गई.
रायपुर में 9 हजार डिलिवरी
राजधानी में 9 हजार से ज्यादा घरों में किलकारियां गूंजी. अच्छी बात ये रही कि इनमें से ज्यादातर मांएं और नवजात पूरी तरह स्वस्थ हैं. आंकड़ों पर एक नजर डालें तो मार्च महीने में रायपुर जिले में 3408 डिलिवरी कराई गई. इनमें से 3374 लाइव बर्थ डिलिवरी थी. जबकि 44 स्टिल बर्थ Still Birth (डिलीवरी से पहले गर्भस्थ शिशु की मृत्यु होना) के मामले सामने आए. इस महीने जन्म लेने वाले 4 नवजातों ने दम तोड़ दिया, वहीं तीन मांओं की भी मौत हुई है.
अप्रैल और मई महीने के आंकड़े
- अप्रैल महीने के आंकड़ों पर नजर डालें तो कुल 2870 डिलीवरी हुई. इसमें 2853 लाइव बर्थ डिलिवरी और 39 स्टिल बर्थ डिलीवरी हुई.
- अप्रैल महीने में जन्म लेने वाले 9 शिशुओं की मौत हुई और 6 प्रसूताओं ने दम तोड़ा.
- मई महीने में कुल 2762 डिलिवरी हुई. इसमें 2742 लाइव बर्थ डिलिवरी और 32 स्टिल बर्थ डिलिवरी हुई.
- मई महीने में 5 नवजातों की मौत हुई, वहीं एक प्रसूता ने भी दम तोड़ा.
डॉक्टर और स्टाफ ने की भरपूर मदद
रायपुर के दीनदयाल उपाध्याय नगर के रहने वाले देवेंद्र पटेल और ओनिमा पटेल बताती हैं, 'शुरुआत में कोरोना के चलते अस्पताल जाने से काफी घबरा रहे थे, लेकिन जब वहां गए तो डॉक्टर और वहां की नर्सों से काफी अच्छा सपोर्ट मिला. जिसके चलते तमाम जांच और डिलिवरी बिना किसी परेशानी की हो गई.'
इंद्रप्रस्थ कॉलोनी की रहने वाली सुमन साहू बताती हैं, 'डिलीवरी को लेकर बड़ी चिंता थी कि कहीं अस्पताल जाने में संक्रमित न हो जाएं, आने वाले बच्चे को संक्रमण ना हो, लेकिन मेडिकल स्टाफ के सपोर्ट और मदद से डिलीवरी अच्छी हुई.' जच्चा और बच्चा दोनों स्वस्थ हैं.
33 नवजातों ने तोड़ा दम
कोरोना काल में इस साल जन्म लेने वाले बच्चों में 33 की मृत्यु हुई है. 18 प्रसूताओं ने दम तोड़ा है. मृत शिशुओं की डिलिवरी के मामलों की बात की जाए तो आंकड़ा 196 है.
छत्तीसगढ़ में शिशु मृत्यु दर के आकड़े को कम करने के लिए कई तरह के प्रयास किए जा रहे हैं. 2016-17 के आंकड़ों के मुताबिक प्रदेश का शिशु मृत्यु दर प्रति हजार पर 38 है. जबकि मातृ मृत्यु दर प्रति लाख पर 178 है.
22 कोरोना पॉजिटिव महिलाओं का हुआ प्रसव
इधर, कवर्धा में कोरोना लहर के बीच बीते तीन महीने में 22 कोरोना पॉजिटिव महिलाओं ने स्वास्थ्य बच्चों को जन्म दिया है. कवर्धा जिले के लोहारा विकासखंड में अप्रैल और जून में कोरोना संक्रमित 7 महिलाओं ने स्वस्थ्य बच्चे को जन्म दिया. पंडरिया विकासखंड में 10 कोरोना संक्रमित महिलाओं का स्वस्थ्य प्रसव कराया गया. बोड़ला विकासखंड में 4, कवर्धा ब्लॉक में 2 गर्भवती महिलाओं ने स्वास्थ्य बच्चों को जन्म दिया है. इन सब केस में जच्चा-बच्चा दोनों पूरी तरह स्वस्थ्य हैं.
कवर्धा में कोरोना काल में कितने प्रसव
महीना | ब्लॉक | प्रसव संख्या |
अप्रैल | पंडरिया | 6 |
अप्रैल | लोहारा | 2 |
अप्रैल | बोड़ला | 1 |
अप्रैल | कवर्धा | 1 |
मई | पंडरिया | 3 |
मई | लोहार | 3 |
मई | बोड़ला | 2 |
जून | पंडरिया | 1 |
जून | लोहारा | 2 |
जून | बोड़ला | 1 |
जून | कवर्धा | 1 |