रायपुर: 17 नवंबर को दूसरे चरण के लिए 70 सीटों पर मतदान होना है. दूसरे चरण के प्रचार में कांग्रेस और बीजेपी के सियासी दिग्गजों ने अपना पूरा दम-खम झोंक दिया है. बीजेपी की ओर से जहां खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह मैदान में हैं, कांग्रेस की ओर से मल्लिकार्जुन खड़गे, राहुल और प्रियंका गांधी मैदान संभाले हैं. जबकी भूपेश बघेल भी ताबड़तोड़ दौरे पर कांग्रेस के पक्ष में माहौल बनाने में जुटे हैं. दूसरे चरण में 12 से ज्यादा ऐसी सीटें हैं जिसमें दिग्गजों की प्रतिष्ठा दांव पर है.
दुर्ग की पाटन विधानसभा सीट: दूसरे चरण की सबसे हाईप्रोफाइल सीट दुर्ग की पाटन सीट है. पाटन सीट से खुद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल चुनाव मैदान में हैं जबकी बीजेपी की ओर से सांसद विजय बघेल अपने चाचा भूपेश बघेल के खिलाफ मैदान में डटे हैं. विजय बघेल रिश्ते में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के भतीजे लगते हैं. पिछले लोकसभा चुनाव में विजय बघेल दुर्ग सीट से बीजेपी के सांसद चुने गए थे. बीजेपी ने इस बार नई रणनीति के तहत सांसदों और केंद्रीय मंत्रियों को भी मैदान में उतारा है. विजय बघेल को सांसद होते हुए विधायक का टिकट देकर लड़ाना बीजेपी की उसी रणनीति का हिस्सा है.
कवर्धा विधानसभा सीट: कवर्धा सीट पर जीत हासिल करना बीजेपी और कांग्रेस के लिए नाक का सवाल बन गया है. कांग्रेस की परंपरागत सीट से इस बार फिर मोहम्मद अकबर मैदान में हैं. मोहम्मद अकबर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के करीबी माने जाते हैं. प्रचार के दौरान बीजेपी ने मोहम्मद अकबर को जमकर टारगेट किया है. बीजेपी इस बार यहां से हर हाल में चुनाव जीतना चाहती है. पार्टी ने यहां विजय शर्मा को खड़ा किया है. विजय शर्मा की पहचान जुझारू और तेज तर्रार नेताओं में गिनती होती है. विजय शर्मा को बीजेपी का आक्रामक नेता भी माना जाता है.
जांजगीर चांपा विधानसभा सीट: बीजेपी के दिग्गज नेता नारायण चंदेल विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष और इस सीट से वर्तमान में बीजेपी के विधायक हैं. जांजगीर चांपा को कांग्रेस के गढ़ के तौर पर माना जाता है. टिकट मिलने के बाद से बीजेपी नेताओं ने जांजगीर चांपा में जोरदार प्रचार कर बीजेपी के पक्ष में माहौल बनाने की कोशिश की है. कांग्रेस ने इस सीट से व्यास कश्यप को मैदान में उतार है. व्यास कश्यप कांग्रेस के पुराने नेता हैं और उनकी जमीनी पकड़ काफी बेहतर मानी जाती है.
लोरमी विधानसभा सीट: बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष और सांसद अरुण साव मुंगेली के लोरमी सीट से मैदान में उतरे हैं. लोरमी सीट पर साहू समाज के लोगों की अच्छी खासी संख्या है. अरुण साव की साहू समाज पर अच्छी पकड़ है. बीजेपी के जमीनी कार्यकर्ता और संघ दोनों ही इस बार यहां से कमल खिलाने के लिए जी जान से जुटे हैं. कांग्रेस ने इस सीट से थानेश्वर साहू को टिकट दिया है. थानेश्वर साहू समाज से आते हैं और कांग्रेस को उम्मीद है कि साहू समाज एकजुट होकर उनके पक्ष में मतदान करेगा.
रायपुर दक्षिण विधानसभा सीट: रायपुर शहर की दक्षिण विधानसभा सीट से बीजेपी के दिग्गज नेता और पूर्व मंत्री रहे बृजमोहन अग्रवाल मैदान में हैं, जबकी कांग्रेस की ओर से महंत राम सुंदर दास बृजमोहन अग्रवाल को कड़ी चुनौती दे रहे हैं. बृजमोहन अग्रवाल की न सिर्फ बीजेपी के कद्दावर नेताओं में गिनती होती है बल्कि वो हमेशा अपने बयानों से सुर्खियों में भी रहते हैं. बीते दिनों शहर के बैजनाथ पारा इलाके में प्रचार के दौरान बृजमोहन अग्रवाल के काफिले पर कुछ लोगों ने हमला कर दिया था ऐसा आरोप खुद बृजमोहन अग्रवाल ने लगाया था.
भरतपुर-सोनहत विधानसभा सीट: मोदी सरकार की कैबिनेट मंत्री रेणुका सिंह कोरिया के भरतपुर-सोनहत सीट से चुनाव मैदान में हैं. कैबिनेट मंत्री के चुनाव लड़ने से ये सीट हाई प्रोफाइल सीट बन गई है. रेणुका सिंह का मुकाबला इस बार कांग्रेस के गुलाब सिंह कमरो से है. कांग्रेस के गुलाब सिंह कमरो की भी जनजातीय लोगों में अच्छी पकड़ है, इसलिए इस बार इस सीट पर मुकाबला जोरदार होने की उम्मीद है.
सीतापुर विधानसभा सीट: अंबिकापुर का सीतापुर सीट भी हाई प्रोफाइल सीटों में से एक है. सीतापुर सीट से कांग्रेस के चिर परिचित अमरजीत भगत मैदान में हैं. खाद्य मंत्री अमरजीत भगत का मुकाबला इस बार बीजेपी के राम कुमार टोप्पो से है. रामकुमार टोप्पो सेना के रिटायर्ड जवान हैं. बीजेपी ने इस बार सेना के जवान को टिकट देकर मुकाबला और दिलचस्प कर दिया है.
कुनकुरी विधानसभा सीट: जशपुर की कुनकुरी सीट पर भी इस बार मुकाबला जोरदार है. विवादों में रहे कांग्रेस के नेता यूडी मिंज यहां से मैदान में उतरे हैं तो बीजेपी ने इस बार यहां से पूर्व केंद्रीय मंत्री और पूर्व बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदेव साय को मैदान में उतारा है. जशपुर का कुनकुरी अक्सर धर्म परिवर्तन की खबरों के चलते सुर्खियों में रहता है. जशपुर के कुनकरी में ही एशिया का सबसे बड़ा चर्च भी है.
रायगढ़ विधानसभा सीट: पूर्व कलेक्टर ओपी चौधरी को इस बार बीजेपी ने रायगढ़ सीट से खड़ा किया है. ओपी चौधरी 2018 विधानसभा चुनाव में रायपुर से बीजेपी की ओर से लड़े थे लेकिन चुनाव हार गए थे. बीजेपी ने ओपी चौधरी पर एक बार फिर से भरोसा जताया है. ओपी चौधरी का मुकाबला इस कांग्रेस के शक्रजीत नायक से है. ओपी चौधरी के प्रचार के लिए खुद अमित शाह रायगढ़ पहुंचे थे और रोड शो भी किया था.
बिल्हा विधानसभा सीट: बिलासपुर का बिल्हा विधानसभा सीट इस बार भी हाई प्रोफाइल सीटों की गिनती में शुमार है. धरमलाल कौशिक यहां से बीजेपी के सिटिंग विधायक हैं और बीजेपी के दिग्गज नेताओं में उनकी गिनती होती है. कांग्रेस ने धर्मलाल कौशिक के मुकाबले सियाराम कौशिक को मैदान में उतारा है. दोनों ही दिग्गजों के बीच इस बार भी कांटे का मुकाबला है. दोनों ही नेताओं की जनता के बीच अच्छी पैठ है.
दुर्ग ग्रामीण विधानसभा सीट: दुर्ग ग्रामीण सीट कांग्रेस की परंपरागत सीट मानी जाती है. यहां से फिर कांग्रेस ने अपने गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू को मैदान में उतारा है. ताम्रध्वज साहू की छवि जनता के बीच साफ सुथरी नेता वाली छवि मानी जाती है. ताम्रध्वज साहू अपने काम पर भरोसा करते हैं और मीडिया से थोड़ी दूरी बनाकर चलते हैं. बीजेपी ने इस सीट से ललित चंद्राकर को मौका दिया है. ललित चंद्राकर की गिनती भी बीजेपी के युवा तेज तर्रार नेताओं में होती है.
भिलाई नगर विधानसभा सीट: इस सीट से बीजेपी ने अपने पूर्व शिक्षा मंत्री प्रेमप्रकाश पांडे को फिर से मैदान में उतारा है. प्रेम प्रकाश पांडे के लिए बीजेपी के दिग्गज नेता प्रचार करने उतरे हैं. खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी सांसद मनोज तिवारी उनके लिए वोट मांग चुके हैं. कांग्रेस की ओर से यहां देवेंद्र यादव मैदान में हैं और वो वर्तमान में सिटिंग विधायक भी हैं. भिलाई नगर विधानसभा सीट पर इस बार मुकाबला कांटे का होगा ऐसा माना जा रहा है.
रायपुर नगर पश्चिम विधानसभा सीट: इस सीट से बीजेपी ने अपने सबसे मजबूत नेता राजेश मूणत को मैदान में लड़ने के लिए उतारा है. राजेश मूणत पूर्व मंत्री भी रह चुके हैं. राजेश मूणत का मुकाबला कांग्रेस के युवा और तेज तर्रार नेताओं में से एक विकास उपाध्याय है. विकास उपाध्याय जहां एक जुझारू नेता के रुप में जाने जाते हैं वहीं राजेश मूणत की भी इलाके में अच्छी पकड़ मानी जाती है. दोनों दिग्गजों के बीच इस बार मुकाबला सबसे जोरदार होने वाला है.
आरंग विधानसभा सीट: आरंग की परंपरागत सीट से इस बार भी कांग्रेस के दिग्गज नेता और मंत्री शिवकुमार डहेरिया चुनाव मैदान में हैं. शिवकुमार डहेरिया की छवि एक साफ सुथरे नेता और शालीन व्यक्ति के रूप में होती है. डहेरिया का मुकाबला बीजेपी के गुरु खुशवंत सिंह से है. गुरु खुशवंत सिंह कांग्रेस से नाराज होकर भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुए हैं. गुरु खुशवंत सिंह सतनामी समाज से आते हैं और सतनामी समाज पर इनकी पकड़ काफी अच्छी मानी जाती है.
कुरुद विधानसभा सीट: कुरुद सीट से बीजेपी के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री अजय चंद्राकर मैदान में हैं. कांग्रेस ने इस सीट से तारिणी चंद्राकर को टिकट दिया है. बीजेपी और कांग्रेस दोनों के प्रत्याशी चंद्राकर समाज से आते हैं. दोनों ही नेताओं की अपने समाज में अच्छी पकड़ है. अजय चंद्राकर वर्तमान में कुरुद से बीजेपी के सिटिंग विधायक हैं. अजय चंद्राकर को बीजेपी के तेज तर्रार नेताओं में गिना जाता है.
साजा विधानसभा सीट: कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं में से एक रविंद्र चौबे एक बार फिर साजा सीट से मैदान में हैं. संसदीय कार्य मंत्री रविंद्र चौबे को मुख्यमंत्री के भरोसेमंद लोगों में गिना जाता है. गंभीर मुद्दों पर जब सरकार चर्चा करती है तो उनकी राय जरूर ली जाती है. बीजेपी ने रविंद्र चौबे को टक्कर देने के लिए ईश्वर साहू को मैदान में उतारा है. ईश्वर साहू के बेटे की हत्या बिरनपुर हिंसा के दौरान कर दी गई थी. बीजेपी ने हिंसा में मारे गए भुवनेश्वर साहू के पिता को टिकट देकर सहानुभूति वोट हासिल करने की रणनीति बनाई है ऐसा माना जा रहा है.
नवागढ़ विधानसभा सीट: नवागढ़ सीट से कांग्रेस के गुरु रुद्र कुमार मैदान में हैं. गुरु रुद्र कुमार इस सीट से सिटिंग विधायक भी हैं, सरकार में मंत्री भी हैं. बीते दिनों गुरु रुद्र कुमार के काफिले पर हमला भी हुआ था ऐसा कांग्रेस की ओर से लगाया गया था. गुरु रुद्र कुमार के मुकाबले बीजेपी से दयालदास बघेल मैदान में हैं. दयालदास बघेल किसान परिवार से आते हैं और उनको राजनीति का लंबा अनुभव भी है. किसानों के बीच दयालदास बघेल की छवि काफी अच्छी मानी जाती है.
खरसिया विधानसभा सीट: खरसिया विधानसभा सीट से कांग्रेस ने फिर से नंदकुमार पटेल के बेटे उमेश पटेल को टिकट दिया है. उमेश पटेल वर्तमान में खरसिया सीट से कांग्रेस के सिटिंग विधायक हैं. खुद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल उमेश पटेल के लिए खरसिया में प्रचार कर चुके हैं. खरसिया सीट से बीजेपी ने महेश साहू को टिकट दिया. साहू समाज पर महेश साहू की अच्छी पकड़ मानी जाती है लिहाजा इस बार मुकाबला एकतरफा नहीं रहेगा.
कोरबा विधानसभा सीट: कांग्रेस ने इस सीट से अपने राजस्व मंत्री जय सिंह अग्रवाल को मैदान में उतारा है. जबकी बीजेपी की ओर से लखनलाल देवांगन मैदान में हैं. जय सिंह अग्रवाल की पकड़ इलाके में मजबूत मानी जाती है. समाज के सभी वर्गों में उनकी पहुंच हैं. जनता के बीच हमेशा मौजूद करने वाले नेता के रुप में उनकी गिनती होती है. जबकी लखनलाल देवांगन की भी जनता के बीच अच्छी पैठ है. इस बार कोरबा सीट पर मुकाबला जोरदार होगा.
तखतपुर विधानसभा सीट: बिलासपुर का तखतपुर विधानसभा सीट इस बार हाई प्रोफाइल सीट बन गया है. जोगी कांग्रेस को बाय बाय कर बीजेपी में आए धर्मजीत सिंह को बीजेपी ने यहां से उतारा है. धर्मजीत सिंह की पहचान इलाके में जमीनी नेता के रुप में होती है. कांग्रेस ने यहां से रश्मि सिंह को टिकट दिया है. रश्मि सिंह को इलाके में दबंग नेता के तौर पर माना जाता है. बीजेपी को उम्मीद है कि धर्मजीत सिंह के सहारे वो इस बार तखतपुर सीट पर कब्जा जमा सकती है.
22 सीटों पर फाइट टाइट: जिन 70 सीटों पर दूसरे चरण में मतदान होना है उसमें 22 सीटें ऐसी हैं जिनपर हार और जीत का अंतर कम वोटों से होगा. इन 22 सीटों पर मुकाबला कांटे का होगा क्योंकि इन सीटों पर दिग्गजों की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है. दोनों ही दल अपनी पारंपरिक सीट और दिग्गजों की प्रतिष्ठा बचाने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रहे हैं. यहां कौन बाजी मारेगा, कौन बाजी पलटेगा ये नतीजों से ही पता चलेगा. इतना तय है कि इन सीटों पर फाइट टाइट होगी.