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रायपुर में मिट्टी के बर्तनों की बढ़ी डिमांड, कुम्हारों के चेहरे पर लौटी रौनक

रायपुर में शादी-ब्याह का सीजन आते ही कुम्हारों के दुकानों (Raipur Pottery Market) में भीड़ सजने लगी है. मिट्टी के बर्तनों की इस बार डिमांड काफी अधिक हो रही है. जिससे इस बार कुम्हारों को अच्छी ग्राहकी की उम्मीद है.

Increased demand for pottery in Raipur
रायपुर में मिट्टी के बर्तनों की बढ़ी डिमांड
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Published : Apr 20, 2022, 6:43 PM IST

Updated : Apr 20, 2022, 9:16 PM IST

रायपुर: खरमास खत्म होने के साथ ही फिर एक बार शादी-ब्याह का सीजन शुरू हो गया (Raipur Pottery Market) है. अप्रैल से जुलाई महीने तक शादी ब्याह के लगभग 42 मुहूर्त हैं. ऐसे में लोग शादी-ब्याह की तैयारी में जुट गए हैं. बाजार में मिट्टी के बने नांदी, कलसा, दीया जैसे चीजों की मांग भी बढ़ गई है. इस गर्मी के सीजन में मिट्टी के बने घड़े की बिक्री भी बढ़ गई है. पिछले 2 सालों तक कोरोना की वजह से शादी ब्याह जैसे आयोजन बंद होने के कारण कुम्हार परिवारों का धंधा भी पूरी तरह से चौपट हो गया था, जो वापस पटरी पर लौट आया है.

कुम्हारों के चेहरे पर लौटी रौनक

मंगल का प्रतीक है मिट्टी: बता दें कि मिट्टी को मंगल ग्रह का प्रतीक माना जाता है. मंगल साहस पराक्रम में वृद्धि करता है. तेल को शनि का प्रतीक माना जाता है. शनि को न्याय और भाग्य का देवता कहा जाता है. मिट्टी का दीपक जलाने से मंगल और शनि की कृपा प्राप्त होती है.

इस बार अच्छी ग्राहकी की उम्मीद: बीते 2 सालों तक कोरोना और लॉकडाउन की वजह से कुम्हार परिवारों का कारोबार पूरी तरह से चौपट हो गया था. कोरोना संक्रमण की रफ्तार थमने के बाद मिट्टी के बने कलसा, नांदी, दीया और घड़े की डिमांड पहले की तुलना में बढ़ गई है. कुम्हारों के चेहरे पर रौनक लौट आई है. इस विषय में दुकानदार लीलाबाई चक्रधारी कहती हैं कि, 2 सालों तक कोरोना की वजह से व्यापार पूरी तरह से चौपट हो गया था. लेकिन इस साल उन्हें अच्छी ग्राहकी और व्यवसाय की उम्मीद है. क्योंकि फिर एक बार शादी-ब्याह का सीजन 3 माह तक चलेगा. शादी-ब्याह के आयोजन में मिट्टी के बने कलसा. नंदी और दीये की मांग भी बढ़ गई है. मिट्टी के इन सामानों का धार्मिक महत्व भी है.

यह भी पढ़ें: बिलासपुर में मिट्टी के बोतलों की बढ़ी डिमांड, जानिए इस बोतल में क्या है खास ?

कारोबार पर अब भी कोरोना का खौफ: मिट्टी के सामान बेचने वाले गिरधर चक्रधारी का कहना है कि, बीते 2 सालों में कोरोना की वजह से इनको काफी नुकसान हुआ है. यही कारण है कि इस साल कोरोना के डर के कारण मिट्टी के सामान बनाने वाले लोग भी इस बार कम सामान बना रहे हैं. जिसके कारण बाजार में इन सामानों की आपूर्ति भी कम है. कुछ कुम्हार परिवार बैंक से लोन लेकर इस व्यवसाय को करते थे. लेकिन कई तरह के दस्तावेज के झंझट से कुम्हार अब ब्याज पर पैसा लेकर अपना व्यवसाय कर रहे हैं.

अभी बाजार में है तेजी: दुकानदार लेख नारायण चक्रधारी का कहना है कि, कोरोना का असर अब बाजार पर नहीं दिख रहा. लोग मिट्टी के बर्तनों की खरीदी करने बाजार भी पहुंच रहे हैं. दिन में कम से कम 15 से 20 ग्राहक दुकानों से सामान ले रहे हैं. व्यवसाय और ग्राहकी दोनों अच्छी चल रही है. आने वाले दिनों में भी इसी तरह की ग्राहकी की उम्मीद दुकानदार को है.

रायपुर: खरमास खत्म होने के साथ ही फिर एक बार शादी-ब्याह का सीजन शुरू हो गया (Raipur Pottery Market) है. अप्रैल से जुलाई महीने तक शादी ब्याह के लगभग 42 मुहूर्त हैं. ऐसे में लोग शादी-ब्याह की तैयारी में जुट गए हैं. बाजार में मिट्टी के बने नांदी, कलसा, दीया जैसे चीजों की मांग भी बढ़ गई है. इस गर्मी के सीजन में मिट्टी के बने घड़े की बिक्री भी बढ़ गई है. पिछले 2 सालों तक कोरोना की वजह से शादी ब्याह जैसे आयोजन बंद होने के कारण कुम्हार परिवारों का धंधा भी पूरी तरह से चौपट हो गया था, जो वापस पटरी पर लौट आया है.

कुम्हारों के चेहरे पर लौटी रौनक

मंगल का प्रतीक है मिट्टी: बता दें कि मिट्टी को मंगल ग्रह का प्रतीक माना जाता है. मंगल साहस पराक्रम में वृद्धि करता है. तेल को शनि का प्रतीक माना जाता है. शनि को न्याय और भाग्य का देवता कहा जाता है. मिट्टी का दीपक जलाने से मंगल और शनि की कृपा प्राप्त होती है.

इस बार अच्छी ग्राहकी की उम्मीद: बीते 2 सालों तक कोरोना और लॉकडाउन की वजह से कुम्हार परिवारों का कारोबार पूरी तरह से चौपट हो गया था. कोरोना संक्रमण की रफ्तार थमने के बाद मिट्टी के बने कलसा, नांदी, दीया और घड़े की डिमांड पहले की तुलना में बढ़ गई है. कुम्हारों के चेहरे पर रौनक लौट आई है. इस विषय में दुकानदार लीलाबाई चक्रधारी कहती हैं कि, 2 सालों तक कोरोना की वजह से व्यापार पूरी तरह से चौपट हो गया था. लेकिन इस साल उन्हें अच्छी ग्राहकी और व्यवसाय की उम्मीद है. क्योंकि फिर एक बार शादी-ब्याह का सीजन 3 माह तक चलेगा. शादी-ब्याह के आयोजन में मिट्टी के बने कलसा. नंदी और दीये की मांग भी बढ़ गई है. मिट्टी के इन सामानों का धार्मिक महत्व भी है.

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कारोबार पर अब भी कोरोना का खौफ: मिट्टी के सामान बेचने वाले गिरधर चक्रधारी का कहना है कि, बीते 2 सालों में कोरोना की वजह से इनको काफी नुकसान हुआ है. यही कारण है कि इस साल कोरोना के डर के कारण मिट्टी के सामान बनाने वाले लोग भी इस बार कम सामान बना रहे हैं. जिसके कारण बाजार में इन सामानों की आपूर्ति भी कम है. कुछ कुम्हार परिवार बैंक से लोन लेकर इस व्यवसाय को करते थे. लेकिन कई तरह के दस्तावेज के झंझट से कुम्हार अब ब्याज पर पैसा लेकर अपना व्यवसाय कर रहे हैं.

अभी बाजार में है तेजी: दुकानदार लेख नारायण चक्रधारी का कहना है कि, कोरोना का असर अब बाजार पर नहीं दिख रहा. लोग मिट्टी के बर्तनों की खरीदी करने बाजार भी पहुंच रहे हैं. दिन में कम से कम 15 से 20 ग्राहक दुकानों से सामान ले रहे हैं. व्यवसाय और ग्राहकी दोनों अच्छी चल रही है. आने वाले दिनों में भी इसी तरह की ग्राहकी की उम्मीद दुकानदार को है.

Last Updated : Apr 20, 2022, 9:16 PM IST
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