रायपुर: सावित्रीबाई फुले पहली महिला शिक्षक होने के साथ साथ समाजसुधारक और एक कवयित्री भी थीं. आज 10 मार्च को सावित्रीबाई फुले की पुण्यतिथी है. छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह के साथ ही तमाम नेताओं ने सावित्री बाई फूले के योगदान को याद किया.
नेताओं ने सोशल मीडिया पर किया याद: जिस जमाने में महिलाओं को घर के अंदर ही पर्दे में रहना पड़ता था, उस जमाने में महिलाओं के हक के लिए इन्होंने आवाज उठाया. महिलाओं के अधिकार के लिए कई बदलाव किए. इतिहास रचने वाली इस महान महिला को पुण्यतिथि के मौके पर सीएम भूपेश बघेल और छत्तीसगढ़ के पूर्व सीएम रमन सिंह ने ट्वीट कर श्रद्धांजलि अर्पित की है.
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मुख्यमंत्री श्री @bhupeshbaghel ने समाज सुधारिका व मराठी कवयित्री श्रीमती #सावित्रीबाई_फुले की पुण्यतिथि पर उन्हें नमन किया।
— CMO Chhattisgarh (@ChhattisgarhCMO) March 10, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
श्री बघेल ने कहा कि उन्होंने दलितों की सेवा, महिलाओं के सशक्तीकरण और शिक्षा के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया।उनके कार्य हमें हमेशा प्रेरणा देते रहेंगे।
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— CMO Chhattisgarh (@ChhattisgarhCMO) March 10, 2023
श्री बघेल ने कहा कि उन्होंने दलितों की सेवा, महिलाओं के सशक्तीकरण और शिक्षा के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया।उनके कार्य हमें हमेशा प्रेरणा देते रहेंगे।मुख्यमंत्री श्री @bhupeshbaghel ने समाज सुधारिका व मराठी कवयित्री श्रीमती #सावित्रीबाई_फुले की पुण्यतिथि पर उन्हें नमन किया।
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श्री बघेल ने कहा कि उन्होंने दलितों की सेवा, महिलाओं के सशक्तीकरण और शिक्षा के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया।उनके कार्य हमें हमेशा प्रेरणा देते रहेंगे।
9 वर्ष की उम्र में हुई शादी: इस महान महिला का जन्म महाराष्ट्र में 3 जनवरी 1831 को हुआ था. इनके पिता का नाम खंडोजी नेवसे, मां का नाम लक्ष्मीबाई था. साल 1840 में 9 साल की आयु में सावित्रीबाई की शादी 12 साल के ज्योतिराव फुले से हो गई थी.
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आधुनिक भारत में नारीशक्ति की प्रेरणास्त्रोत प्रथम शिक्षिका सावित्रीबाई फुले जी की पुण्यतिथि पर उन्हें बारम्बार नमन।
— Dr Raman Singh (@drramansingh) March 10, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
समाज की कुरीतियों के विरुद्ध मुखर होकर महिला सशक्तिकरण की चेतना जागृत करने सावित्रीबाई फुले जी ने जो संघर्ष किया वह योगदान सदैव स्मरणीय रहेगा।#SavitribaiPhule pic.twitter.com/PUu2y9vf0Q
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— Dr Raman Singh (@drramansingh) March 10, 2023
समाज की कुरीतियों के विरुद्ध मुखर होकर महिला सशक्तिकरण की चेतना जागृत करने सावित्रीबाई फुले जी ने जो संघर्ष किया वह योगदान सदैव स्मरणीय रहेगा।#SavitribaiPhule pic.twitter.com/PUu2y9vf0Qआधुनिक भारत में नारीशक्ति की प्रेरणास्त्रोत प्रथम शिक्षिका सावित्रीबाई फुले जी की पुण्यतिथि पर उन्हें बारम्बार नमन।
— Dr Raman Singh (@drramansingh) March 10, 2023
समाज की कुरीतियों के विरुद्ध मुखर होकर महिला सशक्तिकरण की चेतना जागृत करने सावित्रीबाई फुले जी ने जो संघर्ष किया वह योगदान सदैव स्मरणीय रहेगा।#SavitribaiPhule pic.twitter.com/PUu2y9vf0Q
ऐसे की थी शुरुआत: जब लड़कियों की शिक्षा पर पाबंदी थी, तब सावित्रीबाई और ज्योतिराव ने महज 9 विद्यार्थियों को लेकर एक स्कूल की शुरुआत की थी.
दलितों के पक्ष में उठाया आवाज: पहले दलितों को कुएं पर पानी लेने की मनाही हुआ करती थी. उन्होंने दलितों के लिए एक कुआं बनाया ताकि दलित भी साफ पानी पी सकें. हालांकि कुआं बनने के बाद उनका काफी विरोध भी हुआ.
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ब्रिटिश सरकार ने किया सम्मानित: सावित्रीबाई फुले और उनके पति को महिला शिक्षा के क्षेत्र में योगदान के लिए 1852 में ब्रिटिश सरकार ने सम्मानित किया था. इतना ही नहीं सावित्रीबाई के सम्मान में डाक टिकट, केंद्र और महाराष्ट्र सरकार ने उनकी स्मृति में कई पुरस्कारों की स्थापना की.