रायपुर : एक तरफ कोरोना वायरस, दूसरी तरफ लॉकडाउन. संकट की इस स्थिति में भी भ्रष्टाचारी ठीक होने का नाम नहीं ले रहे हैं. इस बार उनकी नजर पड़ी है बच्चों को स्कूल में दिए जाने वाले मिड डे मील पर.
लॉकडाउन के कारण छत्तीसगढ़ सरकार ने स्कूली छात्रों को मिड डे मील के बदले सूखा राशन देने की योजना बनाई है.इसी के तहत अभनपुर के कोलियारी गांव के शासकीय प्राथमिक स्कूल में भी बच्चों को मिड डे मील के बदले सूखा चावल और दाल दिया गया, जिसमें 40 दिन के राशन में प्राथमिक स्कूल के बच्चों को 4 किलो चावल और 800 ग्राम दाल दी गई और हाईस्कूल के बच्चों को 6 किलो चावल और 1200 ग्राम दाल दी गई.बच्चों के पालकों ने जब राशन की तौलाई की तो चावल 300 ग्राम कम और दाल 50 ग्राम कम निकला जिसके बाद सभी पालक स्कूल पहुंच गए और हंगामा करने लगे.
गांववालों ने स्कूल प्रशासन और स्व सहायता समूह पर मिड डे मील का राशन हड़पने का आरोप लगाया, जिसके बाद काफी हंगामा होने के बाद स्व सहायता समूह और स्कूल प्रशासन ने खुद का बचाव करते हुए इलेक्ट्रॉनिक तराजू की खराबी बताते हुए बचा हुआ राशन देना शुरू किया.
मामले की शिकायत मिलने के बाद SDM ने BRCC बी आर बघेल को जांच के लिए स्कूल भेजा. बघेल ने प्रारंभिक जांच में स्व-सहायता समूह और प्रधानपाठक को दोषी माना है और जांच रिपोर्ट SDM को भेजने की बात कही.