राज्यसभा में गूंजा कोल ब्लॉक का मुद्दा - अधिग्रहण पर आपत्ति
केरल से राज्यसभा सांसद बिनॉय विश्वम ने खनन का मुद्दा उठाया. विश्वम ने केंद्रीय कोयला मंत्री से पूछा कि क्या कोल ब्लॉक के लिए जमीन अधिग्रहण से पेसा कानून के तहत ग्राम सभाओं की सहमति ली गई है.
रायपुर: केंद्र सरकार ने छत्तीसगढ़ के हसदेव अरण्य वन क्षेत्र में मदनपुर साउथ कोल ब्लॉक के लिए भूमि अधिग्रहण की प्रकिया शुरू की है. खनन के लिए चल रहे जमीन अधिग्रहण के मुद्दे पर केरल से राज्यसभा सांसद बिनॉय विश्वम ने राज्यसभा में सवाल उठाया. केंद्रीय कोयला एवं खनन मंत्री प्रहलाद जोशी ने सवालों के लिखित जवाब दिए हैं.
राज्यसभा सांसद विनॉय विश्ववम ने केंद्रीय कोयला मंत्री से पूछा कि क्या कोल ब्लॉक के लिए जमीन अधिग्रहण से पेसा कानून के तहत ग्राम सभाओं की सहमति ली गई है, इसपर केंद्रीय कोयला एवं खान मंत्री प्रहलाद जोशी ने लिखित उत्तर में बताया है कि अधिग्रहण कोल बियरर एक्ट के तहत की जा रही है. ऐसी स्थिति में ग्राम सभाओं से सहमति लेने का कोई प्रावधान ही नहीं है.
बता दें कि केंद्र सरकार ने 24 दिसंबर 2020 कोयला धारक क्षेत्र (अर्जन और विकास ) अधिनियम 1957 की धारा 7 की उप धारा (1) के प्रवाधानों का उपयोग करते हुए. भूमि अर्जन की अधिसूचना भारतीय राजपत्र में जारी की थी.
30 दिनों के भीतर आपत्ति करने का प्रावाधान
मंत्री प्रहलाद जोशी ने बताया है कि इसमें एक व्यवस्था है जिसके तहत अधिग्रहित की जा रही जमीन से जुड़े व्यक्ति अधिसूचना प्रकाशन के 30 दिनों के अंदर आपत्ति कर सकता है.
खनिज साधन विभाग ने आपत्ति जताई
केंद्रीय मंत्री प्रहलाद जोशी ने बताया कि छत्तीसगढ़ सरकार के खनिज साधन विभाग ने आपत्ति जताई है. जिसमें मदनपुर साउथ कोल ब्लॉक लेमरु एलिफेंट रिजर्व में होने की बात कही गई है. छत्तीसगढ़ के अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक ने भी इस अधिग्रहण पर आपत्ति की है. वहीं छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन के आलोक शुक्ला की आपत्ति भी शामिल है. स्थानीय गोंड और उरांव जनजातियों की ओर से भी एक आपत्ति की गई है. जिसमें कुल 468 लोगों के हस्ताक्षर भी हैं.
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पुनर्वास के लिए जमीन चिन्हित
मदनपुर साउथ कोल ब्लॉक क्षेत्र के 98 घरों को हटाने की जरूरत होगी. 78 घर आदिवासियों के हैं. पिछड़ा वर्ग के 6 और सामान्य वर्ग के 3 घरों के साथ ही अनुसूचित जातियों के 11 परिवारों के घर शामिल हैं. केंद्रीय मंत्री ने जानकारी में बताया है कि खदान लेने वाली आंध्र प्रदेश खनिज विकास निगम ने इनके पुनर्वास के लिए करीब 4 किलोमीटर दूर खिरती गांव में जमीन चिन्हित कर ली गई है. इसी के पास गिधमुड़ी-पतुरिया खदान से विस्थापित लोगों के लिए पुनर्वास की व्यवस्था की गई है.
502 हेक्टेयर वन भूमि पर अधिग्रहण की प्रक्रिया जारी
जानकारी के मुताबिक मदनपुर साउथ कोल ब्लॉक के लिए अधिग्रहण की प्रक्रिया में 502 हेक्टेयर वन भूमि है. 489 हेक्टेयर में संरक्षित वन है. मोरगा ओर केतमा गांव में स्थित 145 हेक्टेयर राजस्व वन भूमि भी इसके दायरे में है. अधिग्रहण अधिसूचना के मुताबिक 1.34 एकड़ सरकारी भूमि और 155 एकड़ निजी भूमि का भी अधिग्रहण किया जाएगा. पूरी जमीन कोरबा की पोड़ी उपरोड़ा तहसील के गांवों में है.
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लेमरु एलिफेंट रिजर्व की सीमा भी खनन क्षेत्र में
मदनपुर साउथ कोल ब्लॉक के लिए अधिग्रहण की प्रक्रिया जिस इलाके में चल रही है वहां राज्य सरकार उस पूरे क्षेत्र को लेमरु एलिफेंट रिजर्व की सीमा क्षेत्र में शामिल कर चुकी है. इस क्षेत्र में औद्योगिक गतिविधियों और वनों की कटाई से हाथियों और मानव के बीच द्वंद बढ़ने की भी आशंका है.
छत्तीसगढ़ में हलचल तेज
भारतीय राजपत्र में अधिसूचना जारी होने के बाद से स्थानीय ग्रामीणों ने भी इसका विरोध शुरू कर दिया था. उनका कहना है कि यहां खनन के लिए पेड़ काटे जाएंगे. जिससे हाथियों के आबादी वाले इलाकों में पहुंचने की आशंका है. ग्रामीणों के समर्थन में विधानसभा अध्यक्ष चरणदास महंत ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को पत्र लिख अधिग्रहण रोकने की बात कही थी. इसके अलावा 11 फरवरी को हसदेव अरण्य बचाओ संघर्ष समिति ने गुरुवार को मोरगा गांव में एक सम्मेलन का आयोजन किया है. इसमें प्रभावित गांवों के ग्रामीण शामिल होंगे.