रायपुर: दिल में जब जुनून हो और मन में जब कुछ कर गुजरने की ख्वाहिश तो फिर बंदिशें आपको रोक नहीं सकती. रायपुर के अंश पराशर पर ये लाइनें फिट बैठती हैं. 17 साल के अंश ने अंग्रेजी में 91 पेजों की किताब इनसाइट लिख डाली. अंग्रेजी कविता की ये किताब 300 कॉपियों में छपी भी और बिक भी गई. बचपन से ही पढ़ने लिखने के शौकीन रहे हैं अंश. अपनी किताब में अंश ने जिंदगी में आने वाले उतार चढ़ाव को लेकर काफी कुछ शायरी के अंदाज में लिखा है. अंश का लिखा लोगों को काफी पंसद भी आ रहा है.
17 की उम्र में छप गई कविताओं की किताब: 17 साल के युवा अंश फिलहाल हिदायतुल्लाह नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी से BA LLB की पढ़ाई कर रहे हैं. अंश पराशर के पिता अनिल तिवारी जिला न्यायालय में जज के पद पर कार्यरत हैं. अंश की मां केंद्रीय विद्यालय में शिक्षक पर पद पर तैनात हैं. कानून की पढ़ाई कर रहे अंश की इच्छा है कि लॉ की पढ़ाई के बाद वो सिविल सर्विसेज की तैयारी करें. ईटीवी भारत की टीम ने अंश पराशर से उनकी किताब और उनके भविष्य की योजनाओं को लेकर खास बातचीत की.
सवाल:आपको यह किताब लिखने प्रेरणा कहां से मिली ?
जवाब: ऐसा इंस्पिरेशन जैसा तो कुछ नहीं है मुझे बचपन से ही लिखने का बहुत शौक है तो मैं बचपन से ही कुछ ना कुछ लिखना आ रहा हूं. एक दिन मैंने देखा कि मेरी लिखी हुई पोयम को मैं एक बुक बनाकर पब्लिश कर सकता हूं, तो मैं उसे बुक का रूप देकर पब्लिश करवाया. बेसिक थीम जो इसका है वह टीनएज के दौरान जो परेशानियां आती हैं, मैंने जैसे स्कूल से कॉलेज तक का जो ट्रांजिशन पीरियड था उसपर मैंने ये किताब 'इनसाइट' लिखी. टीनएज में जो इंबैलेंस होता है लाइफ में यह बुक उसे पर आधारित है. मैं बचपन से ही कंटेंट राइटिंग लिखता आ रहा हूं. यह मेरा शौक है और बुक मैंने सबसे पहले यही लिखी है.
सवाल: यह पोयम की किताब लिखने के पहले आपने क्या अपनी राइटिंग को लेकर कभी किसी से चर्चा की ?
जवाब: मेरे जो दोस्त हैं मैं उन्हें अक्सर अपनी पोयम दिखाया करता था. मेरे फेवरेट पोएट जॉन किट्स हैं. वह नेचर की पोयम लिखने में बहुत अच्छे पोएट हैं तो इसीलिए मेरा पोयम लिखने का तरीका उनके तरीके से काफी ज्यादा मैच करता है. मैं हमेशा से उनके पोयम को काफी एडमायर करता आ रहा हूं. मेरे दोस्त मेरी पोयम को लेकर बहुत सपोर्टिव रहे हैं.
सवाल: आपके परिवार का रिएक्शन कैसा था इस बुक को लिखने के बाद ?
जवाब: मेरे पिता और माता अपने जॉब के अलावा हिंदी लिटरेचर और इंग्लिश लिटरेचर में काफी एक्टिव रहते हैं, उन्हें काफी पसंद है लिखना तो उन्होंने मुझे बहुत सपोर्ट किया. एक दिन मेरे पोयम इतने हो गए कि मैं इसे बुक बनकर पब्लिश कर सकता था. मैं अपने पिता को कहा तो मेरे पापा ने मुझे काफी सपोर्ट करते हुए इस बुक को पब्लिश करने में मदद की. मेरे माता-पिता दोनों का यह कहना है कि आगे भी जब तुम्हें बुक लिखकर पब्लिश करनी हो तो तुम पीछे मत हटना.
सवाल: इस बुक को लिखने में आपको कितना समय लगा ?
जवाब: इस बुक को लिखने में मुझे 4 से 6 महीने लगे. कॉलेज आने के बाद व्यस्तता इतनी हो जाती है कि आप रोज-रोज नहीं लिख पाते, इसलिए मुझे जब समय मिलता था मैं तब लिखना शुरू कर देता था, इसलिए मुझे लिखने में इतना लम्बा समय लग गया.
सवाल: इसमें आपने कितनी पोएट्री लिखी है ?
जवाब: इसमें 25 पोयम हैं जिसे मैंने चार क्षेत्र में डाला है. जिसमें एक कॉमन थीम है जो सभी क्षेत्र में है.
अंश की मां ने बताया कि अंश बचपन से ही कुछ क्रिएटिव करके उन्हें सरप्राइज करता रहता था. यह पहली बार नहीं है कि अंश ने इतनी कम उम्र में कुछ अच्छा किया हो. इसके पहले भी अंश ने अपनी ड्राइंग से अपनी समझदारी से अपने डिसीजन मेकिंग से अपने परिवार वालों को आश्चर्यचकित किया है.