रायपुर: तेज उठती लपटें और उनके बीच किसी उजड़ते आशियाने को बचाने की मंशा फायरकर्मियों में देखने को मिलती है. वे हर दिन आग से खेलकर अपने काम को अंजाम देते हैं. अपनी जान की फ्रिक किए बगैर ये फायरकर्मी लोगों को बचाने में लग जाते हैं. विश्व अग्निशमन दिवस पर ETV भारत सभी फायर फाइटर्स को सलाम करता है.
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4 जनवरी 1999 को ऑस्ट्रेलिया के जंगलों में लगी आग को बुझाने के क्रम में दुखद परिस्थितियों में 5 फायर फाइटर्स की मौत हो गई थी. इसके बाद दुनियाभर में ईमेल के जरिए एक प्रस्ताव भेजा गया, जिसे सभी ने एकमत से स्वीकार किया. सभी की सहमति से 4 मई का दिन निर्धारित किया गया. 4 मई को कई यूरोपीय देशों में एक पारंपरिक फायर फाइटर्स का दिवस हुआ करता था. इनके संरक्षक सेंट क्लोरीन का दिन है, जिसे अग्निशमन दिवस के रूप में मनाया जाने लगा.
ब्रिटिश काल में की गई थी रायपुर में फायर ब्रिगेड की स्थापना
राजधानी रायपुर में 1944 को फायर ब्रिगेड की स्थापना की गई. फायर सुपरिटेंडेंट एम अशरफी ने बताया कि राजधानी रायपुर में ब्रिटिश शासन काल के दौरान ही फायर ब्रिगेड की स्थापना कर दी गई थी, तब से लेकर अब तक लगातार अग्निशमन विभाग लोगों को सेवाएं दे रहे हैं. पहले ये विभाग नगर निगम के अंदर आता था, लेकिन अब राज्य सरकार के अंदर आता है. रायपुर अग्निशमन विभाग के पास 25 फायर फाइटर गाड़ियां हैं. इनमें से 10 गाड़ियां ऐसी हैं, जो 10 मंजिल तक पहुंच सकती है. इसके अलावा बंजिंग नेट भी उपलब्ध है.
कोरोना के खिलाफ जंग में दे रहे सहयोग
लोगों की सेवा करने का उद्देश्य रखने वाला ये विभाग कोरोना के खिलाफ छिड़ी जंग में भी सहयोग दे रहा है. फायर ब्रिगेड की गाड़ियां शहरों में सैनिटाइजर के छिड़काव का काम कर रही है. इसके लिए फायर फाइटर लगातार ड्यूटी कर रहे हैं.