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Raipur Congress plenary session: कांग्रेस में CWC मेंबर्स चुनाव नहीं होने की ये है बड़ी वजह

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Published : Feb 25, 2023, 2:35 PM IST

Updated : Feb 25, 2023, 3:39 PM IST

कांग्रेस के राष्ट्रीय अधिवेशन के पहले दिन स्टीयरिंग कमेटी की बैठक में बड़ा फैसला लिया गया है. अब CWC यानी कांग्रेस वर्किंग कमेटी का चुनाव नहीं करने का निर्णय लिया गया है. CWC के मेम्बर का चुनाव ना करा कर मनोनयन किया जाएगा. पार्टी अध्यक्ष CWC नियुक्त करने के लिए स्वतंत्र रहेंगे. आइये जानते हैं आखिर CWC मेंबर्स चुनाव नहीं कराने के पीछे बड़ी वजह क्या है.

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CWC मेंबर्स चुनाव नहीं होने के फैसले पर बीजेपी ने ये कहा
CWC मेंबर्स चुनाव नहीं होने के फैसले पर बीजेपी ने ये कहा

रायपुर: मनोनयन का अधिकार राष्ट्रीय अध्यक्ष को दिया गया है. साथ ही सभी वर्ग के लोगों को सीडब्ल्यूसी में जगह देने की बात कही गई है. कांग्रेस का यह फैसला कितना लाभदायक होगा. जानकार इस फैसले को किस तरह से देखते हैं. भाजपा क्या कहती है.आइये जानते हैं.

भाजपा क्या कहती है: भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव का कहना है कि "कांग्रेस पार्टी का अपना हक है. अपना संविधान बनाने का. पर कांग्रेस पार्टी को इस बात को भी सोचना चाहिए कि जैसे वह दावा करते हैं कि हम लोकतांत्रिक पार्टी हैं. यह निर्णय उसके अनुरूप है कि नहीं. यह कांग्रेस को विचार करना चाहिए."

"कांग्रेस में कितना लोकतंत्र है": भाजपा महामंत्री ओपी चौधरी ने कहा कि "लोकतंत्र की दुहाई देने वाली कांग्रेस पार्टी ने गांधी परिवार को सीडब्ल्यूसी का आजीवन सदस्य बनाकर यह बता दिया है कि कांग्रेस में कितना लोकतंत्र है. छत्तीसगढ़ के मंत्रियों की खराब परफॉर्मेंस को देखते हुए छत्तीसगढ़ में बैठकर छत्तीसगढ़ के मंत्रियों के टिकट काटने का नियम बनाया गया है. 82 साल के राष्ट्रीय अध्यक्ष की पार्टी अब 50 फ़ीसदी से ज्यादा टिकट युवाओं को देगी और छत्तीसगढ़ से आने वाले लगभग सारे मंत्री 50 की उम्र से ज्यादा हैं."


क्या कहते हैं जानकार: वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक जानकार उचित शर्मा ने बताया कि "CWC में चुनाव की परंपरा रही है. चुनाव के जरिए 12 सदस्य चुने जाते हैं. 11 सदस्य को अध्यक्ष मनोनीत करते हैं. यानी कुल मिलाकर सीडब्ल्यूसी में 23 सदस्य होते हैं. सीडब्ल्यूसी सर्वोच्च कमेटी है. इसके मेंबर चुने जाते हैं. अभी यही एक बड़ा मुद्दा था. 1997 के बाद सीडब्ल्यूसी के चुनाव नहीं हुए थे. वहीं पुराने मेंबर ही बने हुए थे. यह एक नया विषय था. यह महत्वपूर्ण विषय था. जिसकी चर्चा यहां पर होनी थी. पहले 11 सदस्य अध्यक्ष मनोनीत करते थे. अब सभी 23 सदस्य अध्यक्ष मनोनीत करेंगे.वे अब अपने ढंग से चयन करेंगे, चुनाव नहीं होगा."

क्या फायदा होगा: वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक जानकार उचित शर्मा ने आगे बताया कि "कांग्रेस ने बाकायदा कैटेगरी बांटी है. उन्होंने निर्णय लिया है कि कैटेगरी वाइस जैसे एसटी, एससी, पिछड़े वर्ग के कितने, महिलाओं से कितने युवाओं से कितने यह उन्होंने कैटेगरी वाइज किया हुआ है. उस हिसाब से सभी को प्रतिनिधित्व मिलेगा. उनकी रिप्रेजेंटेशन होगी. वहां पर तो निश्चित तौर पर यह जो है, जहां से मैं देख रहा हूं कि यह थोड़ी सी स्थिति बनेगी कि चुनाव के बाद गुटबाजी की परंपरा से खत्म होते दिखेगी. एक अच्छी परंपरा है जो अध्यक्ष ने चुन लिया वह फाइनल मान लिया जाएगा."

"पार्टी में गुटबाजी से ऊपर उठकर बात होगी": वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक जानकार उचित शर्मा ने आगे बताया कि "कांग्रेस के इस निर्णय से पार्टी में गुटबाजी से ऊपर उठकर बात होगी. इसे मैं एक अच्छी परंपरा मैं मानता हूं कि सर्वसम्मति से किसी व्यक्ति का नाम लेकर चयन करें. हालांकि खड़गे जी ने बोला कि आप लोग जो निर्णय लेंगे खुलकर बात करिए. जो निर्णय आप लेंगे मुझे स्वीकार होंगे और अपनी बातें खुल के रखिए, खुलकर बातें होगी और जिसका अधिकार क्षेत्र पूरा का पूरा अध्यक्ष को दे दिया गया है, तो यह अच्छी परंपरा की शुरुआत है. ऐसा मैं समझता हूं. इसमें कुछ संशोधन के साथ उन लोग आगे बढ़ेंगे."

"अधिवेशन की ये है बड़ी चुनौती": वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक जानकार उचित शर्मा ने आगे बताया कि "यह तमाम चीजें जो चिंतन शिविर में इनकी बातें हुई थी. उसको लागू और एग्जीक्यूट करने के लिए शायद निर्णय लिए जा सकते हैं. ऐसा मुझे लगता है तो यह गुटबाजी खत्म होने के लिए ही इनके पूरे प्रयास रहेंगे. इनका फोकस रहेगा कि किस तरीके के गुटबाजी छत्तीसगढ़ में जिस तरीके की गुटबाजी है, राजस्थान में है, मध्य प्रदेश में है. कैसे आने वाले समय में विधानसभा और लोकसभा के चुनाव में सफल हो पाते हैं. यह एक बड़ी चुनौती इस अधिवेशन की रहेगी."

यह भी पढ़ें: प्रियंका गांधी के लिए हवा से 1 किलोमीटर तक बरसा गुलाब, रायपुर में ये क्या हो रहा है


"सभी वर्ग को मिलेगी तवज्जो": वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक जानकार उचित शर्मा ने आगे बताया कि "देखिए यह एक हाइपोथेटिकल क्वेश्चन हुआ. हर जगह है. वरिष्ठ कौन है. इसी में सभी राजनीतिक पार्टियां मधि हुई है. लेकिन इनका जो उदयपुर का शिविर हुआ था. उसमें जो निर्णय लिया गया था कि युवाओं को भी तवज्जो मिलेगी. 50% युवाओं को पदों पर बैठाया जाएगा। एक उम्र निश्चित की जाएगी. जो एक उम्र के बाद चुनाव लड़ने नहीं दिया जाएगा. एक ही परिवार के सदस्य को टिकट दी जाएगी. किसी का पुत्र अगर काम कर रहा है तो 5 साल पार्टी में काम करते रहना चाहिए. जरूरी हो जाएगा."

CWC मेंबर्स चुनाव नहीं होने के फैसले पर बीजेपी ने ये कहा

रायपुर: मनोनयन का अधिकार राष्ट्रीय अध्यक्ष को दिया गया है. साथ ही सभी वर्ग के लोगों को सीडब्ल्यूसी में जगह देने की बात कही गई है. कांग्रेस का यह फैसला कितना लाभदायक होगा. जानकार इस फैसले को किस तरह से देखते हैं. भाजपा क्या कहती है.आइये जानते हैं.

भाजपा क्या कहती है: भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव का कहना है कि "कांग्रेस पार्टी का अपना हक है. अपना संविधान बनाने का. पर कांग्रेस पार्टी को इस बात को भी सोचना चाहिए कि जैसे वह दावा करते हैं कि हम लोकतांत्रिक पार्टी हैं. यह निर्णय उसके अनुरूप है कि नहीं. यह कांग्रेस को विचार करना चाहिए."

"कांग्रेस में कितना लोकतंत्र है": भाजपा महामंत्री ओपी चौधरी ने कहा कि "लोकतंत्र की दुहाई देने वाली कांग्रेस पार्टी ने गांधी परिवार को सीडब्ल्यूसी का आजीवन सदस्य बनाकर यह बता दिया है कि कांग्रेस में कितना लोकतंत्र है. छत्तीसगढ़ के मंत्रियों की खराब परफॉर्मेंस को देखते हुए छत्तीसगढ़ में बैठकर छत्तीसगढ़ के मंत्रियों के टिकट काटने का नियम बनाया गया है. 82 साल के राष्ट्रीय अध्यक्ष की पार्टी अब 50 फ़ीसदी से ज्यादा टिकट युवाओं को देगी और छत्तीसगढ़ से आने वाले लगभग सारे मंत्री 50 की उम्र से ज्यादा हैं."


क्या कहते हैं जानकार: वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक जानकार उचित शर्मा ने बताया कि "CWC में चुनाव की परंपरा रही है. चुनाव के जरिए 12 सदस्य चुने जाते हैं. 11 सदस्य को अध्यक्ष मनोनीत करते हैं. यानी कुल मिलाकर सीडब्ल्यूसी में 23 सदस्य होते हैं. सीडब्ल्यूसी सर्वोच्च कमेटी है. इसके मेंबर चुने जाते हैं. अभी यही एक बड़ा मुद्दा था. 1997 के बाद सीडब्ल्यूसी के चुनाव नहीं हुए थे. वहीं पुराने मेंबर ही बने हुए थे. यह एक नया विषय था. यह महत्वपूर्ण विषय था. जिसकी चर्चा यहां पर होनी थी. पहले 11 सदस्य अध्यक्ष मनोनीत करते थे. अब सभी 23 सदस्य अध्यक्ष मनोनीत करेंगे.वे अब अपने ढंग से चयन करेंगे, चुनाव नहीं होगा."

क्या फायदा होगा: वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक जानकार उचित शर्मा ने आगे बताया कि "कांग्रेस ने बाकायदा कैटेगरी बांटी है. उन्होंने निर्णय लिया है कि कैटेगरी वाइस जैसे एसटी, एससी, पिछड़े वर्ग के कितने, महिलाओं से कितने युवाओं से कितने यह उन्होंने कैटेगरी वाइज किया हुआ है. उस हिसाब से सभी को प्रतिनिधित्व मिलेगा. उनकी रिप्रेजेंटेशन होगी. वहां पर तो निश्चित तौर पर यह जो है, जहां से मैं देख रहा हूं कि यह थोड़ी सी स्थिति बनेगी कि चुनाव के बाद गुटबाजी की परंपरा से खत्म होते दिखेगी. एक अच्छी परंपरा है जो अध्यक्ष ने चुन लिया वह फाइनल मान लिया जाएगा."

"पार्टी में गुटबाजी से ऊपर उठकर बात होगी": वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक जानकार उचित शर्मा ने आगे बताया कि "कांग्रेस के इस निर्णय से पार्टी में गुटबाजी से ऊपर उठकर बात होगी. इसे मैं एक अच्छी परंपरा मैं मानता हूं कि सर्वसम्मति से किसी व्यक्ति का नाम लेकर चयन करें. हालांकि खड़गे जी ने बोला कि आप लोग जो निर्णय लेंगे खुलकर बात करिए. जो निर्णय आप लेंगे मुझे स्वीकार होंगे और अपनी बातें खुल के रखिए, खुलकर बातें होगी और जिसका अधिकार क्षेत्र पूरा का पूरा अध्यक्ष को दे दिया गया है, तो यह अच्छी परंपरा की शुरुआत है. ऐसा मैं समझता हूं. इसमें कुछ संशोधन के साथ उन लोग आगे बढ़ेंगे."

"अधिवेशन की ये है बड़ी चुनौती": वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक जानकार उचित शर्मा ने आगे बताया कि "यह तमाम चीजें जो चिंतन शिविर में इनकी बातें हुई थी. उसको लागू और एग्जीक्यूट करने के लिए शायद निर्णय लिए जा सकते हैं. ऐसा मुझे लगता है तो यह गुटबाजी खत्म होने के लिए ही इनके पूरे प्रयास रहेंगे. इनका फोकस रहेगा कि किस तरीके के गुटबाजी छत्तीसगढ़ में जिस तरीके की गुटबाजी है, राजस्थान में है, मध्य प्रदेश में है. कैसे आने वाले समय में विधानसभा और लोकसभा के चुनाव में सफल हो पाते हैं. यह एक बड़ी चुनौती इस अधिवेशन की रहेगी."

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"सभी वर्ग को मिलेगी तवज्जो": वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक जानकार उचित शर्मा ने आगे बताया कि "देखिए यह एक हाइपोथेटिकल क्वेश्चन हुआ. हर जगह है. वरिष्ठ कौन है. इसी में सभी राजनीतिक पार्टियां मधि हुई है. लेकिन इनका जो उदयपुर का शिविर हुआ था. उसमें जो निर्णय लिया गया था कि युवाओं को भी तवज्जो मिलेगी. 50% युवाओं को पदों पर बैठाया जाएगा। एक उम्र निश्चित की जाएगी. जो एक उम्र के बाद चुनाव लड़ने नहीं दिया जाएगा. एक ही परिवार के सदस्य को टिकट दी जाएगी. किसी का पुत्र अगर काम कर रहा है तो 5 साल पार्टी में काम करते रहना चाहिए. जरूरी हो जाएगा."

Last Updated : Feb 25, 2023, 3:39 PM IST
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