रायपुर: छत्तीसगढ़ में बीते कई महीनों से खाद की किल्लत का मुद्दा गरमाया (shortage of fertilizers in Chhattisgarh) हुआ है. एक तरफ बघेल सरकार ने मोदी सरकार पर खाद आवंटन को लेकर पक्षपात का आरोप लगाया है तो दूसरी तरफ बीजेपी ने बघेल सरकार पर छत्तीसगढ़ में खाद की कालाबाजारी (Politics on shortage of fertilizers in Chhattisgarh) नहीं रोकने का आरोप लगाया है.
बीजेपी ने खाद की किल्लत पर बघेल सरकार को घेरा: बीजेपी ने आरोप लगाया है कि छत्तीसगढ़ की सोसायटी में खाद उपलब्ध नहीं है. ओपन मार्केट में खाद तीन गुना कीमत पर मिल रहा है. बीजेपी किसान मोर्चा ने गुरुवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर खाद की किल्लत पर बघेल सरकार को घेरा. भाजपा किसान मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष श्याम बिहारी जायसवाल ने बताया कि " जब से प्रदेश में कांग्रेस की सरकार आई है हर साल खाद और यूरिया की कमी देखने को मिलती है. कांग्रेस की सरकार ने पिछले 3 सालों में सिर्फ किसानों को छलने (BJP targets Baghel government on shortage of fertilizers) का काम किया है"
"केंद्र की योजनाओं से किसानों को वंचित कर रही बघेल सरकार": बीजेपी किसान मोर्चा ने बघेल सरकार पर गंभीर आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि "प्रदेश में कांग्रेस की सरकार आने के बाद बीते तीन वर्षों में धान का समर्थन मूल्य केंद्र सरकार ने 300 रुपये तक बढ़ाया है. लेकिन बघेल सरकार की तरफ से इस वृद्धि से किसानों को वंचित करने का कार्य किया जा रहा है. इसी तरह राशन आवंटन में भी पांच रुपये प्रति किलो की दर पर मिलने वाले राशन का लाभ छत्तीसगढ़ की जनता को नहीं मिल पा रहा है".
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"किसानों को 2800 रुपये प्रति क्विंटल धान की राशि मिलनी चाहिए": बीजेपी ने बघेल सरकार से मांग की है कि किसानों को प्रति क्विंटल 2800 रुपये की दर से धान की राशि मिलनी चाहिए. भूपेश बघेल को केंद्र के बढ़ाए दर और अंतर की राशि को जोड़कर इसका भुगतान करना चाहिए. बीजेपी ने बघेल सरकार के किसानों के साथ छलावा नहीं करने की मांग की है.
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कृषि मंत्री रविंद्र चौबे के बयान से खाद की कालाबाजारी को मिला बढ़ावा: बीजेपी किसान मोर्चा कार्यसमिति के सदस्य संदीप शर्मा ने बताया कि " कांग्रेस सरकार के कृषि मंत्री द्वारा लगातार खाद की आपूर्ति को लेकर गलत बयानी की जाती रही है. जिसके परिणाम स्वरूप खाद की कालाबाजारी को बढ़ावा मिलता है. किसानों का शोषण होता है. इस प्रकार की बयानबाजी पिछले साल भी की गई थी और कहा गया था कि खरीफ के लिए केंद्र ने मात्र 6 लाख टन खाद बताया लेकिन वास्तव में केंद्र सरकार द्वारा 11.8 लाख टन खाद दिया गया. जिसको बाद में राज्य सरकार द्वारा खुद जारी आंकड़ों में केंद्र सरकार द्वारा मिलना बताया है "