रायपुर : छत्तीसगढ़ के सियासी गलियारों में इन दिनों ढाई-ढाई साल के सीएम पद के फॉर्मूले की चर्चा जोर-शोर से हो रही है. पहले स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव का बयान आया. विपक्ष ने भी इस मुद्दे को लपका और आग में घी डालने का काम किया. इसका असर भी दिखा. खुद सीएम ने इस मुद्दे पर बेबाकी से बयान दिया. भूपेश बघेल ने कह दिया है कि अगर आलाकमान का आदेश होगा तो वे तुरंत इस्तीफा देने के लिए तैयार हैं. भूपेश बघेल ने यह तक कहा कि उन्हें पद का मोह नहीं है.
सीएम के बयान पर टीएस सिंहदेव ने कहा है कि हम कांग्रेस के अनुशासित जनप्रतिनिधि हैं और अनुशासित सिपाही भी हैं. हाईकमान से जो निर्णय होते हैं, हाईकमान से जो डायरेक्शन मिलते हैं, हम उसका पालन करते हैं. वही बात भूपेश भाई ने कही है. वही हम लोग पहले दिन से कहते आ रहे हैं. हाईकमान के डायरेक्शन को हम लोग पूरी तरह से मानते हैं. उसका संपूर्ण आदर करते हैं. उसी हिसाब से काम करते हैं.
विपक्ष की चाल!
सीएम के इन बातों को हवा देने वाले बयान पर सिंहदेव ने कहा कि उनका इशारा विपक्ष की ओर है. विपक्ष के पास कोई दूसरा मुद्दा नहीं है. कुछ दिनों से रमन सिंह और नेता प्रतिपक्ष के माध्यम से यह बयान आ रहे हैं.
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ढाई साल का फॉर्मूला आखिर क्या है?
सिंहदेव ने ढाई-ढाई साल सीएम पद के फॉर्मूले पर एक बार फिर कहा है कि यह सब फिक्स नहीं रहता. हाईकमान तय करता है.
ढाई साल बाद कुछ परिवर्तन होगा या नहीं?
सिंहदेव से जब पूछा गया कि ढाई साल बाद कुछ बदलेगा या नहीं तो उन्होंने एक बार फिर कहा कि यह सब हाईकमान तय करेगा.
ETV भारत से कहा था, राजनीति में कुछ स्थायी नहीं
स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने कुछ दिन पहले ही ETV भारत से ढाई-ढाई साल के फॉर्मूले पर कहा था कि 'कार्य अवधि किसी की तय नहीं रहती. हमने अर्जुन सिंह के रूप में दो दिन का मुख्यमंत्री भी देखा और 15-15 साल का सीएम भी देख रहे हैं. 'सिंहदेव ने कहा कि 'समय और परिस्थिति के हिसाब से हाईकमान इसका निर्णय करता है.' ईटीवी भारत से बातचीत में उन्होंने कहा था कि राजनीति में कुछ स्थायी नहीं होता. सिंहदेव ने ये भी कहा कि कई बार नाराजगी के साथ भी काम करना होता है. कई ऐसे मौके आए जब एक ही शहर में साथ होने पर भी मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव साथ नहीं नजर आए.
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अपने संभाग के सीनियर लीडर्स की अनदेखी से नाराज सिंहदेव !
अक्टूबर 2020 ही में एल्डरमैन की नियुक्ति के दौरान भी यह देखा गया कि सरकार में टीएस सिंहदेव के करीबियों को महत्व नहीं दिया. अंबिकापुर में कांग्रेस कार्यकर्ताओं से भेंट करने के दौरान टीएस सिंहदेव ने कहा था कि संघर्ष के दिनों में कांग्रेस के जिन कार्यकर्ताओं ने पार्टी को आगे ले जाने में भूमिका निभाई है, उन्हें छोड़ नए जुड़े लोगों को महत्व दिया जा रहा है. उन्होंने ये भी कहा कि हकीकत जान कर भी नकार नहीं सकते. सिंहदेव का बयान आने के बाद पार्टी के बड़े नेताओं में उनके बयान को लेकर सनसनी फैल गई थी. सरगुजा संभाग में टीएस बाबा की पकड़ है. यहां की सभी विधानसभा सीटों पर कांग्रेस का कब्जा है.
डिनर के बाद मिलने लगी थी चर्चाओं को हवा
हाल ही में अचानक कांग्रेस प्रदेश प्रभारी पीएल पुनिया, मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, पीसीसी चीफ मोहन मरकाम, कैबिनेट के कई मंत्री, विधायक और वरिष्ठ नेता देर रात टीएस सिंहदेव के बंगले पर पहुंचे. उस वक्त भी तरह-तरह के कयास लगाए जाने लगे कि टीएस सिंहदेव नाराज हैं, सीएम और उनके बीच की दूरी को कम करने के लिए ये डिनर रखा गया था. उस वक्त भी ढाई-ढाई साल के सीएम की चर्चाओं को हवा मिली थी.