रायपुरः हिन्दू धर्म (Hindu religion) में पितृ पक्ष (Pitri paksha)का एक अलग ही महत्व है. कहते हैं कि इस पक्ष में यानी कि इन 15 दिनों में कोई शुभ कार्य तो नहीं होता, लेकिन फिर भी ये 15 दिन काफी खास होते हैं. क्योंकि इन 15 दिनों में पितरों की पूजा (pitro ki puja) की जाती है. इसके साथ ही पूर्वजों को याद कर उन्हें हरिद्वार या फिर गया जाकर पिंडदान(pinddaan) किया जाता है. इस साल 20 सितंबर से पितृ पक्ष की शुरुआत हो रही है, जो कि 6 अक्टूबर को खत्म होगा. इन 15 दिनों में जो भी दान या पूजा होती है, वो सिर्फ पितरों के लिए. इन 15 दिनों में पितर के नाम से दान के साथ-साथ ब्राह्मणों को भोजन कराया जाता है.
शास्त्रों के अनुसार जो व्यक्ति जिस दिन यानी कि जिस तिथि के दिन मृत्यु को प्राप्त होता है, उसी तिथि को पितृ पक्ष में उस मृत व्यक्ति के लिए तर्पण कर पूजा अर्चना की जाती है. कई बार ऐसा होता है कि लोगों को मृत व्यक्ति की तिथि की जानकारी नहीं होती. ऐसे में अमावस्या के दिन उस व्यक्ति के नाम का पिंडदान कर पूजा की जाती है.
ये है पितृ पक्ष की सभी तिथियां
इस बार 20 सितंबर को श्राद्ध पूर्णिमा होगी, 21 को प्रतिपदा, 22 को द्वितीया, 23 को तृतीया, 24 को चतुर्थी, 25 को पंचमी, 26 को षष्ठी, 27 को सप्तमी, 28 को कोई श्राद्ध नहीं होगा. इसके अलावा 29 को अष्टमी, 30 को मातृ नवमी, 1 अक्तूबर को दशमी, 2 को एकादशी, 3को द्वादशी, 4 को त्रयोदशी, 5 को चतुर्दशी और 6 अक्तूबर को अमावस्या यानी कि पितृ पक्ष की समाप्ति के बाद मातृ पक्ष की शुरुआत.
शास्त्रों की मानें तो इस पक्ष में पूर्वजों के सम्मान में उनके लिए पूजा-पाठ के साथ दान-पुण्य किया जाता है. कई लोग तो इस पक्ष में सात्विक भोजन ही ग्रहण करते हैं. इसके साथ ही इन दिनों कोई भी शुभ काम जैसे शादी, मुंडन, गृह प्रवेश नहीं की जाती है. यहां तक कि लोग नए कपड़े भी इस दौरान नहीं पहना जाता और न ही कोई नया काम शुरू किया जाता है.
अगर पितर नाराज हो जाये तो मनुष्य हो जाता है कंगाल
कहते हैं कि अगर किसी के पितर नाराज हो जाये तो उस व्यक्ति का जीवन मुसीबतों से भर जाता है. इसलिए इस पक्ष में जिन व्यक्तियों के पितृ दोष होते हैं. वो दान-पुण्य के साथ पितरों की पूजा कर उन्हें प्रसन्न कर सकते हैं. साथ ही अपने पितृ दोष के साथ जीवन के हर कष्ट से मुक्त हो सकते हैं.