रायपुर: कोरोना संकट ने जब छत्तीसगढ़ में दस्तक दी, तो शुरुआती दौर में संक्रमितों के आंकड़े न के बराबर रहे, लेकिन देखते ही देखते इस महामारी ने पूरे प्रदेश को चपेट में ले लिया और कुल संक्रमितों की संख्या आज 2 हजार के करीब पहुंच गई. संकट के इस समय में इंसान दुआ मांगने आखिर किसके दर पर जाता. कोरोना संक्रमण को देखते हुए किए गए लॉकडाउन की वजह से मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारे सब बंद कर दिए गए. मंदिर सूने पड़ गए, घंटियों की गूंज जैसे गायब ही हो गई और भगवान भी अपने भक्तों को दर्शन न दे सके. मजबूरन लोग घरों में रहकर ही पूजा-पाठ करने लगे.
करीब ढाई महीने के लॉकडाउन के बाद 8 जून को केंद्र सरकार ने सभी धार्मिक स्थलों को खोलने की अनुमति दे दी. धार्मिक स्थलों में मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारा, चर्च, मजार शामिल हैं. सरकारी एडवाइजरी के मुताबिक इन धार्मिक स्थलों को सोशल डिस्टेंसिंग और सैनिटाइजेशन जैसी तमाम शर्तों के साथ खोलने की अनुमति दी गई है. कोरोना संक्रमण के डर से लोग घरों से बाहर निकलने से घबरा रहे हैं. लोग मंदिरों के बाहर से ही सिर झुकाकर भगवान को प्रणाम कर चले जाते हैं. लोगों में कोरोना का डर साफ नजर आ रहा है.
लोगों की संख्या हुई कम
ETV भारत की टीम ने राजधानी रायपुर के सिद्ध पीठ मां महामाया काली मंदिर और मजार में जाकर वहां का जायजा लिया. मंदिरों में भीड़ नहीं है. गिने-चुने लोग ही मंदिरों और मजार में आ रहे हैं. मजार की बात की जाए तो लॉकडाउन के पहले रोजाना लगभग 150 लोग चादर चढ़ाने और मत्था टेकने आया करते थे, लेकिन अब लोगों की संख्या भी लगभग 10 से 15 रह गई है.
मंदिरों में नहीं दिखी भीड़
रायपुर के मंदिरों की बात की जाए, तो लॉकडाउन के पहले इन मंदिरों में श्रद्धालुओं की संख्या रोजाना लगभग 150 से 200 हुआ करती थी, लेकिन लॉकडाउन की वजह से आज भी लोगों में कोरोना का खौफ देखने को मिल रहा है और इन मंदिरों में भक्तों की संख्या सिमट कर लगभग 20 रह गई है.
मंदिरों में श्रद्धालुओं को भगवान के दर्शन करने के लिए लगभग 20 फीट की दूरी पर रोक दिया जाता है. दूर से श्रद्धालु भगवान के दर्शन कर सकते हैं. मंदिरों में श्रद्धालुओं को किसी तरह की पूजा-अर्चना करने की अनुमति नहीं है. अगर कोई अपनी श्रद्धा से नारियल, अगरबत्ती, फल और फूल लेकर आते हैं, तो उन्हें एक पात्र में रखकर स्टोर रूम में रख दिया जाता है. श्रद्धालुओं के लाए हुए फूल, नारियल और अगरबत्ती को गर्भगृह तक ले जाने की अनुमति नहीं है. मंदिरों में आरती के समय भीड़ भी नहीं लगाना है. पूजा-अर्चना सिर्फ मंदिरों के पुजारी और ट्रस्ट के लोग ही कर रहे हैं.
सोशल डिस्टेंसिंग की बात की जाए तो यहां पर आने वाले लोगों को सैनिटाइज करने के लिए सैनिटाइजर टनल भी लगाया गया है, ताकि लोग सैनिटाइज होकर मंदिर में प्रवेश करें. मंदिर में लगी घंटियों को या तो पॉलिथीन से पैक कर दिया गया है या फिर रस्सियों से बांध दिया गया है, ताकि कोरोना का संक्रमण न फैल सके.
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धार्मिक स्थलों के बाहर पूजन सामग्री का दुकान लगाकर बैठे दुकानदारों ने भी अपनी परेशानी बताई. ग्राहक नहीं होने की वजह से उन्हें जीवनयापन करने में दिक्कत हो रही है. मंदिर, मस्जिद, चर्च और गुरुद्वारे तो जरूर खुल गए, लेकिन लोग यहां दर्शन के लिए नहीं आ रहे हैं. इस वजह से इन दुकानदारों की आर्थिक स्थिति पर बुरा असर पड़ा है. उम्मीद है कि ईश्वर सब जल्द ठीक करे, ताकि सभी धार्मिक स्थलों में लोगों की चहल-पहल बढ़े.