रायपुर: बीमारियों का मौसम कहे जाने वाले सर्दी के मौसम में जुकाम, बुखार, खांसी, कफ जैसी सामान्य बीमारियों के साथ एक गंभीर बीमारी का खतरा भी बढ़ने लगता है. तापमान में गिरावट की वजह से लोगों के शरीर का ब्लड सर्कुलेशन ठीक तरह से नहीं हो पता है. इस वजह से ठंड में सबसे ज्यादा लकवा यानी कि पैरालिसिस अटैक सामान्य व्यक्तियों को भी आ जाते हैं. इससे बचाने के लिए और लोगों में जागरूकता के लिए हर साल 24 जून को विश्व लकवा दिवस भी मनाया जाता है.
क्या है पैरालिसिस अटैक (Paralysis Attack): ठंड में बढ़ते लकवा के मरीजों के संबंध में रायपुर अंबेडकर अस्पताल के जनरल मेडिसिन विभाग के एचओडी डॉ अनुराग अग्रवाल का कहना है "ठंड के मौसम में अस्थमा, हार्ट अटैक, लकवा जैसी बहुत सी बीमारियां बढ़ जाती है. पैरालिसिस की बीमारी भी इस मौसम में बढ़ने लगती है. खासतौर पर डायबिटीज और ब्लड प्रेशर के मरीजों में ये खतरा ज्यादा देखने को मिलता है. इस सीजन में जब पैरालिसिस अटैक आता है तो मरीज को बात करने में और हाथ-पैर चलाने में तकलीफ होती है. मरीज को खड़े होने में दिक्कत होती है, वह अपने शरीर का पॉश्चर चेंज नहीं कर पता है. यह सारे लक्षण पैरालिसिस अटैक के प्रारंभिक लक्षण होते हैं." why Paralysis Attack Increases In Winter
केवल 2-3 घंटे के भीतर करवाना होता है इलाज: लकवा एक ऐसी बीमारी है, जिसका बहुत ही कम समय में यदि इलाज होता है, तभी वह ठीक हो पाती है. यदि सीमित समय में मरीज को इंजेक्शन ना मिले तो लकवा की बीमारी को ट्रीटमेंट और दवाओं से केवल नियंत्रित किया जा सकता है, इसे पूरी तरह से एलोपैथी में ठीक नहीं किया जा सकता. यदि मरीज को इन सारे लक्षणों का आभास होता है, तो 2 से 3 घंटे के भीतर वह अपने निकट अस्पताल में जाकर इलाज करवाये, तो इस बीमारी का इलाज संभव होता है. ठंड में ब्लड प्रेशर बढ़ने के कारण पैरालिसिस अटैक की संभावनाएं बढ़ने लगती है."
लकवा बीमारी कैसे होता है? : व्यक्ति के शरीर में जब मांसपेशियां और मस्तिष्क के बीच संचार की गति सही तरीके से ना हो, तब मांसपेशियां मूवमेंट करने में असमर्थ हो जाती है. मांसपेशियों के कार्य करने की गति प्रभावित होने से व्यक्ति का शरीर एक से ज्यादा मांसपेशियों को हिलाने में असमर्थ हो जाता है, जिससे व्यक्ति का हाथ-पैर या मस्तिष्क सही तरीके से काम नहीं कर पाते. इस घातक बीमारी में शरीर के एक तरफ की मांसपेशियां पूरी तरह काम करना बंद कर देती है. जिससे मस्तिष्क में खून की कमी होने लगती है. ब्लड की कमी से कोशिकाएं फट जाती है और आसपास के हिस्सों में रक्तस्राव होने लगता है, जिससे मरीज लकवा का शिकार हो जाता है. लकवा शरीर के केवल एक हिस्से में ही नहीं पूरे शरीर में भी हो सकता है. अर्थात शरीर के दोनों तरफ के अंग पूरी तरह से काम करना बंद कर देते हैं. लकवा होने के कई वजह हो सकते हैं, जिसमें सबसे प्रमुख है रीड की हड्डी में आई चोट. इसके अलावा किसी तरह का ब्रेन स्ट्रोक, मरीज की पोलियो हिस्ट्री, शरीर के हिस्सों में कमजोरी, गर्दन में चोट इत्यादि. World Paralysis Day
लकवा बीमारी के लक्षण कुछ इस प्रकार होते हैं...
- मुंह से लार का आना
- सिर दर्द का लगातार बने रहना,
- देखने की क्षमता में कमी होना,
- सुनने की क्षमता में कमी होना,
- मांसपेशियों में कमजोरी, ऐंठन और दर्द होना,
- चेहरे का टेढ़ा हो जाना,
- सोचने-समझने की क्षमता कमजोर होना,
- सांस लेने में दिक्कत हो रहा हो,
युवाओं को भी आ रहे पैरालिसिस अटैक: वर्तमान में यूथ में बढ़ते नशे के सेवन को देखते हुए लकवा के शिकार यूथ भी होने लगे हैं. आमतौर पर 50 साल की आयु सीमा पार कर चुके लोगों को लकवा का खतरा ज्यादा रहता था. लेकिन स्मोक और ड्रग लेने की वजह से अब इसका खतरा यूथ में भी मंडराने लगा है. डॉक्टर के मुताबिक अस्पताल में रोजाना लकवा के शिकार दो-तीन मरीज इस मौसम में आ रहे हैं. डॉक्टर के मुताबिक ठंड के मौसम में ब्लड प्रेशर और शुगर के मरीजों को अपनी दवाइयां का विशेष ख्याल रखना चाहिए. समय-समय पर थेरेपी लेनी चाहिए. वहीं यूथ में नशे का सेवन में कमी करनी चाहिए, क्योंकि इन सभी वजहों से आपको सर्दियों के मौसम में लकवा अटैक आ सकता है.