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ऑनलाइन ठगी करने वाले नाइजीरियन गैंग के सदस्य गिरफ्तार, ठगी के 55 करोड़ रुपये अफ्रीका बैंक में डाला

रायपुर साइबर पुलिस ने ऑनलाइन ठगी करने वाले नाइजीरियन गैंग के दो आरोपियों को मुंबई से गिरफ्तार किया है. आरोपियों ने देशभर में ठगी कर करीब 55 करोड़ रुपये अफ्रीका के बैंक में डाले थे.

online fraud raipur cyber police arrested the accused of nigerian gang
ऑनलाइन ठगी करने वाले नाइजीरियन गिरफ्तार
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Published : Jul 28, 2021, 10:59 AM IST

रायपुर: छत्तीसगढ़ साइबर पुलिस (Chhattisgarh Cyber ​​Police ) को बड़ी कामयाबी हाथ लगी है. साइबर पुलिस ने छत्तीसगढ़ समेत पूरे भारत में ऑनलाइन ठगी की वारदात को अंजाम देने वाले नाइजीरियन गैंग को धर दबोचा है. पकड़े गए दोनों आरोपी नाइजीरियन हैं, जिनकी गिरफ्तारी रायपुर पुलिस ने मुंबई से की है. आरोपियों ने पूछताछ में कई चौंकाने वाले खुलासे किए हैं. जिसमें पता चला है कि आरोपी लोगों के ई-वॉलेट से रकम निकालने के बाद उसे सीधे अफ्रीकी देश के बैंक में जमा कर देते थे. छत्तीसगढ़ पुलिस का अनुमान है कि पकड़े गए इंटरनेशनल गैंग ने पूरे देशभर में 55 करोड़ रुपये से भी ज्यादा की ठगी की है. ठगी के सारे पैसे अफ्रीका के बैंक में डाला गया है.

online fraud raipur cyber police arrested the accused of nigerian gang
ऑनलाइन ठगी करने वाले नाइजीरियन गिरफ्तार

छत्तीसगढ़ पुलिस ने मुंबई से किया गिरफ्तार

सायबर पुलिस से मिली जानकारी के मुताबिक देवेंद्र नगर निवासी मोहम्मद आसिफ फारुखी ने 10 जुलाई को साइबर थाने में लिखित शिकायत दर्ज कराई थी कि उनसे 17 लाख से अधिक रुपये की ठगी की गई. आरोपियों ने कच्चा माल सप्लाई करने के नाम पर ठगी की है. आसिफ की शिकायत के बाद साइबर टीम मुंबई के लिए रवाना हुई. वहां स्थानीय पुलिस की मदद से आरोपियों तक पहुंचा जा सका. इसी बीच नाइजीरियन गैंग का मुख्य सरगना फरार हो गया. लेकिन किसी फिल्म की तरह भागते वक्त सड़क दुर्घटना में उसकी मौत हो गई. हालांकि पुलिस ने दो नाइजीरियन आरोपियों डोसो ईषुफ (35) और जगदीश पाॅल को धर दबोचा है.

कोरिया में नशीली दवाओं के साथ 3 युवक गिरफ्तार

आरोपियों को पकड़ने व्यापारी से लेकर जासूस बनी पुलिस

साइबर टीम से मिली जानकारी के मुताबिक छत्तीसगढ़ में हुए ऑनलाइन ठगी (online fraud) के केस को सुलझाने के लिए साइबर टीम को व्यापारी से लेकर जासूस तक बनना पड़ा. पहले तो कारोबारी बनकर पुलिस ने नाइजीरियन गैंग को फोन किया. फोन ट्रेस करते हुए दूसरी टीम जासूसी में लगी हुई थी. आरोपी भागने में कामयाब न हो इसके लिए मुंबई की लोकल पुलिस भी तैनात रही. जैसे ही आरोपियों को शक हुआ कि हम व्यापारी नहीं पुलिस वाले है तो खुद को दूतावास का हवाला देकर गुमराह करने की कोशिश की, लेकिन साइबर टीम को पूरा यकीन था कि यही आरोपी हैं.

फर्जी मिला वीजा, दूतावास को खबर

पांच राज्य (महाराष्ट्र, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल एवं राजस्थान) के साथ वेस्ट अफ्रीका और नाइजीरिया तक फैले अनलाइन फ्रॉड नेटवर्क को तोड़ा गया है. जिसमें मुंबई, नवी मुंबई(पनवेल), राजस्थान(पाली), दिल्ली, नोएडा, पश्चिम बंगाल के दर्जनों बैंक अकाउंट में लगभग 15 लाख रुपये फ्रीज करवाए गए. नाइजीरियन गैंग के पास से छत्तीसगढ़ पुलिस को जो वीजा मिला है वो भी फर्जी साबित हुआ है. साइबर टीम के अफसर के मुताबिक एक हफ्ते पहले मुंबई में जांच के दौरान इस गैंग ने अपना पासपोर्ट और वीजा दिखाया था. जांच करने के बाद वीजा में लगाए गई सील तक फेक साबित हुई. अब इसके बारे में जानकारी अफ्रीकी दूतावास को देने की तैयारी है.

ऐसे बदला ठगी का पैटर्न

साइबर इंस्पेक्टर निशित अग्रवाल के अनुसार आजकल नाइजीरियन गैंग ने ठगी का पैटर्न बदल दिया है. पहले खुद को बैंक अफसर या फिर लॉटरी वाला बताकर झांसे में लेते थे. नए पैटर्न में खुद को एक बड़ी कंपनी का ऑनर बताकर ठग रहे हैं. नाइजीरियन गैंग की पड़ताल में सोशल मीडिया में नई-नई कंपनियाें के बारे में पता चला है. असल में यह कंपनियां कहीं भी अस्तित्व में ही नहीं है.

रायपुर: छत्तीसगढ़ साइबर पुलिस (Chhattisgarh Cyber ​​Police ) को बड़ी कामयाबी हाथ लगी है. साइबर पुलिस ने छत्तीसगढ़ समेत पूरे भारत में ऑनलाइन ठगी की वारदात को अंजाम देने वाले नाइजीरियन गैंग को धर दबोचा है. पकड़े गए दोनों आरोपी नाइजीरियन हैं, जिनकी गिरफ्तारी रायपुर पुलिस ने मुंबई से की है. आरोपियों ने पूछताछ में कई चौंकाने वाले खुलासे किए हैं. जिसमें पता चला है कि आरोपी लोगों के ई-वॉलेट से रकम निकालने के बाद उसे सीधे अफ्रीकी देश के बैंक में जमा कर देते थे. छत्तीसगढ़ पुलिस का अनुमान है कि पकड़े गए इंटरनेशनल गैंग ने पूरे देशभर में 55 करोड़ रुपये से भी ज्यादा की ठगी की है. ठगी के सारे पैसे अफ्रीका के बैंक में डाला गया है.

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ऑनलाइन ठगी करने वाले नाइजीरियन गिरफ्तार

छत्तीसगढ़ पुलिस ने मुंबई से किया गिरफ्तार

सायबर पुलिस से मिली जानकारी के मुताबिक देवेंद्र नगर निवासी मोहम्मद आसिफ फारुखी ने 10 जुलाई को साइबर थाने में लिखित शिकायत दर्ज कराई थी कि उनसे 17 लाख से अधिक रुपये की ठगी की गई. आरोपियों ने कच्चा माल सप्लाई करने के नाम पर ठगी की है. आसिफ की शिकायत के बाद साइबर टीम मुंबई के लिए रवाना हुई. वहां स्थानीय पुलिस की मदद से आरोपियों तक पहुंचा जा सका. इसी बीच नाइजीरियन गैंग का मुख्य सरगना फरार हो गया. लेकिन किसी फिल्म की तरह भागते वक्त सड़क दुर्घटना में उसकी मौत हो गई. हालांकि पुलिस ने दो नाइजीरियन आरोपियों डोसो ईषुफ (35) और जगदीश पाॅल को धर दबोचा है.

कोरिया में नशीली दवाओं के साथ 3 युवक गिरफ्तार

आरोपियों को पकड़ने व्यापारी से लेकर जासूस बनी पुलिस

साइबर टीम से मिली जानकारी के मुताबिक छत्तीसगढ़ में हुए ऑनलाइन ठगी (online fraud) के केस को सुलझाने के लिए साइबर टीम को व्यापारी से लेकर जासूस तक बनना पड़ा. पहले तो कारोबारी बनकर पुलिस ने नाइजीरियन गैंग को फोन किया. फोन ट्रेस करते हुए दूसरी टीम जासूसी में लगी हुई थी. आरोपी भागने में कामयाब न हो इसके लिए मुंबई की लोकल पुलिस भी तैनात रही. जैसे ही आरोपियों को शक हुआ कि हम व्यापारी नहीं पुलिस वाले है तो खुद को दूतावास का हवाला देकर गुमराह करने की कोशिश की, लेकिन साइबर टीम को पूरा यकीन था कि यही आरोपी हैं.

फर्जी मिला वीजा, दूतावास को खबर

पांच राज्य (महाराष्ट्र, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल एवं राजस्थान) के साथ वेस्ट अफ्रीका और नाइजीरिया तक फैले अनलाइन फ्रॉड नेटवर्क को तोड़ा गया है. जिसमें मुंबई, नवी मुंबई(पनवेल), राजस्थान(पाली), दिल्ली, नोएडा, पश्चिम बंगाल के दर्जनों बैंक अकाउंट में लगभग 15 लाख रुपये फ्रीज करवाए गए. नाइजीरियन गैंग के पास से छत्तीसगढ़ पुलिस को जो वीजा मिला है वो भी फर्जी साबित हुआ है. साइबर टीम के अफसर के मुताबिक एक हफ्ते पहले मुंबई में जांच के दौरान इस गैंग ने अपना पासपोर्ट और वीजा दिखाया था. जांच करने के बाद वीजा में लगाए गई सील तक फेक साबित हुई. अब इसके बारे में जानकारी अफ्रीकी दूतावास को देने की तैयारी है.

ऐसे बदला ठगी का पैटर्न

साइबर इंस्पेक्टर निशित अग्रवाल के अनुसार आजकल नाइजीरियन गैंग ने ठगी का पैटर्न बदल दिया है. पहले खुद को बैंक अफसर या फिर लॉटरी वाला बताकर झांसे में लेते थे. नए पैटर्न में खुद को एक बड़ी कंपनी का ऑनर बताकर ठग रहे हैं. नाइजीरियन गैंग की पड़ताल में सोशल मीडिया में नई-नई कंपनियाें के बारे में पता चला है. असल में यह कंपनियां कहीं भी अस्तित्व में ही नहीं है.

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