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सीएम की घोषणा पर अमल: पुरानी पेंशन योजना लागू, अब वेतन से नहीं होगी नई पेंशन योजना की कटौती

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Published : Apr 11, 2022, 5:10 PM IST

Updated : Apr 11, 2022, 7:40 PM IST

छत्तीसगढ़ में राज्य कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन व्यवस्था इसी महीने से लागू हो जाएगी. छत्तीसगढ़ शासन वित्त विभाग ने नई पेंशन योजना के तहत की जा रही अंशदान की कटौती बंद करने का आदेश जारी कर दिया है. कर्मचारियों के मूल वेतन से अब सिर्फ सामान्य भविष्य निधि के लिए ही कटौती होगी.

cm bhupesh Baghel
सीएम भूपेश बघेल

रायपुर: छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh Government) में भी पुरानी पेंशन योजना लागू कर दी गई है. वित्त विभाग ने नई पेंशन योजना का अंशदान समाप्त करने का आदेश जारी कर दिया है. लाखों कर्मचारियों को अब इसी महीने से पुरानी पेंशन योजना का लाभ मिलेगा. अब केवल जीपीएफ की कटौती होगी. इस संबंध में सभी विभागाध्यक्षों को पत्र भी लिखा गया है. छत्तीसगढ़ शासन के वित्त विभाग के संयुक्त सचिव अतीश पाण्डेय ने सभी विभागों, विभागाध्यक्षों, आयुक्तोंं और कलेक्टरों को एक निर्देश जारी किया है. इसमें कहा गया है कि सरकार ने एक नवम्बर 2004 से लागू नवीन अंशदायी पेंशन योजना की जगह पुरानी पेंशन योजना लागू करने का फैसला किया है. ऐसे में एक नवंबर 2004 और उसके बाद भर्ती कर्मचारियों के वेतन से 10% की मासिक कटौती समाप्त किया जाता है. संयुक्त सचिव ने इस आदेश में लिखा है कि ऐसे कर्मचारियों के अप्रैल महीने के वेतन से सामान्य भविष्य निधि नियम के मुताबिक मूल वेतन का 12% सामान्य भविष्य निधि (GPF) की ही कटौती की जाए. सामान्य भविष्य निधि की कटौती का ब्यौरा कोष, लेखा एवं पेंशन संचालनालय में अलग से रखा जाएगा.

नई पेंशन स्कीम के तहत राज्य के 2 लाख 05 हजार 110 अधिकारी-कर्मचारियों के वेतन से हर महीने 10 प्रतिशत की कटौती होती थी. इसमें 10 प्रतिशत राज्य सरकार भी जमा करती थी. यह राशि हर महीने करीब 222 करोड़ रुपए होती है. अब यह कटौती बंद हो जाएगी.

यह भी पढ़ें: छत्तीसगढ़ बजट 2022 में पुरानी पेंशन स्कीम को लागू करने का ऐलान, कर्मचारियों ने जताई खुशी


बजट सत्र में की गई थी घोषणा: छत्तीसगढ़ में पुरानी पेंशन स्कीम को बहाल करने का फैसला भूपेश सरकार ने लिया था. 9 मार्च 2022 को बजट के दौरान छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की सरकार की तरफ से यह ऐलान किया गया था. साल 2022-23 के राज्य बजट में एक जनवरी 2004 और इसके बाद नियुक्त कर्मचारियों के लिए नई पेंशन योजना (एनपीएस) के स्थान पर पुरानी पेंशन योजना लागू करने की घोषणा की गई थी.

जानिये पुरानी और नई पेंशन स्कीम के बारे में सबकुछ, जो आपके लिए जरूरी है...
दोनों पेंशन स्कीम की जानकारी जरूरी है, जिससे आप समझ सकें कि दोनों प्रणालियों में मूल अंतर क्या है. तो आइए सबसे पहले पुरानी पेंशन व्यवस्था की बात करते हैं. पुरानी पेंशन व्यवस्था में ऐसा क्या था कि उसे लागू करने को लेकर कर्मचारियों का लगातार दबाव बना हुआ था.

यह है पुरानी पेंशन व्यवस्था...

  • रिटायरमेंट मिलने के बाद पेंशन की सुविधा, यानी प्रतिमाह एक निश्चित राशि मिलती थी.
  • पेंशन की पूरी राशि सरकार देती थी. यह राशि किसी कर्मचारी की अंतिम सैलरी का 50 फीसदी हिस्सा होता था.
  • अगर कोई कर्मचारी 10 साल की नौकरी करने के बाद भी रिटायर होता था, तो उसे भी इसी फॉर्मूले के तहत पेंशन मिलती थी.
  • पेंशन के लिए वेतन में कटौती नहीं की जाती थी.
  • रिटायरमेंट मिलने के बाद बतौर ग्रेच्युटी 16.5 महीने का वेतन मिलता था.
  • नौकरी के दौरान मृत्यु होने पर ग्रेच्युटी 20 लाख मिलती थी और किसी आश्रित को सरकार नौकरी भी मिल जाती थी.
  • पेंशन के दौरान महंगाई भत्ता भी मिलता था.
  • अगर जीपीएफ से पैसा निकासी होती थी तो उस पर कोई भी टैक्स देना नहीं पड़ता था.
  • पेंशनकर्ता को मेडिकल भत्ता भी मिलता था.

यह है पेंशन की नई व्यवस्था....
नई व्यवस्था के तहत इन सुविधाओं को खत्म कर दिया गया. इसका मतलब यह है कि साल 2004 से या उसके बाद जिनकी भी नियुक्तियां हुईं, उन्हें पेंशन मिलने की कोई गारंटी नहीं है. उन्हें जीपीएफ की भी सुविधा नहीं दी गई है. रिटायरमेंट के बाद न तो आपको मेडिकल भत्ता मिलेगा और न ही बीमा का लाभ ही. न वेतन आयोग का फायदा और न ही महंगाई भत्ता ही मिल सकेगा.

  • नई पेंशन स्कीम में आपका कंट्रीब्यूशन कितना होता है, इस पर पेंशन निर्धारित हो गई है. पहले वाली पेंशन योजना में कितने साल भी आप नौकरी कर लें, अंतिम सैलरी का आधा हिस्सा पेंशन के रूप में दिया जाता था.
  • नई व्यवस्था में आपको हर महीने पेंशन के लिए कंट्रीब्यूशन करना होता है. रिटायर होने पर इस रकम का 60 फीसदी आप निकाल सकते हैं, जबकि बाकी 40 फीसदी राशि से आपको बीमा कंपनी का एन्यूटी प्लान खरीदना होता है. इससे मिलने वाले ब्याज से ही आपकी पेंशन निर्धारित होती है.
  • नई पेंशन व्यवस्था के तहत पारिवारिक पेंशन भी खत्म कर दिया गया है. पेंशन के नाम पर वेतन से प्रतिमाह 10 फीसदी कटौती भी होती है. हालांकि नई पेंशन स्कीम की राशि सरकार इक्विटी में लगाती है, लिहाजा आपको उस पर अच्छा रिटर्न मिल मिलने की संभावना बनी रहती है.
  • नई व्यवस्था में सरकारी कर्मचारियों के मूल वेतन और डीए का 10 फीसदी कटता है. इतनी ही राशि सरकार कंट्रीब्यूट करती है. लेकिन केंद्र सरकार अपने कर्मियों के लिए 14 फीसदी का योगदान करती है.

वाजपेयी सरकार ने ही खत्म कर दी थी पुरानी पेंशन व्यवस्था
बता दें कि वाजपेयी सरकार ने ही पुरानी पेंशन व्यवस्था को खत्म किया था और उसकी जगह नईं पेंशन व्यवस्था लागू की गई. हालांकि, तब केंद्र ने साफ कर दिया था कि यह व्यवस्था केंद्रीय कर्मचारियों के लिए है. राज्यों को इसे लागू करने के लिए बाध्य नहीं किया गया था. हालांकि, बाद में यह देखा गया कि कई राज्य सरकारों ने केंद्र की इसी पेंशन व्यवस्था को अपने यहां लागू कर दिया. कुछ लोगों का कहना है कि नई पेंशन व्यवस्था के लागू होने से पहले भरोसा दिया गया था कि यह अधिक लाभकारी होगा. लेकिन बाद में जब सारी चीजें क्लियर हुईं, तब जाकर कर्मचारियों को लगा कि उन्हें पहले वाली पेंशन व्यवस्था में अधिक सुविधाएं मिलती थीं.

रायपुर: छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh Government) में भी पुरानी पेंशन योजना लागू कर दी गई है. वित्त विभाग ने नई पेंशन योजना का अंशदान समाप्त करने का आदेश जारी कर दिया है. लाखों कर्मचारियों को अब इसी महीने से पुरानी पेंशन योजना का लाभ मिलेगा. अब केवल जीपीएफ की कटौती होगी. इस संबंध में सभी विभागाध्यक्षों को पत्र भी लिखा गया है. छत्तीसगढ़ शासन के वित्त विभाग के संयुक्त सचिव अतीश पाण्डेय ने सभी विभागों, विभागाध्यक्षों, आयुक्तोंं और कलेक्टरों को एक निर्देश जारी किया है. इसमें कहा गया है कि सरकार ने एक नवम्बर 2004 से लागू नवीन अंशदायी पेंशन योजना की जगह पुरानी पेंशन योजना लागू करने का फैसला किया है. ऐसे में एक नवंबर 2004 और उसके बाद भर्ती कर्मचारियों के वेतन से 10% की मासिक कटौती समाप्त किया जाता है. संयुक्त सचिव ने इस आदेश में लिखा है कि ऐसे कर्मचारियों के अप्रैल महीने के वेतन से सामान्य भविष्य निधि नियम के मुताबिक मूल वेतन का 12% सामान्य भविष्य निधि (GPF) की ही कटौती की जाए. सामान्य भविष्य निधि की कटौती का ब्यौरा कोष, लेखा एवं पेंशन संचालनालय में अलग से रखा जाएगा.

नई पेंशन स्कीम के तहत राज्य के 2 लाख 05 हजार 110 अधिकारी-कर्मचारियों के वेतन से हर महीने 10 प्रतिशत की कटौती होती थी. इसमें 10 प्रतिशत राज्य सरकार भी जमा करती थी. यह राशि हर महीने करीब 222 करोड़ रुपए होती है. अब यह कटौती बंद हो जाएगी.

यह भी पढ़ें: छत्तीसगढ़ बजट 2022 में पुरानी पेंशन स्कीम को लागू करने का ऐलान, कर्मचारियों ने जताई खुशी


बजट सत्र में की गई थी घोषणा: छत्तीसगढ़ में पुरानी पेंशन स्कीम को बहाल करने का फैसला भूपेश सरकार ने लिया था. 9 मार्च 2022 को बजट के दौरान छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की सरकार की तरफ से यह ऐलान किया गया था. साल 2022-23 के राज्य बजट में एक जनवरी 2004 और इसके बाद नियुक्त कर्मचारियों के लिए नई पेंशन योजना (एनपीएस) के स्थान पर पुरानी पेंशन योजना लागू करने की घोषणा की गई थी.

जानिये पुरानी और नई पेंशन स्कीम के बारे में सबकुछ, जो आपके लिए जरूरी है...
दोनों पेंशन स्कीम की जानकारी जरूरी है, जिससे आप समझ सकें कि दोनों प्रणालियों में मूल अंतर क्या है. तो आइए सबसे पहले पुरानी पेंशन व्यवस्था की बात करते हैं. पुरानी पेंशन व्यवस्था में ऐसा क्या था कि उसे लागू करने को लेकर कर्मचारियों का लगातार दबाव बना हुआ था.

यह है पुरानी पेंशन व्यवस्था...

  • रिटायरमेंट मिलने के बाद पेंशन की सुविधा, यानी प्रतिमाह एक निश्चित राशि मिलती थी.
  • पेंशन की पूरी राशि सरकार देती थी. यह राशि किसी कर्मचारी की अंतिम सैलरी का 50 फीसदी हिस्सा होता था.
  • अगर कोई कर्मचारी 10 साल की नौकरी करने के बाद भी रिटायर होता था, तो उसे भी इसी फॉर्मूले के तहत पेंशन मिलती थी.
  • पेंशन के लिए वेतन में कटौती नहीं की जाती थी.
  • रिटायरमेंट मिलने के बाद बतौर ग्रेच्युटी 16.5 महीने का वेतन मिलता था.
  • नौकरी के दौरान मृत्यु होने पर ग्रेच्युटी 20 लाख मिलती थी और किसी आश्रित को सरकार नौकरी भी मिल जाती थी.
  • पेंशन के दौरान महंगाई भत्ता भी मिलता था.
  • अगर जीपीएफ से पैसा निकासी होती थी तो उस पर कोई भी टैक्स देना नहीं पड़ता था.
  • पेंशनकर्ता को मेडिकल भत्ता भी मिलता था.

यह है पेंशन की नई व्यवस्था....
नई व्यवस्था के तहत इन सुविधाओं को खत्म कर दिया गया. इसका मतलब यह है कि साल 2004 से या उसके बाद जिनकी भी नियुक्तियां हुईं, उन्हें पेंशन मिलने की कोई गारंटी नहीं है. उन्हें जीपीएफ की भी सुविधा नहीं दी गई है. रिटायरमेंट के बाद न तो आपको मेडिकल भत्ता मिलेगा और न ही बीमा का लाभ ही. न वेतन आयोग का फायदा और न ही महंगाई भत्ता ही मिल सकेगा.

  • नई पेंशन स्कीम में आपका कंट्रीब्यूशन कितना होता है, इस पर पेंशन निर्धारित हो गई है. पहले वाली पेंशन योजना में कितने साल भी आप नौकरी कर लें, अंतिम सैलरी का आधा हिस्सा पेंशन के रूप में दिया जाता था.
  • नई व्यवस्था में आपको हर महीने पेंशन के लिए कंट्रीब्यूशन करना होता है. रिटायर होने पर इस रकम का 60 फीसदी आप निकाल सकते हैं, जबकि बाकी 40 फीसदी राशि से आपको बीमा कंपनी का एन्यूटी प्लान खरीदना होता है. इससे मिलने वाले ब्याज से ही आपकी पेंशन निर्धारित होती है.
  • नई पेंशन व्यवस्था के तहत पारिवारिक पेंशन भी खत्म कर दिया गया है. पेंशन के नाम पर वेतन से प्रतिमाह 10 फीसदी कटौती भी होती है. हालांकि नई पेंशन स्कीम की राशि सरकार इक्विटी में लगाती है, लिहाजा आपको उस पर अच्छा रिटर्न मिल मिलने की संभावना बनी रहती है.
  • नई व्यवस्था में सरकारी कर्मचारियों के मूल वेतन और डीए का 10 फीसदी कटता है. इतनी ही राशि सरकार कंट्रीब्यूट करती है. लेकिन केंद्र सरकार अपने कर्मियों के लिए 14 फीसदी का योगदान करती है.

वाजपेयी सरकार ने ही खत्म कर दी थी पुरानी पेंशन व्यवस्था
बता दें कि वाजपेयी सरकार ने ही पुरानी पेंशन व्यवस्था को खत्म किया था और उसकी जगह नईं पेंशन व्यवस्था लागू की गई. हालांकि, तब केंद्र ने साफ कर दिया था कि यह व्यवस्था केंद्रीय कर्मचारियों के लिए है. राज्यों को इसे लागू करने के लिए बाध्य नहीं किया गया था. हालांकि, बाद में यह देखा गया कि कई राज्य सरकारों ने केंद्र की इसी पेंशन व्यवस्था को अपने यहां लागू कर दिया. कुछ लोगों का कहना है कि नई पेंशन व्यवस्था के लागू होने से पहले भरोसा दिया गया था कि यह अधिक लाभकारी होगा. लेकिन बाद में जब सारी चीजें क्लियर हुईं, तब जाकर कर्मचारियों को लगा कि उन्हें पहले वाली पेंशन व्यवस्था में अधिक सुविधाएं मिलती थीं.

Last Updated : Apr 11, 2022, 7:40 PM IST
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