रायपुर / हैदराबाद : 11 जनवरी को पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की पुण्य तिथि Lal Bahadur Shastri Death Anniversary है. लाल बहादुर शास्त्री ने अपनी विनम्र स्वाभाव, मृदुभाषी व्यवहार एवं आम लोगों से जुड़ने की क्षमता से भारत की राजनीति पर अमिट छाप छोड़ी है. महात्मा गांधी और लोकमान्य तिलक से लाल बहादुर शास्त्री प्रेरित थे. आपको बता दें कि देश के लिए कई दशकों तक पूरे मन भाव से काम करने वाले लाल बहादुर शास्त्री को उनकी कार्यक्षमता, सत्यनिष्ठा और विनम्र स्वभाव हेतु याद किया जाता है. 'शास्त्री' का अर्थ विद्वान होता है. उनके नाम के साथ ये शब्द ‘शास्त्री’ स्नातक उपाधि हासिल करने के बाद जुड़ा.
लाल बहादुर शास्त्री से जुड़ी बातें : Lal Bahadur Shastri का जन्म 02 अक्टूबर 1904 को मुगलसराय में हुआ था. वे देश के दूसरे प्रधानमंत्री थे. मात्र डेढ़ साल की उम्र में उनके पिता का निधन हो गया था. उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान देश में दूध का उत्पादन बढ़ाने हेतु एक राष्ट्रीय अभियान चलाया, जिसे 'श्वेत क्रांति' के रूप में जाना जाता है. उन्होंने ही 'जय जवान, जय किसान' (Jai Jawan Jai Kisan) का नारा दिया था. रेलमंत्री के रूप में शास्त्री की कार्यकाल के दौरान एक ट्रेन दुर्घटना में बहुत सारे लोगों की जान चली गई. वे इससे इतने दुखी हुए कि दुर्घटना के लिए स्वयं को जिम्मेदार मानते हुए रेलमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था.जब साल 1946 में कांग्रेस की सरकार बनी तब उन्हें उत्तर प्रदेश के संसदीय सचिव के रूप में नियुक्त किया गया था. वे 17 साल की उम्र में पहली बार असहयोग आंदोलन के दौरान जेल गए थे. लाल बहादुर शास्त्री के नेतृत्व में भारत ने साल 1965 की जंग में पाकिस्तान को करारी हार दी.
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शास्त्री जी की मौत बनीं थी रहस्य : 1965 के युद्ध के दौरान शास्त्री राष्ट्रीय हीरो बन चुके थे.बाद में अमेरिका के हस्तक्षेप के बाद भारत पर युद्ध समाप्त करने के समझौते का दबाव पड़ने लगा. शास्त्री को रूस बुलवाया गया. समझौता वार्ता के दौरान शास्त्री ने सारी शर्ते मानीं लेकिन वो पाकिस्तान को जमीन लौटाने को तैयार नहीं थे. उन पर दबाव बनाकर 11 जनवरी 1966 को ताशकंद समझौते (Tashkent Agreement) के दस्तावेज पर हस्ताक्षर करा लिये गए. इसके कुछ घंटे बाद रात में ही उनकी मृत्यु हो गई. इस मृत्यु को लेकर कई तरह के कयास अब भी लगाए जा रहे हैं. ऐसा कहा जाता है कि शास्त्री जी की मौत जहर देने के कारण हुई थी. उनकी मौत के कोई आधिकारिक दस्तावेज भी मौजूद नहीं है. आपको जानकर हैरानी होगी कि देश के प्रधानमंत्री के मौत के कारणों का पता लगाने के लिए उस समय ना तो पोस्टमार्टम किया गया और ना ही ताशकंद में मौजूद मेडिकल टीम की राय किसी दस्तावेज में दर्ज Mystery of Lal Bahadur Shastri death है.