रायपुर: मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की मौजूदगी में उनके निवास कार्यालय में पीपीपी मॉडल से स्थापित होने वाले देश के पहले एथेनॉल प्लांट की छत्तीसगढ़ में स्थापना के संबंध में एमओयू किया गया. यह अनुबंध भोरमदेव सहकारी शक्कर कारखाने कवर्धा और छत्तीसगढ़ डिस्टीलरी लिमिटेड की सहायक इकाई एनकेजे बॉयोफ्यूल के बीच 30 साल के लिए किया गया है.
एमओयू पर राज्य शासन की ओर से भोरमदेव सहकारी शक्कर कारखाना के प्रबंध संचालक भूपेन्द्र ठाकुर और छत्तीसगढ़ डिस्टीलरी की ओर से अरण्य केडिया ने हस्ताक्षर किए. कार्यक्रम में सहकारिता मंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम, वन और पर्यावरण मंत्री मोहम्मद अकबर, उद्योग मंत्री कवासी लखमा, अपर मुख्य सचिव सुब्रत साहू उपस्थित थे.
आर्थिक समृद्धि का आधार मजबूत होगा
मुख्यमंत्री ने कहा कि किसानों को समय पर गन्ना के मूल्य का भुगतान और शक्कर कारखाने की क्षमता का पूरा-पूरा उपयोग सुनिश्चित करने में एथेनॉल संयंत्र की स्थापना अहम साबित होगी. एथेनॉल संयंत्र की स्थापना से क्षेत्र में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार के अवसर उत्पन्न होंगे. क्षेत्र में आर्थिक समृद्धि का आधार मजबूत होगा. छत्तीसगढ़ की वर्तमान सरकार ने किसानों से संबंधित मुद्दे और उनके विकास के कार्य को सर्वोपरि रखा है. शक्कर कारखानों की आर्थिक कठिनाई के स्थाई निदान के लिए पीपीपी मॉडल से एथेनॉल संयंत्र की स्थापना की जा रही है. पीपीपी मॉडल से एथेनॉल संयंत्र की स्थापना का देश में यह पहला उदाहरण है.
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किसानों को गन्ने का भुगतान करने में होगी सुविधा
राज्य में एथेनॉल संयंत्र की स्थापना से जहां गन्ना उत्पादक किसानों को समय पर गन्ना के मूल्य का भुगतान करने में सुविधा होगी, वहीं गन्ने की मांग बढ़ने से उसका ज्यादा से ज्यादा से लाभ किसानों को मिलेगा. इस दौरान विशेष सचिव द्वारा एथेनॉल संयंत्र इकाई की स्थापना के संबंध में प्रस्तुतिकरण भी दिया गया. एथेनॉल संयंत्र की स्थापना छत्तीसगढ़ डिस्टीलरीज लिमिटेड द्वारा 40 केएलपीडी क्षमता के 5.27 करोड़ रुपये प्रतिवर्ष की निविदा स्वीकार की गई है.
दो साल के अंदर पूरा होगा काम
पीपीपी मॉडल के तहत कारखाने द्वारा लाइसेंस पर सिर्फ भूमि उपलब्ध कराई जाएगी, एथेनॉल संयंत्र की स्थापना पर निवेशक 100 करोड़ रुपये से ज्यादा का विनिवेश करेंगे. संयंत्र का निर्माण डेढ़ से दो साल के अंदर पूरा करने और एथेनॉल उत्पादन शुरू करने का लक्ष्य रखा गया है.
10 हजार लोगों को मिलेगा रोजगार
छत्तीसगढ़ में ऑटोमोबाइल, स्टील और सोलर पावर प्लांट की स्थापना के लिए भी राज्य शासन के उद्योग विभाग और हीरा ग्रुप के बीच चार एमओयू पर हस्ताक्षर हुए हैं. इन परियोजनाओं में 2 हजार 576 करोड़ रुपये का पूंजी निवेश होगा. इन उद्योगों की स्थापना से लगभग 10 हजार स्थानीय लोगों को प्रत्यक्ष रोजगार मिलेगा. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि बस्तर क्षेत्र में इस्पात संयंत्र की स्थापना से उद्योगपतियों को बेहतर कीमत मिलेगी उन्होंने कहा बस्तर अंचल में छोटे-छोटे उद्योगों की स्थापना के लिए पर्याप्त शासकीय भूमि उपलब्ध है. उद्योगों की स्थापना के लिए आदिवासियों, किसानों और निजी जमीन के अधिग्रहण की जरूरत नहीं होगी. उद्योगों की स्थापना से आदिवासियों को रोजगार के नए अवसर उपलब्ध होंगे. अनुबंध के तहत मेसर्स नैनोआयन बैटरीज प्रायवेट लिमिटेड रायपुर द्वारा ईएमसी सेक्टर-22 नवा रायपुर में लिथियम आयन 50 हजार बैटरी निर्माण संयंत्र की स्थापना के लिए 13.05 करोड़ रुपये का पूंजी निवेश प्रस्तावित है. इसमें 110 लोगों को रोजगार दिया जाएगा.
रायपुर में लगेगी कई कंपनियां
इसी तरह मेसर्स गोदावरी इलेक्ट्रिक प्रायवेट लिमिटेड रायपुर द्वारा ईएमसी सेक्टर-22 नवा रायपुर में विभिन्न प्रकार के 40 हजार इलेक्ट्रिक व्हीकल निर्माण संयंत्र की स्थापना के लिए 17.71 करोड़ का पूंजी निवेश प्रस्तावित है. इससे 148 लोगों को रोजगार मिलेगा. मेसर्स स्प्रिंग सोलर पावर प्राइवेट रायपुर द्वारा राजनांदगांव जिले में सोलर पावर प्लांट की स्थापना के लिए 245 करोड़ रुपए का पूंजी निवेश प्रस्तावित है. इससे 280 लोगों को रोजगार मिलेगा. मेसर्स गोदावरी पावर एण्ड इस्पात लिमिटेड रायपुर द्वारा रायपुर संभाग में 1400 करोड़ रुपये और बस्तर संभाग में 900 करोड़ रुपये पूंजी निवेश प्रस्तावित है. इस उद्योग से रायपुर संभाग में 6 हजार और बस्तर संभाग में 3 हजार लोगों को रोजगार मिलेगा.