रायपुर: कोरोना संक्रमितों की पहचान के लिए प्रदेश में संचालित 11 वायरोलॉजी लैब में 18 मई तक 20 लाख 19 हजार 88 सैंपलों की आरटीपीसीआर जांच की गई है. यह प्रदेश में कोरोना संक्रमण की शुरुआत के बाद से हुए कुल आरटीपीसीआर जांच का 90 प्रतिशत है. इन लैबों में प्रतिदिन बड़ी संख्या में पहुंचने वाले सैंपलों की जांच में 350 लोगों की टीम लगी हुई है. जो कोरोना संक्रमण के खतरों के बीच दिन-रात अलग-अलग पालियों में काम कर लगातार जांच कर रहे हैं.
90% जांच हुए 11 वायरोलॉजी लैब में
प्रदेश में अबतक कुल 22 लाख 50 हजार 616 सैपलों की आरटीपीसीआर जांच हुई है. इनमें से 20 लाख 19 हजार 88 सैंपल प्रदेश के 11 सरकारी लैब में और दो लाख 31 हजार 528 निजी क्षेत्र के लैब में जांच किए गए हैं. एम्स रायपुर सहित प्रदेश के 9 शासकीय मेडिकल कॉलेजों रायपुर, बिलासपुर, जगदलपुर, राजनांदगांव, रायगढ़, अंबिकापुर, कोरबा, महासमुंद, कांकेर और कोरिया जिला मुख्यालय बैकुंठपुर में स्थापित वायरोलॉजी लैबों में 20 माइक्रोबॉयोलॉजिस्ट, पांच सीनियर सांइटिस्ट, सात जूनियर साइंटिस्ट, 164 लैब टेक्नीशियन, 61 लैब अटेंडेंट और 70 डॉटा-एन्ट्री ऑपरेटर इस काम में लगे हुए हैं.
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अन्य वायरोलॉजी लैब की स्थापना का काम शुरू
जशपुर, दंतेवाड़ा, बलौदाबाजार, दुर्ग और जांजगीर में भी वायरोलॉजी लैब की स्थापना का काम शुरू हुआ है. लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण और स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव के निर्देश पर जशपुर, दंतेवाड़ा, बलौदाबाजार, दुर्ग और जांजगीर में भी वायरोलॉजी लैब की स्थापना का काम शुरू कर दिया गया है.
- रायगढ़ मेडिकल कॉलेज के वायरोलॉजी लैब में सबसे अधिक सैंपलों की आरटीपीसीआर जांच हुई है. 3 लाख 70 हजार 761 सैंपल जांच किए गए.
- जगदलपुर मेडिकल कॉलेज में तीन लाख 60 हजार 25 जांच किए गए.
- रायपुर मेडिकल कॉलेज में 3 लाख 46 हजार 741 जांच किए गए.
- राजनांदगांव मेडिकल कॉलेज में 2 लाख 77 हजार 425 जांच किए गए.
- एम्स रायपुर में दो लाख 50 हजार 985 जांच किए गए.
- सिम्स बिलासपुर में 2 लाख 6 हजार 445 जांच किए गए.
- अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज में एक लाख 93 हजार 181 जांच किए गए.
- कांकेर मेडिकल कॉलेज में 5036 जांच किए गए.
- महासमुंद मेडिकल कॉलेज में 4816 जांच किए गए.
- कोरबा मेडिकल कॉलेज में 877 जांच किए गए.
- बैकुंठपुर वायरोलॉजी लैब में 796 सैंपलों की जांच हुई है.
वायरोलॉजी लैब में सैंपलों की आरटीपीसीआर जांच के लिए संभावित मरीजों के सैंपल के लाइसिस के बाद आरएनए को बाहर निकाला जाता है. फिर इस आरएनए से आरटीपीसीआर प्रक्रिया के माध्यम से वायरस की पहचान की जाती है. इस पूरी प्रक्रिया को पूर्ण करने के लिए माइक्रोबॉयोलॉजिस्ट, सीनियर सांइटिस्ट, जूनियर साइंटिस्ट, लैब टेक्निशियन और लैब अटेंडेंट की जरूरत होती है.
एम्स रायपुर में डॉ. अनुदिता भार्गव, अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज में डीन डॉ. रमनेश मूर्ति, रायपुर मेडिकल कॉलेज में डॉ. निकिता शेरवानी, रायगढ़ मेडिकल कॉलेज में डॉ. अनुभा, सिम्स बिलासपुर में डॉ. सागारिका प्रधान और डॉ. रेखा बारापात्रे, जगदलपुर मेडिकल कॉलेज में डॉ. अनिल सिंह, महासमुंद मेडिकल कॉलेज में डॉ. ओंकार कश्यप, कांकेर मेडिकल कॉलेज में डॉ. मिथलेश मरकाम और डॉ. आलोक साहू, कोरबा मेडिकल कॉलेज में डॉ. घनश्याम जात्रा और बैकुंठपुर में डॉ. धिरेन्द्र चिकनजुरी के मार्गदर्शन में वायरोलॉजी लैब का सुचारू संचालन किया जा रहा है. वरिष्ठ फैकल्टी और सीनियर साइंटिस्ट के रूप में डॉ. संजय नेगी, डॉ. अरविंद सिंह, डॉ. नेहा सिंह, डॉ. देबाशीष समल, डॉ. नितेश कोड़पी, डॉ. शिवचन्द्र एवं डॉ. शाहिना हुसैन इन लैबों में अपनी सेवाएं दे रहे हैं.