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रायपुर में मनरेगा कर्मचारियों ने क्यों निकाली शव यात्रा !

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Published : Jun 7, 2022, 8:35 PM IST

रायपुर में मनरेगा कर्मचारियों का विरोध प्रदर्शन जारी है. यहां बीते 65 दिनों से मनरेगा कर्मी सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं. आज मनरेगा कर्मियों ने धरना स्थल पर प्रतीकात्मक तौर पर शव यात्रा निकाली. धरनास्थल पर प्रतीकात्मक रूप से शव रखकर विरोध प्रदर्शन किया

MGNREGA workers protest in Raipur
रायपुर में मनरेगा कर्मचारियों का विरोध प्रदर्शन

रायपुर: छत्तीसगढ़ में मनरेगा कर्मचारियों की हड़ताल जारी है. रायपुर में मनरेगा कर्मचारियों की हड़ताल के 65 दिन हो गए हैं. मंगलवार को मनरेगा कर्मियों ने धरनास्थल पर प्रतीकात्मक तौर पर शव यात्रा निकाली और विलाप कर विरोध प्रदर्शन किया. मनरेगा कर्मचारियों ने यहां प्रतीकात्मक तौर पर शव रखकर विरोध प्रदर्शन किया. बीते दिनों मनरेगा कर्मचारियों ने संविदा कर्मी का पुतला बनाकर उसे आत्हत्या करते हुए दिखाया था. मंगलवार को प्रतीकात्मक तौर पर पुतला को शव की तरह रखकर मनरेगा कर्मचारियों ने विरोध प्रदर्शन किया. मनरेगा कर्मचारी प्रतीकात्मक रूप से यह दिखाना चाहते हैं कि संविदा में नौकरी करना आत्महत्या करने के जैसा है.


मनरेगा परियोजना अधिकारी की बर्खास्तगी का विरोध: छत्तीसगढ़ मनरेगा कर्मचारी महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष चंद्रशेखर अग्निवंशी ने कहा कि बीते साल 3000 मनरेगा साथियों की बर्खास्तगी की गई है. संविदा अधिनियम काला कानून हैं. इस काला कानून का उपयोग करते हुए मनरेगा आयुक्त ने एक झटके में 2 जून को 21 सहायक परियोजना अधिकारियों की सेवा समाप्ति की. सेवा समाप्ति करने के पूर्व एक बार भी नहीं सोचा गया कि ये वहीं 21 कर्मचारी हैं जिन्होंने छत्तीसगढ़ को विगत वर्षों में 31 राष्ट्रीय अवॉर्ड दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. क्रूरता पूर्वक कलम चलाते हुए अधिकारियों ने एक बार भी नहीं सोचा कि 10-15 वर्षों से जो कर्मचारी जी जान लगाकर काम करते हैं. सेवा समाप्ति के बाद उनके परिवार की स्थिति कैसी होगी.

रायपुर में मनरेगा कर्मचारियों का विरोध प्रदर्शन

ये भी पढ़ें: आखिर क्यों तपती धूप में किशोर कुमार के गाने गा रहे रायपुर मनरेगा कर्मचारी?



सहायक परियोजना अधिकारी की बर्खास्तगी से मनरेगा कर्मियों में गुस्सा: कांग्रेस सरकार ने अपने जन घोषणा पत्र में यह वादा किया था कि समस्त संविदा कर्मचारियों की नियमितीकरण एवं किसी भी संविदा कर्मचारी की छटनी नहीं की जाएगी. यह वादा सरकार ने किया था. लेकिन एक ही झटके में सरकार ने 21 सहायक परियोजना अधिकारियों की सेवा समाप्त करने के आदेश भी जारी कर दिया. जिसके बाद से मनरेगा कर्मचारियों में सरकार के खिलाफ जमकर आक्रोश और नाराजगी भी देखने को मिल रही है.

ये भी पढ़ें: रायपुर में 12 हजार से ज्यादा मनरेगा कर्मचारियों का सामूहिक इस्तीफा, भूपेश को दी ये चेतावनी




मनरेगा कर्मचारियों ने एसडीएम को सौंपा था सामूहिक इस्तीफा: आपको बता दें कि 21 सहायक परियोजना अधिकारियों को सरकार के द्वारा बर्खास्त किए जाने के बाद मनरेगा कर्मचारियों ने 4 जून को विशाल रैली निकाली थी. इस रैली में मनरेगा कर्मियों ने सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की थी. धरना स्थल से सप्रे शाला तक कर्मचारियों ने रैली निकाली थी. उसके बाद एसडीएम देवेंद्र पटेल को 12,000 से अधिक मनरेगा कर्मचारियों ने अपना सामूहिक इस्तीफा भी सौंपा था



मनरेगा कर्मचारियों की मांगें: राजधानी रायपुर के बूढ़ा तालाब धरना स्थल पर मनरेगा कर्मचारी अपनी दो सूत्रीय मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं. मनरेगा कर्मचारियों की पहली मांग है कि सरकार अपनी चुनावी घोषणा पत्र को लागू करे. समस्त मनरेगा कर्मियों का नियमितीकरण किया जाए और दूसरी मांग नियमितीकरण की प्रक्रिया पूर्ण होने तक ग्राम रोजगार सहायकों का वेतन मान निर्धारण करते हुए समस्त मनरेगा कर्मियों पर सिविल सेवा नियम 1966 के साथ पंचायत कर्मी नियमावली लागू की जाए.

रायपुर: छत्तीसगढ़ में मनरेगा कर्मचारियों की हड़ताल जारी है. रायपुर में मनरेगा कर्मचारियों की हड़ताल के 65 दिन हो गए हैं. मंगलवार को मनरेगा कर्मियों ने धरनास्थल पर प्रतीकात्मक तौर पर शव यात्रा निकाली और विलाप कर विरोध प्रदर्शन किया. मनरेगा कर्मचारियों ने यहां प्रतीकात्मक तौर पर शव रखकर विरोध प्रदर्शन किया. बीते दिनों मनरेगा कर्मचारियों ने संविदा कर्मी का पुतला बनाकर उसे आत्हत्या करते हुए दिखाया था. मंगलवार को प्रतीकात्मक तौर पर पुतला को शव की तरह रखकर मनरेगा कर्मचारियों ने विरोध प्रदर्शन किया. मनरेगा कर्मचारी प्रतीकात्मक रूप से यह दिखाना चाहते हैं कि संविदा में नौकरी करना आत्महत्या करने के जैसा है.


मनरेगा परियोजना अधिकारी की बर्खास्तगी का विरोध: छत्तीसगढ़ मनरेगा कर्मचारी महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष चंद्रशेखर अग्निवंशी ने कहा कि बीते साल 3000 मनरेगा साथियों की बर्खास्तगी की गई है. संविदा अधिनियम काला कानून हैं. इस काला कानून का उपयोग करते हुए मनरेगा आयुक्त ने एक झटके में 2 जून को 21 सहायक परियोजना अधिकारियों की सेवा समाप्ति की. सेवा समाप्ति करने के पूर्व एक बार भी नहीं सोचा गया कि ये वहीं 21 कर्मचारी हैं जिन्होंने छत्तीसगढ़ को विगत वर्षों में 31 राष्ट्रीय अवॉर्ड दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. क्रूरता पूर्वक कलम चलाते हुए अधिकारियों ने एक बार भी नहीं सोचा कि 10-15 वर्षों से जो कर्मचारी जी जान लगाकर काम करते हैं. सेवा समाप्ति के बाद उनके परिवार की स्थिति कैसी होगी.

रायपुर में मनरेगा कर्मचारियों का विरोध प्रदर्शन

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सहायक परियोजना अधिकारी की बर्खास्तगी से मनरेगा कर्मियों में गुस्सा: कांग्रेस सरकार ने अपने जन घोषणा पत्र में यह वादा किया था कि समस्त संविदा कर्मचारियों की नियमितीकरण एवं किसी भी संविदा कर्मचारी की छटनी नहीं की जाएगी. यह वादा सरकार ने किया था. लेकिन एक ही झटके में सरकार ने 21 सहायक परियोजना अधिकारियों की सेवा समाप्त करने के आदेश भी जारी कर दिया. जिसके बाद से मनरेगा कर्मचारियों में सरकार के खिलाफ जमकर आक्रोश और नाराजगी भी देखने को मिल रही है.

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मनरेगा कर्मचारियों ने एसडीएम को सौंपा था सामूहिक इस्तीफा: आपको बता दें कि 21 सहायक परियोजना अधिकारियों को सरकार के द्वारा बर्खास्त किए जाने के बाद मनरेगा कर्मचारियों ने 4 जून को विशाल रैली निकाली थी. इस रैली में मनरेगा कर्मियों ने सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की थी. धरना स्थल से सप्रे शाला तक कर्मचारियों ने रैली निकाली थी. उसके बाद एसडीएम देवेंद्र पटेल को 12,000 से अधिक मनरेगा कर्मचारियों ने अपना सामूहिक इस्तीफा भी सौंपा था



मनरेगा कर्मचारियों की मांगें: राजधानी रायपुर के बूढ़ा तालाब धरना स्थल पर मनरेगा कर्मचारी अपनी दो सूत्रीय मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं. मनरेगा कर्मचारियों की पहली मांग है कि सरकार अपनी चुनावी घोषणा पत्र को लागू करे. समस्त मनरेगा कर्मियों का नियमितीकरण किया जाए और दूसरी मांग नियमितीकरण की प्रक्रिया पूर्ण होने तक ग्राम रोजगार सहायकों का वेतन मान निर्धारण करते हुए समस्त मनरेगा कर्मियों पर सिविल सेवा नियम 1966 के साथ पंचायत कर्मी नियमावली लागू की जाए.

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