रायपुर : दलहनी सब्जियों में मटर का अपनी अलग जगह है. मटर की खेती करके कम समय में पैदावार ली जा सकती है. मटर भूमि की उर्वरा शक्ति बढ़ाने में भी सहायक होता है. मटर को दाल और सब्जी के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है. पूरे भारत में ठंड के समय मटर की खेती की जाती है.लिहाजा इसकी फसल ठंड के महीने में ही बाजार में आ जाती है.
कैसे करें मटर की खेती ? : इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक घनश्याम दास साहू ने बताया कि "मटर की खेती ठंड के मौसम में देश और प्रदेश के किसान आसानी से कर सकते हैं. मटर की किस्मो में अर्किल, साल्विया, काशी नंदिनी, पुशाश्री, पंथ मटर 155, अर्ली बैजर जैसी किस्म प्रमुख हैं.
''सालविया मटर मीठा होने के साथ इसे गार्डन मटर के रूप में जानते हैं. मटर की इन किस्म को खेत और बाड़ियों में आसानी से लगाया जा सकता है. हरा मटर को सब्जी के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है. इसके साथ ही सूखा मटर सब्जी और फ्रोजन करके इसको साल भर रख सकते हैं." घनश्याम दास साहू,वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक,इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय
मटर की खेती में किन बातों का रखें ध्यान ? : छत्तीसगढ़ के किसानों को धान की फसल के बाद मटर की फसल लेनी चाहिए. किसानों को मटर की खेती करते समय इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए कि मटर लगाते समय इसकी दूरी 20-20 सेंटीमीटर की होनी चाहिए. मटर की खेती करते समय टपक सिंचाई के माध्यम से किया जाता है तो सप्ताह में केवल दो बार पानी देने से मटर की खेती आसानी से की जा सकती है.
कीटों के प्रकोप से कैसे बचाएं फसल ? :मटर की खेती में 45 दिनों के दौरान फूल और फल आने शुरू हो जाते हैं. मटर की इन्हीं किस्म को किसान बीज बनाकर रख ले जो अगले साल खेती के काम आएंगे. मटर की खेती करते समय कीट का प्रकोप भी देखने को मिलता है. ऐसे में कीटनाशक दवा का प्रयोग करके मटर जैसी दाल वर्गीय फसल को बचाया जा सकता है.