रायपुर: चैत्र नवरात्रि के नवमें दिन माता के सिद्धिदात्री देवी के रूप में महानवमी पूजा की जाती है. यह दिन महानवमी, रामनवमी, स्वामी नारायण जयंती और चैत्र नवरात्रि की समाप्ति का महापर्व है. चैत्र नवरात्रि के नवमी के दिन सिद्धिदात्री रूप में मां भगवती की पूजा की जाती है. सिद्धिदात्री माता अष्ट सिद्धि और नव निधियों को देने वाली माता है. अष्ट सिद्धियां और नौ निधियां संपूर्ण मनोरथ को प्रदान करने वाली मानी जाती है. इस दिन कुंवारी कन्याओं का पूजन किया जाता है. कुंवारी कन्याओं को बिठाकर पूजन करना चाहिए. कुंवारी कन्याओं को तिलक, अक्षत और पुष्प अर्पित करना चाहिए. इसके साथ ही उपहार नगद आदि देकर भी प्रसन्न किया जाता है.
कन्याओं की होती है विशेष पूजा: पंडित विनीत शर्मा ने बताया कि "इस दिन 5, 7 और 9 कन्याओं के पूजा करने का विधान है. घर में बैठी हुई माता दुर्गा को विधिपूर्वक मंत्र उच्चारण के बाद पूजा करते हुए स्नान कराना चाहिए. यह स्नान शुद्ध जल से कराना चाहिए. इसके उपरांत महानवमी के दिन माता को नई साड़ी अर्पित की जाती है. संपूर्ण देवी का श्रृंगार पूरे मन से किया जाता है. इसके उपरांत शुद्ध जल द्वारा स्नान, अक्षत, पुष्प, रोली, कुमकुम, चंदन, वंदन, मौली, ऋतु फल मिष्ठान, चरणामृत, पंचामृत, पुष्पों की माला, श्रीफल, कमल पुष्प, कमल की माला आदि अर्पित की जाती है."
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जरूरतमंदों को दिया जाता है दान: पंडित विनीत शर्मा ने बताया कि "शोभा और सौभाग्य का प्रतीक सिंदूर का तिलक किया जाता है. माता को विभिन्न तरह के ऋतु फल अर्पित किए जाते हैं. सिद्धिदात्री माता की कथा, दुर्गा सप्तशती, दुर्गा चालीसा, दुर्गा सहस्त्रनाम, सिद्ध कुंजिका स्त्रोत, लक्ष्मी सुक्तम, श्री सुक्तम आदि मंत्रों के द्वारा सिद्धिदात्री माता को प्रसन्न करने का प्रयास किया जाता है. इस शुभ दिन उपवास रखने पर मनोकामनाएं पूर्ण होती है. शुद्ध मन से साफ-सुथरे कपड़े पहनकर पूरी सात्विकता के साथ आज का दिवस व्यतीत करना चाहिए. इस दिन कुवारी कन्या और जरूरतमंद लोगों को दान करने से अनेक गुना पुण्य के फल की प्राप्ति होती है. इस दिन दिव्यांगों की सेवा, वृक्षों, पेड़ पौधों और जल संरक्षण करना शुभ माना गया है."