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SPECIAL : छत्तीसगढ़ में 1 फीसदी लोगों की भी नहीं हो पाई कोरोना जांच - कोरोना वायरस न्यूज

छत्तीसगढ़ सरकार का कहना है कि लगातार टेस्टिंग बढ़ाने के लिए काम किया जा रहा है. इसको लेकर प्रदेश में 3 नए लैब की स्थापना भी की गई है. लेकिन हैरान करने वाली बात है कि छत्तीसगढ़ में अब तक 1 फीसदी जनता की भी टेस्टिंग नहीं हो पाई है.

corona virus update
सिर्फ एक फीसदी कोरोना टेस्टिंग
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Published : Jun 30, 2020, 8:37 PM IST

रायपुर : छत्तीसगढ़ में कोरोना वायरस संक्रमण के केस लगातार बढ़ते जा रहे हैं. इसे फैलने से रोकने का एकमात्र तरीका यह है कि संक्रमित लोगों की पहचान की जा सके और इसके लिए सबसे ज्यादा जरूरी है कि ज्यादा से ज्यादा लोगों की टेस्टिंग शुरू की जाए. छत्तीसगढ़ सरकार का कहना है कि लगातार टेस्टिंग बढ़ाने के लिए काम किया जा रहा है. इसको लेकर प्रदेश में 3 नए लैब की स्थापना भी की गई है. जेपी टेस्टिंग किट के माध्यम से भी लोगों की जांच की जा रही है, साथ ही मशीन टू नेट से भी लोगों के टेस्ट किए जा रहे हैं. लेकिन हैरान करने वाली बात है कि छत्तीसगढ़ में अब तक 1 फीसदी जनता की भी टेस्टिंग नहीं हो पाई.

छत्तीसगढ़ में सिर्फ एक फीसदी लोगों की कोरोना टेस्टिंग

छत्तीसगढ़ की आबादी करीब ढाई करोड़ है और अब तक केवल 0.618 फीसदी लोगों की कोरोना जांच हुई है. 29 जून के मेडिकल बुलेटीन की मानें, तो प्रदेश में अब तक 15,4,526 लोगों की जांच की गई है. यह आंकड़ा बेहद कम है, प्रदेश में लगातार संक्रमण के मामले बढ़ रहे हैं ऐसे में टेस्टिंग बढ़ाकर कोरोना संक्रमितों की पहचान करना और दूसरे तक फैलने से रोकना ही सरकार के पास एकमात्र विकल्प है.

प्रदेश में लैब की संख्या

प्रदेश में सरकारी लैब्स की बात की जाए तो पंडित जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज में कोरोना सैंपल की टेस्टिंग की जा रही है. सरकार ने 3 नए लैब की स्थापना की है, यह लैब अंबिकापुर, राजनांदगांव और बिलासपुर में हैं. राहत की बात है कि राजनांदगांव और बिलासपुर में लैब बन कर पूरी तरह से तैयार हैं. इसके अलावा दो निजी लैब को भी सैंपल की टेस्टिंग की इजाजत दी गई है.

पढ़े-SPECIAL: कोरोना वॉरियर्स सफाईकर्मियों का नगरपालिका पर आरोप, बिना सुरक्षा कवच करना पड़ रहा काम

टेस्टिंग को लेकर तैयारियां

स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने बताया कि ट्रू नेट मशीन लगभग सभी जिला अस्पतालों में पहुंचा दी गई है. अच्छी बात यह है कि इस मशीन के से 45 मिनट में 4 लोगों की जांच कर ली जाती है. जल्द ही हम सात और मशीनें खरीदने वाले हैं, इससे भी टेस्टिंग में तेजी आएगी. इसके अलावा आईसीएमआर की एक गाइडलाइन आई है जिसमें एक रैपिड टेस्टिंग किट के बारे में बताया गया है. उसे भी सरकार जल्द ही खरीदने वाली है.

स्वास्थ्य विभाग ने स्वीकार की नाकामी

करीब साढ़े 3 महीने बीत जाने के बावजूद 1 फीसदी जनता का भी टेस्ट न हो पाने को स्वास्थ्य मंत्री ने विभाग की नाकामी मानी है. उन्होंने कहा कि 'यह न केवल प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग की नाकामी है बल्कि देश के स्वास्थ्य विभाग भी फेल रहा है. हमें यहां नए लैब स्थापित करने में करीब डेढ़ महीने का समय लग गया है'. स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंह देव ने बताया कि अभी स्थिति पहले से बेहतर है, पहले प्रदेश में नई लैब नहीं थी, पूरे देश में केवल एक लैब थी, आज हम पूरे देश में 350 लैब के साथ टेस्टिंग कर रहे हैं. जहां दिन में सिर्फ 200 टेस्टिंग कर पाते थे वहीं अभी आंकड़ा लगभग 3000 छूने को है.

रायपुर : छत्तीसगढ़ में कोरोना वायरस संक्रमण के केस लगातार बढ़ते जा रहे हैं. इसे फैलने से रोकने का एकमात्र तरीका यह है कि संक्रमित लोगों की पहचान की जा सके और इसके लिए सबसे ज्यादा जरूरी है कि ज्यादा से ज्यादा लोगों की टेस्टिंग शुरू की जाए. छत्तीसगढ़ सरकार का कहना है कि लगातार टेस्टिंग बढ़ाने के लिए काम किया जा रहा है. इसको लेकर प्रदेश में 3 नए लैब की स्थापना भी की गई है. जेपी टेस्टिंग किट के माध्यम से भी लोगों की जांच की जा रही है, साथ ही मशीन टू नेट से भी लोगों के टेस्ट किए जा रहे हैं. लेकिन हैरान करने वाली बात है कि छत्तीसगढ़ में अब तक 1 फीसदी जनता की भी टेस्टिंग नहीं हो पाई.

छत्तीसगढ़ में सिर्फ एक फीसदी लोगों की कोरोना टेस्टिंग

छत्तीसगढ़ की आबादी करीब ढाई करोड़ है और अब तक केवल 0.618 फीसदी लोगों की कोरोना जांच हुई है. 29 जून के मेडिकल बुलेटीन की मानें, तो प्रदेश में अब तक 15,4,526 लोगों की जांच की गई है. यह आंकड़ा बेहद कम है, प्रदेश में लगातार संक्रमण के मामले बढ़ रहे हैं ऐसे में टेस्टिंग बढ़ाकर कोरोना संक्रमितों की पहचान करना और दूसरे तक फैलने से रोकना ही सरकार के पास एकमात्र विकल्प है.

प्रदेश में लैब की संख्या

प्रदेश में सरकारी लैब्स की बात की जाए तो पंडित जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज में कोरोना सैंपल की टेस्टिंग की जा रही है. सरकार ने 3 नए लैब की स्थापना की है, यह लैब अंबिकापुर, राजनांदगांव और बिलासपुर में हैं. राहत की बात है कि राजनांदगांव और बिलासपुर में लैब बन कर पूरी तरह से तैयार हैं. इसके अलावा दो निजी लैब को भी सैंपल की टेस्टिंग की इजाजत दी गई है.

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टेस्टिंग को लेकर तैयारियां

स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने बताया कि ट्रू नेट मशीन लगभग सभी जिला अस्पतालों में पहुंचा दी गई है. अच्छी बात यह है कि इस मशीन के से 45 मिनट में 4 लोगों की जांच कर ली जाती है. जल्द ही हम सात और मशीनें खरीदने वाले हैं, इससे भी टेस्टिंग में तेजी आएगी. इसके अलावा आईसीएमआर की एक गाइडलाइन आई है जिसमें एक रैपिड टेस्टिंग किट के बारे में बताया गया है. उसे भी सरकार जल्द ही खरीदने वाली है.

स्वास्थ्य विभाग ने स्वीकार की नाकामी

करीब साढ़े 3 महीने बीत जाने के बावजूद 1 फीसदी जनता का भी टेस्ट न हो पाने को स्वास्थ्य मंत्री ने विभाग की नाकामी मानी है. उन्होंने कहा कि 'यह न केवल प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग की नाकामी है बल्कि देश के स्वास्थ्य विभाग भी फेल रहा है. हमें यहां नए लैब स्थापित करने में करीब डेढ़ महीने का समय लग गया है'. स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंह देव ने बताया कि अभी स्थिति पहले से बेहतर है, पहले प्रदेश में नई लैब नहीं थी, पूरे देश में केवल एक लैब थी, आज हम पूरे देश में 350 लैब के साथ टेस्टिंग कर रहे हैं. जहां दिन में सिर्फ 200 टेस्टिंग कर पाते थे वहीं अभी आंकड़ा लगभग 3000 छूने को है.

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