रायपुर: छत्तीसगढ़ विधानसभा के विशेष सत्र को अक्टूबर में बुलाकर भूपेश सरकार ने छत्तीसगढ़ कृषि उपज मंडी संशोधन विधेयक को पारित करवा लिया था, लेकिन अब तक राज्यपाल अनुसुइया उइके ने इस बिल पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं.
आइए आपको बताते हैं कि इस बिल में क्या खास है-
संशोधन विधेयक में किसान के हितों के लिए कई प्रावधान किए गए हैं. सबसे अहम प्रावधान मंडियों में फसल की बिक्री को लेकर है.
1- निजी मंडियों को डीम्ड मंडी घोषित किया जाएगा
कृषि मंत्री रविंद्र चौबे ने सदन में चर्चा के दौरान कहा था कि छत्तीसगढ़ में 80 फीसदी लघु और सीमांत किसान हैं. इन किसानों में कृषि उपज भंडारण और मोल-भाव की क्षमता नहीं होने से बाजार मूल्य के उतार-चढ़ाव और भुगतान के जोखिम को ध्यान में रखते हुए उनकी उपज की गुणवत्ता के आधार पर सही कीमत, सही तौल और समय पर भुगतान सुनिश्चित कराने के लिए डीम्ड मंडी और इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म की स्थापना करना जरूरी है, जो इस प्रावधान से संभव हो पाएगा.
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2- राज्य सरकार के अधिसूचित अधिकारी को मंडी की जांच का अधिकार
राज्य में सभी मंडी खासकर डीम्ड मंडियों की जांच का अधिकार राज्य सरकार की तरफ से नियुक्त अधिकारी को होगा. वह मंडियों में सभी तरफ के ऑपरेशनल प्रक्रिया की जांच कर सकेगा.
3- अनाज की आवाजाही निरीक्षण में जब्ती का अधिकार
मंडियों में गड़बड़ी होने और अनाज को स्टोरेज कर लाने और ले जाने के दौरान अनियमितता होने पर अनाज की जब्ती का अधिकार भी मंडी से जुड़े अधिकारियों को दिया गया है.
4- निजी मंडियों में अधिकारियों को भंडारण की तलाशी का होगा अधिकार
सिर्फ सरकारी मंडियों में नहीं बल्कि निजी और डीम्ड मंडियों में भी भंडारण की तलाशी का अधिकार मंडी के अधिकारियों को दिया गया है, जिसका प्रावधान इस नए विधेयक में है.
5- मंडी समिति और अधिकारियों पर केस दायर करने का अधिकार
मंडी समिति पर नकेल कसने के लिए भी इस बिल में प्रावधान है. अगर मंडी में गड़बड़ी पाई जाती है, तो मंडी समिति और उससे जुड़े अधिकारियों पर केस दायर करने का अधिकार होगा.
6- इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म और ऑनलाइन भुगतान संचालन राज्य सरकार में बने नियम से होगा.
कृषि से जुड़े व्यापार और उससे जुड़े प्लेटफॉर्म पर ऑनलाइन भुगतान की व्यवस्था राज्य सरकार के बने नियमों से किया जाएगा.
7- सजा का भी प्रावधान
जानकारी छिपाने और गलत जानकारी देने पर 3 महीने की सजा या 5 हजार रुपये के जुर्माने का प्रावधान इसके अलावा दूसरी बार गलती होने पर 6 महीने की सजा और 10 हजार रुपये के जुर्माने का प्रावधान है.