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जानिए केंद्रीय बजट को लेकर छत्तीसगढ़ के डॉक्टरों ने क्या कहा ?

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 1 फरवरी को आम बजट पेश किया है. इस बजट में पहली बार स्वास्थ्य के क्षेत्र में 137% का इजाफा हुआ है. ETV भारत की टीम ने डॉक्टर देवेंद्र नायक और डॉक्टर सुनील खेमका से बातचीत की और उनकी प्रतिक्रिया जानी. जानिए बजट को लेकर डॉक्टर्स ने क्या कहा...?

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केंद्रीय बजट को लेकर छत्तीसगढ़ के डॉक्टरों ने क्या कहा है ?
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Published : Feb 2, 2021, 2:53 AM IST

Updated : Feb 2, 2021, 7:26 AM IST

रायपुर: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 1 फरवरी को आम बजट पेश किया है. इस बजट में पहली बार स्वास्थ्य के क्षेत्र में 137% का इजाफा हुआ है. हेल्थ बजट 94 हजार करोड से बढ़कर 2.23 लाख करोड़ रुपये हुआ है. ETV भारत की टीम ने हेल्थ बजट को लेकर शहर के दो बड़े अस्पतालों के डॉक्टर्स से बातचीत की. ETV भारत की टीम ने डॉक्टर देवेंद्र नायक और डॉक्टर सुनील खेमका से बातचीत की और उनकी प्रतिक्रिया जानी.

केंद्रीय बजट पर डॉक्टर देवेंद्र नायक से बातचीत

पढ़ें: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण बोलीं- बजट में सभी वर्गों का रखा गया ध्यान

बजट को लेकर डॉक्टर देवेंद्र नायक ने कहा जो बजट पेश किया गया है. यह कोरोना महामारी को ध्यान में रखकर प्रस्तुत किया गया है. अन्य डेवलप कंट्री से तुलना की जाए, तो कुल जीडीपी का 10% से 13% हेल्थ बजट होता है. भारत में यह जीडीपी का हेल्थ बजट 1.2% होता है. जिसे बढ़ाकर 3 प्रतिशत किया गया है. अगर स्वास्थ्य बजट देखा जाए तो भारत में भी 10% होना चाहिए.

पढ़ें: आम बजट:देश को मंदी से उबारने के लिए कोई ठोस प्रयास नहीं: शिव डहरिया

6 स्तम्भ में हेल्थ को भी एक स्तम्भ माना गया
डॉ नायक ने बताया वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 6 स्तंभ में 1 स्तंभ स्वास्थ्य को भी माना है. पहली बार हेल्थ को लेकर इतना बड़ा बजट प्रस्तुत किया गया है. यह प्राइमरी, सेकेंडरी और नर्सरी हेल्थ केयर के लिए रखा गया है. अच्छी स्वास्थ्य सेवा के लिए प्राइमरी सेकेंडरी और नर्सरी हेल्थ केयर को प्रमोट करना होगा.

35 हजार करोड़ कोरोना वैक्सीन के लिए

डॉ नायक ने कहा कि कोरोना वैक्सीन के लिए 35 हजार करोड़ रुपये रखा गया है. बाद में उसे बढ़ाना पड़ेगा. केंद्र सरकार सभी के लिए वैक्सीन उपलब्ध कराना चाहताी है, तो 2 से 3 गुना बजट लगेगा. प्रारंभिक तैर पर देखा जाए तो 130 करोड़ लोगों को वैक्सीनेट करना संभव नहीं है. जो 35 हजार करोड़ का बजट वैक्सीन के लिए रखा है. वह अच्छा है. इस बजट में खास तौर पर प्राइवेट सेक्टर और पीपीपी मॉडल को प्रमोट करना चाहिए. प्रधानमंत्री स्वास्थ्य बीमा योजना चल रही है, उसकी राशि बढ़ानी चाहिए. लोगों को एक्सीडेंट कवरेज पहले से ही दिया गया है, लेकिन मुख्य समस्या प्राइमरी, सेकेंडरी और नर्सरी हेल्थ केयर सेक्टर में आती है.

स्वास्थ्य बजट को जीडीपी का 10% बढ़ाना पड़ेगा

डॉ नायक ने कहा कि पहली 17 हजार रूलर और 11 हजार अर्बन प्राइमरी हेल्थ सेंटर डेवलप कर रहे हैं. यह चीजें आएंगी, तो स्वास्थ्य सेवाएं अंतिम व्यक्ति तक पहुंचेगी. कुल मिलाकर यह बजट इनकरेजिंग रहा. यह बजट अनएक्सपेक्टेड है. इससे पहले भी हम डिमांड किया करते थे. यह पहली बार है जब हेल्थ बजट 137 प्रतिशत बढ़ाया गया है. प्रधानमंत्री की उपलब्धि है कि हेल्थ बजट को इतना बढ़ाया गया. फिर भी इस बजट को आगे और बढ़ाना पड़ेगा. स्वास्थ्य बजट को जीडीपी का 10% करना होगा, तभी लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मिल पाएगी.

सवाल- कई हेल्थ स्कीम और इंश्योरेंस हैं, लेकिन आम जनता को सीधा फायदा नहीं मिल पाता इसे लेकर क्या होना चाहिए ?

डॉक्टर देवेंद्र ने बताया कि सरकार द्वारा जो कार्ड दिए जाते हैं, वे एक दिन में लोगों को 2200 रुपये तक देते हैं. लोगों को लगता है कि कार्ड में 5 लाख रुपये इलाज के लिए हैं. इसमें बीमारियों को स्पेसिफाई करने की आवश्यकता है. कौन सी बीमारी क्रिटिकल है, पेशेंट की कंडीशन कैसी है, अगर इलाज के लिए 2200 रुपये दिया जाता है, तो वो इलाज के लिए सही नहीं है. प्राइमरी लेवल पर इलाज किया जा सकता है. क्रिटिकल केस का इलाज नहीं हो सकता. इसे बढ़ाने की आवश्यकता है. रोजाना इलाज के लिए मिलने वाली राशि में बढ़ोतरी होनी चाहिए, तभी लोगों को गुणवत्ता युक्त हेल्थ केयर दे पाएंगे.

सवाल- सभी लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा मिलने के लिए और क्या योजना तैयार की जा सकती है?

डॉ नायक ने कहा कि सरकार कितना भी इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलप कर ले, रूलर और अर्बन हेल्थ सेंटर बढ़ा दिए जाएं, स्वास्थ्य सुविधा मुहैया कराने वाले डॉक्टर और मेडिकल स्टाफ जब तक नहीं मिलेंगे, तब तक यह सिस्टम नहीं चलेगा. अभी समस्या यह हो रही है. देश में सिर्फ 545 मेडिकल कॉलेज हैं. ज्यादा संख्या में डॉक्टर नहीं हैं. पैरामेडिकल स्टाफ की कमी है. बेहतर स्वास्थ्य सुविधा के लिए डॉक्टरों और मेडिकल स्टाफ बढ़ाने की आवश्यकता है. हेल्थ केयर डिलीवरी सिस्टम को सुदृढ़ और सशक्त बनाना होगा. डॉक्टर और मेडिकल स्टाफ को प्रेरित करना होगा.

साधारण शब्दों में पूरे स्वास्थ्य बजट को लेकर क्या कहेंगे ?

डॉ नायक ने कहा यह बजट इनकरेजिंग है. हम विकासशील देश से विकसित देश बनने जा रहे हैं. अभी भी स्वास्थ्य के क्षेत्र में बजट को बढ़ाने की आवश्यकता है, तभी हर एक नागरिक को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मिल पाएंगी.

केंद्रीय बजट पर डॉक्टर सुनील खेमका से बातचीत
स्वास्थ्य बजट को लेकर डॉक्टर सुनील खेमका ने कहा- डॉक्टर सुनील खेमका ने कहा कि वे सरकार के शुक्रगुजार हैं, जिन्होंने हेल्थ सेक्टर पर इतना ध्यान दिया. अचानक से ढाई गुणा बजट बढ़ाया है. इस बजट से सभी सरकारी कॉलेज, सरकारी अस्पताल अपग्रेड होने वाले हैं. आयुष्मान योजना में भी बहुत सारे बदलाव आने वाले हैं. डॉक्टर खेमका ने कहा कि सरकार वेरियस मोड के जरिए स्वास्थ्य के क्षेत्र में पैसा देती है, उसे सेंट्रलाइज करना जरूरी है.

बीपीएल परिवार का इंश्योरेंस होना चाहिए

सुनील खेमका ने कहा कि जितने भी बीपीएल परिवार हैं, उनका इंश्योरेंस होना चाहिए. उन्हें क्वॉलिटी ट्रीटमेंट मिलना चाहिए. आयुष्मान योजना के तहत 2000 आईसीयू है, उस दौरान लगभग 10000 की दवाईयां आती हैं. ऐसे में यह चीजें पॉसिबल नहीं हैं. कई बीमारियों के लिए जो राशि तय की गई है, वे बेहद कम है. इसे सुधारने की आवश्यकता है. जिस तरह से बजट पेश किया गया है, इतनी राशि में सरकार सभी लोगों को अच्छा स्वास्थ्य उपलब्ध करा सकती है.

सवाल- जमीनी स्तर पर इस बजट के क्रियान्वयन के लिए क्या करने की आवश्यकता है ?

सुनील खेमका ने कहा कि कोरोना संक्रमण के दौरान वैक्सीनेशन का कार्य केंद्र सरकार और राज्य सरकार बेहद अच्छे से करा रही है. आने वाले दिनों में यह बृहद रूप में होगा.

सवाल-लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा मिले इसके लिए क्या किया जा सकता है ?

डॉक्टर खेमका ने कहा कि लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा देने के लिए सभी का इंश्योरेंस होना जरूरी है. सभी लोगों को क्वालिटी ट्रीटमेंट दिया जा सकता है.

सवाल- सरकार द्वारा आयुष्मान कार्ड योजना में 5 लाख तक दिया जाता है, लेकिन तकनीकी दिक्कत है. क्या सामने आती हैं ?

डॉक्टर खेमका का कहना है कि ऐसा बहुत कम ही होता है कि लोगों को पूरी राशि मिल पाए. बड़े-बड़े इलाज जैसे लिवर ट्रांसप्लांट का खर्च 10 लाख से अधिक होता है. वहीं अगर मरीज डेढ़-2 महीना हेड इंजरी केस में बेहोश रहता है, तो उसमें 5 लाख तक की राशि मिलती ही नहीं है. 2000 से 2500 प्रतिदिन के हिसाब से पैसे मिलते हैं, जो वास्तव में बेहद कम हैं.

सवाल- साधारण शब्दों में इस बजट को लेकर क्या कहना चाहेंगे ?

डॉक्टर खेमका ने कहा कि सरकार जितने रुपए हेल्थ में खर्च करती है, वो सीजीएचएस सरकार कहीं ना कहीं रूट से खर्च करती है. अगर इन सभी को एक करके सभी लोगों का इंश्योरेंस करवा दिया जाए, तो जितने भी कम आय वर्ग के लोग हैं, सभी को अच्छा ट्रीटमेंट मिलेगा.

रायपुर: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 1 फरवरी को आम बजट पेश किया है. इस बजट में पहली बार स्वास्थ्य के क्षेत्र में 137% का इजाफा हुआ है. हेल्थ बजट 94 हजार करोड से बढ़कर 2.23 लाख करोड़ रुपये हुआ है. ETV भारत की टीम ने हेल्थ बजट को लेकर शहर के दो बड़े अस्पतालों के डॉक्टर्स से बातचीत की. ETV भारत की टीम ने डॉक्टर देवेंद्र नायक और डॉक्टर सुनील खेमका से बातचीत की और उनकी प्रतिक्रिया जानी.

केंद्रीय बजट पर डॉक्टर देवेंद्र नायक से बातचीत

पढ़ें: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण बोलीं- बजट में सभी वर्गों का रखा गया ध्यान

बजट को लेकर डॉक्टर देवेंद्र नायक ने कहा जो बजट पेश किया गया है. यह कोरोना महामारी को ध्यान में रखकर प्रस्तुत किया गया है. अन्य डेवलप कंट्री से तुलना की जाए, तो कुल जीडीपी का 10% से 13% हेल्थ बजट होता है. भारत में यह जीडीपी का हेल्थ बजट 1.2% होता है. जिसे बढ़ाकर 3 प्रतिशत किया गया है. अगर स्वास्थ्य बजट देखा जाए तो भारत में भी 10% होना चाहिए.

पढ़ें: आम बजट:देश को मंदी से उबारने के लिए कोई ठोस प्रयास नहीं: शिव डहरिया

6 स्तम्भ में हेल्थ को भी एक स्तम्भ माना गया
डॉ नायक ने बताया वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 6 स्तंभ में 1 स्तंभ स्वास्थ्य को भी माना है. पहली बार हेल्थ को लेकर इतना बड़ा बजट प्रस्तुत किया गया है. यह प्राइमरी, सेकेंडरी और नर्सरी हेल्थ केयर के लिए रखा गया है. अच्छी स्वास्थ्य सेवा के लिए प्राइमरी सेकेंडरी और नर्सरी हेल्थ केयर को प्रमोट करना होगा.

35 हजार करोड़ कोरोना वैक्सीन के लिए

डॉ नायक ने कहा कि कोरोना वैक्सीन के लिए 35 हजार करोड़ रुपये रखा गया है. बाद में उसे बढ़ाना पड़ेगा. केंद्र सरकार सभी के लिए वैक्सीन उपलब्ध कराना चाहताी है, तो 2 से 3 गुना बजट लगेगा. प्रारंभिक तैर पर देखा जाए तो 130 करोड़ लोगों को वैक्सीनेट करना संभव नहीं है. जो 35 हजार करोड़ का बजट वैक्सीन के लिए रखा है. वह अच्छा है. इस बजट में खास तौर पर प्राइवेट सेक्टर और पीपीपी मॉडल को प्रमोट करना चाहिए. प्रधानमंत्री स्वास्थ्य बीमा योजना चल रही है, उसकी राशि बढ़ानी चाहिए. लोगों को एक्सीडेंट कवरेज पहले से ही दिया गया है, लेकिन मुख्य समस्या प्राइमरी, सेकेंडरी और नर्सरी हेल्थ केयर सेक्टर में आती है.

स्वास्थ्य बजट को जीडीपी का 10% बढ़ाना पड़ेगा

डॉ नायक ने कहा कि पहली 17 हजार रूलर और 11 हजार अर्बन प्राइमरी हेल्थ सेंटर डेवलप कर रहे हैं. यह चीजें आएंगी, तो स्वास्थ्य सेवाएं अंतिम व्यक्ति तक पहुंचेगी. कुल मिलाकर यह बजट इनकरेजिंग रहा. यह बजट अनएक्सपेक्टेड है. इससे पहले भी हम डिमांड किया करते थे. यह पहली बार है जब हेल्थ बजट 137 प्रतिशत बढ़ाया गया है. प्रधानमंत्री की उपलब्धि है कि हेल्थ बजट को इतना बढ़ाया गया. फिर भी इस बजट को आगे और बढ़ाना पड़ेगा. स्वास्थ्य बजट को जीडीपी का 10% करना होगा, तभी लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मिल पाएगी.

सवाल- कई हेल्थ स्कीम और इंश्योरेंस हैं, लेकिन आम जनता को सीधा फायदा नहीं मिल पाता इसे लेकर क्या होना चाहिए ?

डॉक्टर देवेंद्र ने बताया कि सरकार द्वारा जो कार्ड दिए जाते हैं, वे एक दिन में लोगों को 2200 रुपये तक देते हैं. लोगों को लगता है कि कार्ड में 5 लाख रुपये इलाज के लिए हैं. इसमें बीमारियों को स्पेसिफाई करने की आवश्यकता है. कौन सी बीमारी क्रिटिकल है, पेशेंट की कंडीशन कैसी है, अगर इलाज के लिए 2200 रुपये दिया जाता है, तो वो इलाज के लिए सही नहीं है. प्राइमरी लेवल पर इलाज किया जा सकता है. क्रिटिकल केस का इलाज नहीं हो सकता. इसे बढ़ाने की आवश्यकता है. रोजाना इलाज के लिए मिलने वाली राशि में बढ़ोतरी होनी चाहिए, तभी लोगों को गुणवत्ता युक्त हेल्थ केयर दे पाएंगे.

सवाल- सभी लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा मिलने के लिए और क्या योजना तैयार की जा सकती है?

डॉ नायक ने कहा कि सरकार कितना भी इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलप कर ले, रूलर और अर्बन हेल्थ सेंटर बढ़ा दिए जाएं, स्वास्थ्य सुविधा मुहैया कराने वाले डॉक्टर और मेडिकल स्टाफ जब तक नहीं मिलेंगे, तब तक यह सिस्टम नहीं चलेगा. अभी समस्या यह हो रही है. देश में सिर्फ 545 मेडिकल कॉलेज हैं. ज्यादा संख्या में डॉक्टर नहीं हैं. पैरामेडिकल स्टाफ की कमी है. बेहतर स्वास्थ्य सुविधा के लिए डॉक्टरों और मेडिकल स्टाफ बढ़ाने की आवश्यकता है. हेल्थ केयर डिलीवरी सिस्टम को सुदृढ़ और सशक्त बनाना होगा. डॉक्टर और मेडिकल स्टाफ को प्रेरित करना होगा.

साधारण शब्दों में पूरे स्वास्थ्य बजट को लेकर क्या कहेंगे ?

डॉ नायक ने कहा यह बजट इनकरेजिंग है. हम विकासशील देश से विकसित देश बनने जा रहे हैं. अभी भी स्वास्थ्य के क्षेत्र में बजट को बढ़ाने की आवश्यकता है, तभी हर एक नागरिक को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मिल पाएंगी.

केंद्रीय बजट पर डॉक्टर सुनील खेमका से बातचीत
स्वास्थ्य बजट को लेकर डॉक्टर सुनील खेमका ने कहा- डॉक्टर सुनील खेमका ने कहा कि वे सरकार के शुक्रगुजार हैं, जिन्होंने हेल्थ सेक्टर पर इतना ध्यान दिया. अचानक से ढाई गुणा बजट बढ़ाया है. इस बजट से सभी सरकारी कॉलेज, सरकारी अस्पताल अपग्रेड होने वाले हैं. आयुष्मान योजना में भी बहुत सारे बदलाव आने वाले हैं. डॉक्टर खेमका ने कहा कि सरकार वेरियस मोड के जरिए स्वास्थ्य के क्षेत्र में पैसा देती है, उसे सेंट्रलाइज करना जरूरी है.

बीपीएल परिवार का इंश्योरेंस होना चाहिए

सुनील खेमका ने कहा कि जितने भी बीपीएल परिवार हैं, उनका इंश्योरेंस होना चाहिए. उन्हें क्वॉलिटी ट्रीटमेंट मिलना चाहिए. आयुष्मान योजना के तहत 2000 आईसीयू है, उस दौरान लगभग 10000 की दवाईयां आती हैं. ऐसे में यह चीजें पॉसिबल नहीं हैं. कई बीमारियों के लिए जो राशि तय की गई है, वे बेहद कम है. इसे सुधारने की आवश्यकता है. जिस तरह से बजट पेश किया गया है, इतनी राशि में सरकार सभी लोगों को अच्छा स्वास्थ्य उपलब्ध करा सकती है.

सवाल- जमीनी स्तर पर इस बजट के क्रियान्वयन के लिए क्या करने की आवश्यकता है ?

सुनील खेमका ने कहा कि कोरोना संक्रमण के दौरान वैक्सीनेशन का कार्य केंद्र सरकार और राज्य सरकार बेहद अच्छे से करा रही है. आने वाले दिनों में यह बृहद रूप में होगा.

सवाल-लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा मिले इसके लिए क्या किया जा सकता है ?

डॉक्टर खेमका ने कहा कि लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा देने के लिए सभी का इंश्योरेंस होना जरूरी है. सभी लोगों को क्वालिटी ट्रीटमेंट दिया जा सकता है.

सवाल- सरकार द्वारा आयुष्मान कार्ड योजना में 5 लाख तक दिया जाता है, लेकिन तकनीकी दिक्कत है. क्या सामने आती हैं ?

डॉक्टर खेमका का कहना है कि ऐसा बहुत कम ही होता है कि लोगों को पूरी राशि मिल पाए. बड़े-बड़े इलाज जैसे लिवर ट्रांसप्लांट का खर्च 10 लाख से अधिक होता है. वहीं अगर मरीज डेढ़-2 महीना हेड इंजरी केस में बेहोश रहता है, तो उसमें 5 लाख तक की राशि मिलती ही नहीं है. 2000 से 2500 प्रतिदिन के हिसाब से पैसे मिलते हैं, जो वास्तव में बेहद कम हैं.

सवाल- साधारण शब्दों में इस बजट को लेकर क्या कहना चाहेंगे ?

डॉक्टर खेमका ने कहा कि सरकार जितने रुपए हेल्थ में खर्च करती है, वो सीजीएचएस सरकार कहीं ना कहीं रूट से खर्च करती है. अगर इन सभी को एक करके सभी लोगों का इंश्योरेंस करवा दिया जाए, तो जितने भी कम आय वर्ग के लोग हैं, सभी को अच्छा ट्रीटमेंट मिलेगा.

Last Updated : Feb 2, 2021, 7:26 AM IST
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