रायपुर: जोरा मैदान में बुधवार को नौंवा अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाया गया. इसमें छत्तीसगढ़ के तकरीबन हर जिले से लोग योगाभ्यास करने पहुंचे. योगाभ्यास करने वालों में व्हीलचेयर क्रिकेट टीम के मेंबर भी मौजूद रहे. इस टीम के कप्तान और व्हीलचेयर क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष हैं अभय प्रताप सिंह. एयरफोर्स में स्क्वाड्रन लीडर अभय प्रताप सिंह की जिंदगी में साल 2007 ऐसा भूचाल लेकर आया कि उनकी जिंदगी एकदम से बदल गई. सड़क दुर्घटना में कमर से नीचे का हिस्सा पैरालाइज हो गया. फिर उन्होंने योग का सहारा लिया और अपनी जिंदगी को नई दिशा दी. इतना ही नहीं अपने जैसे लोगों में जोश भरा और क्रिकेट से जोड़ा. रायपुर के जोरा ग्राउंड पर योग दिवस में शामिल होने व्हीलचेयर क्रिकेट एसोसिएशन के खिलाड़ियों संग पहुंचे अभय प्रताप सिंह से ईटीवी भारत ने उनकी जर्नी को जाना.
नौकरी की बजाय अभय सिंह ने किया खुद का बिजनेस: अभय प्रताप सिंह को जब समझ आया कि वो अब दोबारा चल नहीं पाएंगे तो उन्होंने हालात से समझौता करना ही बेहतर समझा. अपनी कमजोरी को कमजोरी न मानते हुए हिम्मत बनाई. अभय सिंह के पास एयर फोर्स में आगे भी नौकरी करने का मौका था लेकिन उन्होंने खुद का बिजनेस करने का मन बनाया. अब अभय सिंह के पास खुद का बिजनेस है और वे व्हीलचेयर क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष हैं. अभय सिंह प्रताप ने क्रिकेट खेलना इसलिए शुरू किया ताकि वो अपनी तरह बाकी लोगों को भी आत्मनिर्भर बनने के लिए प्रोत्साहित कर सकें.
हादसे के बाद योग ने इस अभय सिंह को इस तरह संभाला: अभय प्रताप सिंह बताते हैं कि "एक्सीडेंट के बाद जब मैं बिस्तर पर था तब से ही मैंने योग शुरू कर दिया. इससे मुझे बहुत फायदा हुआ, क्योंकि आप रेगुलर क्रिकेट खेल नहीं सकते. लेकिन आप डेली बेसिस पर योग करते हैं तो आपको काफी फायदा मिलता है. मैं 45 साल का हो चुका हूं. 17 साल मेरे एक्सीडेंट को हो गए हैं, लेकिन अभी तक मुझे ना तो बीपी की प्रॉब्लम है और ना ही शुगर की समस्या है. जो मेरे साथ के लोग हैं जो उस वक्त मुझे हॉस्पिटल में मिले थे, उनमे कोई मोटापे से जूझ रहा है तो किसी को बीपी की समस्या है. मैं डेली सुबह उठकर योग करता हूं. हर आसन तो नहीं कर पाता, लेकिन प्राणायाम अनुलोम-विलोम जैसे आसन करता हूं."
आसमान की ऊंचाई को मापने वाला व्यक्ति अचानक से चलने फिरने से मजबूर हो गया. मगर मजबूत इच्छाशक्ति ने उसे हौसला दिया और योग ने इस हौसले के डिगने न दिया. इसी का नतीजा है कि न केवल अभय प्रताप सिंह खुद को कामयाब बना चुके हैं, बल्कि अपने जैसे तमाम दिव्यांग खिलाड़ियों को योग और क्रिकेट से जोड़कर जीने की राह दिखा रहे हैं.