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रायपुर पुलिस की नेक पहल: घुमंतू और नशे की गिरफ्त में आए बच्चों का बचा रहे बचपन, कर रहे बच्चों का करियर निर्माण - Latest chhattisgarh news

policemen educating wandering and drug addict children: रायपुर में नशे की गिरफ्त में आ चुके बच्चे को बेहतर जीवन की राह दिखाने की कोशिश रायपुर पुलिस के जवान कर रहे हैं. शहर के घुमंतू और नशे के आदी बच्चों को पुलिस के जवान प्रतियोगी परीक्षाओं की ट्रेनिंग देकर उन्हें नई राह दिखा रहे हैं. महज 4 बच्चों से शुरू हुई श्री प्रयास संस्था में अब 700 से अधिक बच्चे जुड़ चुके हैं.

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रायपुर पुलिस की नेक पहल
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Published : Jan 19, 2022, 5:49 PM IST

Updated : Jan 19, 2022, 7:23 PM IST

रायपुर: राह भले ही मुश्किल हो, हिम्मत से तुम काम लेना, एक दिन यह दुनिया चाहेगी, अपने साथ तुम्हारा नाम लेना... शायरी की ये पंक्तियां रायपुर के उन बच्चों पर सटीक बैठती है, जो बच्चे कभी नशे की गिरफ्त में थे, जो कभी अपराध की दुनिया में कदम रखने की ठान चुके थे. इन बच्चों के करियर को संवारने का जिम्मा रायपुर पुलिस ने उठाया है.

रायपुर पुलिस के चार जवानों ने एक श्रीप्रयास नाम की संस्था की शुरुआत की. इस संस्था में घुमंतू बच्चे, अपराध की दुनिया में कदम रख चुके बच्चे और नशे की गिरफ्त में शामिल बच्चों को पढ़ाया जाता (drug addict children in Raipur) है. उनके करियर को संवारने का काम किया जाता है. महज 4 बच्चों से शुरू हुई इस संस्था में 700 से अधिक बच्चे जुड़ चुके हैं. बच्चों को पुलिस और सेना में भर्ती के लिए ट्रेनिंग दी जा रही है. इसके अलावा प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए भी बच्चों को तैयार किया जा रहा है.

रायपुर पुलिस की नेक पहल

बच्चों में देश सेवा का भरा जा रहा जोश

श्रीप्रयास संस्था में पढ़ने वाले अधिकांश बच्चे गरीब हैं. वे पहले गलियों में घूम-घूम कर कचरा उठाने का काम किया करते थे. इसी दौरान नशे की गिरफ्त में भी आ चुके थे. इतना ही नहीं इन बच्चों में से कई बच्चे अपराध की दुनिया से भी जुड़ने लगे थे. लेकिन इन पर नजर पड़ी छत्तीसगढ़ पुलिस के चार सिपाहियों की. उन्होंने ऐसे बच्चों को शिक्षा देने का बीड़ा उठाया ताकि देश के भविष्य इन बच्चों का करियर संवर सके. यहां इन बच्चों को उचित शारीरिक ट्रेनिंग भी दी जा रही है ताकि भविष्य में यह बच्चे देश सेवा के लिए पुलिस और सेना में शामिल हो सकें. इनकी मेहनत भी रंग लाने लगी है. शुरुआती दौर में इन चारों दोस्तों को बेहद कठिनाइयों का सामना करना पड़ा. लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और इस काम की शुरूआत महज 4 बच्चों से हुई. इन्हीं चार बच्चों का उदाहरण देते हुए उन्होंने शहर के अलग-अलग हिस्सों में घूमने वाले घुमंतू बच्चों को भी अपने साथ में लिया और उनकी रुचि के अनुसार उन्हें ट्रेनिंग दी.

श्रीप्रयास संस्था से बच्चों का लक्ष्य हो रहा निर्धारित

श्री प्रयास संस्था की छात्रा आरती पाल बताती हैं कि वे यहां पिछले तीन साल से आ रही हैं. यहां सभी बच्चों को निःशुल्क कम्प्यूटर, इंग्लिश सहित अन्य विषयों का पाठ पढ़ाया जाता है. इसके साथ ही यूपीएससी, पीएससी के अलावा पुलिस भर्ती और सेना में जाने के लिए प्रशिक्षण दिया जाता है. श्रीप्रयास संस्था में रंगोली, आर्ट एंड क्राफ्टिंग के साथ खेल का भी प्रशिक्षण ट्रेनरों को दिया जाता है. आरती कहती हैं कि पहले मेरा लक्ष्य निर्धारित नहीं था लेकिन प्रयास में आने के बाद मेरा लक्ष्य निर्धारित है. मैं आईपीएस अफसर बनना चाहती हूं. इसके लिए रोजाना हमारे क्लासेस लगते हैं. हर रोज सुबह-शाम शरीर को फिट रखने के लिए हम लोगों को इसी तरह से प्रशिक्षण दिया जाता है.

यह भी पढ़ेंः Ramanujganj Fast Track Court : नाबालिग के साथ अश्लील हरकत, आरोपी को पांच साल से ज्यादा के कैद की सजा

700 से अधिक बच्चे संजो रहे बेहतर जीवन का लक्ष्य

पुलिस परिवार द्वारा रायपुर के भैरव नगर में संचालित श्री प्रयास की छात्रा लता साहू कहती हैं, कि हमें यहां पर पुलिस, आर्मी और कमांडो की ट्रेनिंग दी जा रही है. मुझे यहां 3 साल हो गए हैं. यहां 700 से अधिक बच्चे हैं. वे बोरिया, मुजगहन समेत आसपास के इलाके से आते हैं. यहां हमें बहुत कुछ सीखने को मिला है. मैं आगे चलकर आईएएस अफसर बनना चाहती हूं.

साल 2018 से जारी है बच्चों की ट्रेनिंग

श्री प्रयास संस्था के संचालक सिपाही महेश नेताम कहते हैं कि 14 मई 2018 में इसकी शुरूआत की गई थी. सबसे पहले सभी बच्चों की सब्जेक्ट की क्लासेस लगती है. इनकी पर्सनैलिटी डेवलपमेंट और आगे के लक्ष्य को निर्धारित करने के लिए सीधे इनको पुलिस की ट्रेनिंग दी जाती है. योगा क्लासेस भी होती है. यूपीएससी, पीएससी की भी क्लासेस होती है. पुलिस और आर्मी की ट्रेनिंग देने का मकसद है कि बच्चे स्वस्थ और फिट रहें. इसका एक और मकसद बच्चों को अनुशासन सीखाना है. अगर हम बच्चों को शुरू से इसके बारे में जानकारी दें और शुरू से इनके बारे में अभ्यस्थ करें तो यह स्वस्थ रहेंगे और आगे भी किसी भी प्रकार की ट्रेनिंग करने में इन्हें कोई तकलीफ नहीं होगी. सिपाही महेश ने बताया कि हम बच्चों की ट्रेनिंग सुबह-शाम कराते हैं. इसमें दौड़, हाई जंप, रस्सी कूद, लंबी कूद और कुश्ती भी कराते हैं ताकि उनका स्वास्थ्य भी अच्छा रहे और मानसिक स्थिति भी बेहतर बनी रहे.

यह भी पढ़ेंः रायपुर में संस्कृति विभाग पर अफसरशाही का आरोप, ड्रामा डायरेक्टर ने कहा- कला से दूर हो सकते हैं कलाकार

सीएम बघेल ने दो एकड़ जमीन देने का किया ऐलान

श्री प्रयास संस्था के संचालक सिपाही महेश नेताम ने बताया कि पहले हम लोगों को खेलकूद के लिए कोई तकलीफ नहीं हुआ करती थी. लेकिन बच्चों की बढ़ती जनसंख्या को देखते हुए और श्री प्रयास के बेहतर काम की वजह से मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने 2 एकड़ जमीन एलाट करवाया है. उसे प्रशासन के द्वारा संरक्षित कर हमें दिया जाएगा ताकि बच्चों को मैदान की कमी न हो और उन्हें बेहतर ट्रेनिंग दी जा सके.

कई आईपीएस, आईएएस अफसर भी पहुंचते हैं प्रयास

श्री प्रयास संस्था की नींव पुलिस आरक्षक महेश नेताम, सुनील पाठक, जितेंद्र नाग और धनंजय गोस्वामी ने रखी थी. धीरे-धीरे जब इन जवानों के इस प्रयास की खबर पुलिस विभाग के बड़े अफसरों को मिली तो उन्होंने भी इन जवानों का हौसला बढ़ाया. इतना ही नहीं कई आईएएस और आईपीएस अफसर अपना समय निकालकर श्री प्रयास संस्था पहुंचने लगे और बच्चों का मनोबल बढ़ाने के साथ ही उचित दिशा-निर्देश भी देने लगे. अब श्री प्रयास को सरकार का भी साथ मिलना शुरू हो गया है.

रायपुर: राह भले ही मुश्किल हो, हिम्मत से तुम काम लेना, एक दिन यह दुनिया चाहेगी, अपने साथ तुम्हारा नाम लेना... शायरी की ये पंक्तियां रायपुर के उन बच्चों पर सटीक बैठती है, जो बच्चे कभी नशे की गिरफ्त में थे, जो कभी अपराध की दुनिया में कदम रखने की ठान चुके थे. इन बच्चों के करियर को संवारने का जिम्मा रायपुर पुलिस ने उठाया है.

रायपुर पुलिस के चार जवानों ने एक श्रीप्रयास नाम की संस्था की शुरुआत की. इस संस्था में घुमंतू बच्चे, अपराध की दुनिया में कदम रख चुके बच्चे और नशे की गिरफ्त में शामिल बच्चों को पढ़ाया जाता (drug addict children in Raipur) है. उनके करियर को संवारने का काम किया जाता है. महज 4 बच्चों से शुरू हुई इस संस्था में 700 से अधिक बच्चे जुड़ चुके हैं. बच्चों को पुलिस और सेना में भर्ती के लिए ट्रेनिंग दी जा रही है. इसके अलावा प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए भी बच्चों को तैयार किया जा रहा है.

रायपुर पुलिस की नेक पहल

बच्चों में देश सेवा का भरा जा रहा जोश

श्रीप्रयास संस्था में पढ़ने वाले अधिकांश बच्चे गरीब हैं. वे पहले गलियों में घूम-घूम कर कचरा उठाने का काम किया करते थे. इसी दौरान नशे की गिरफ्त में भी आ चुके थे. इतना ही नहीं इन बच्चों में से कई बच्चे अपराध की दुनिया से भी जुड़ने लगे थे. लेकिन इन पर नजर पड़ी छत्तीसगढ़ पुलिस के चार सिपाहियों की. उन्होंने ऐसे बच्चों को शिक्षा देने का बीड़ा उठाया ताकि देश के भविष्य इन बच्चों का करियर संवर सके. यहां इन बच्चों को उचित शारीरिक ट्रेनिंग भी दी जा रही है ताकि भविष्य में यह बच्चे देश सेवा के लिए पुलिस और सेना में शामिल हो सकें. इनकी मेहनत भी रंग लाने लगी है. शुरुआती दौर में इन चारों दोस्तों को बेहद कठिनाइयों का सामना करना पड़ा. लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और इस काम की शुरूआत महज 4 बच्चों से हुई. इन्हीं चार बच्चों का उदाहरण देते हुए उन्होंने शहर के अलग-अलग हिस्सों में घूमने वाले घुमंतू बच्चों को भी अपने साथ में लिया और उनकी रुचि के अनुसार उन्हें ट्रेनिंग दी.

श्रीप्रयास संस्था से बच्चों का लक्ष्य हो रहा निर्धारित

श्री प्रयास संस्था की छात्रा आरती पाल बताती हैं कि वे यहां पिछले तीन साल से आ रही हैं. यहां सभी बच्चों को निःशुल्क कम्प्यूटर, इंग्लिश सहित अन्य विषयों का पाठ पढ़ाया जाता है. इसके साथ ही यूपीएससी, पीएससी के अलावा पुलिस भर्ती और सेना में जाने के लिए प्रशिक्षण दिया जाता है. श्रीप्रयास संस्था में रंगोली, आर्ट एंड क्राफ्टिंग के साथ खेल का भी प्रशिक्षण ट्रेनरों को दिया जाता है. आरती कहती हैं कि पहले मेरा लक्ष्य निर्धारित नहीं था लेकिन प्रयास में आने के बाद मेरा लक्ष्य निर्धारित है. मैं आईपीएस अफसर बनना चाहती हूं. इसके लिए रोजाना हमारे क्लासेस लगते हैं. हर रोज सुबह-शाम शरीर को फिट रखने के लिए हम लोगों को इसी तरह से प्रशिक्षण दिया जाता है.

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700 से अधिक बच्चे संजो रहे बेहतर जीवन का लक्ष्य

पुलिस परिवार द्वारा रायपुर के भैरव नगर में संचालित श्री प्रयास की छात्रा लता साहू कहती हैं, कि हमें यहां पर पुलिस, आर्मी और कमांडो की ट्रेनिंग दी जा रही है. मुझे यहां 3 साल हो गए हैं. यहां 700 से अधिक बच्चे हैं. वे बोरिया, मुजगहन समेत आसपास के इलाके से आते हैं. यहां हमें बहुत कुछ सीखने को मिला है. मैं आगे चलकर आईएएस अफसर बनना चाहती हूं.

साल 2018 से जारी है बच्चों की ट्रेनिंग

श्री प्रयास संस्था के संचालक सिपाही महेश नेताम कहते हैं कि 14 मई 2018 में इसकी शुरूआत की गई थी. सबसे पहले सभी बच्चों की सब्जेक्ट की क्लासेस लगती है. इनकी पर्सनैलिटी डेवलपमेंट और आगे के लक्ष्य को निर्धारित करने के लिए सीधे इनको पुलिस की ट्रेनिंग दी जाती है. योगा क्लासेस भी होती है. यूपीएससी, पीएससी की भी क्लासेस होती है. पुलिस और आर्मी की ट्रेनिंग देने का मकसद है कि बच्चे स्वस्थ और फिट रहें. इसका एक और मकसद बच्चों को अनुशासन सीखाना है. अगर हम बच्चों को शुरू से इसके बारे में जानकारी दें और शुरू से इनके बारे में अभ्यस्थ करें तो यह स्वस्थ रहेंगे और आगे भी किसी भी प्रकार की ट्रेनिंग करने में इन्हें कोई तकलीफ नहीं होगी. सिपाही महेश ने बताया कि हम बच्चों की ट्रेनिंग सुबह-शाम कराते हैं. इसमें दौड़, हाई जंप, रस्सी कूद, लंबी कूद और कुश्ती भी कराते हैं ताकि उनका स्वास्थ्य भी अच्छा रहे और मानसिक स्थिति भी बेहतर बनी रहे.

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सीएम बघेल ने दो एकड़ जमीन देने का किया ऐलान

श्री प्रयास संस्था के संचालक सिपाही महेश नेताम ने बताया कि पहले हम लोगों को खेलकूद के लिए कोई तकलीफ नहीं हुआ करती थी. लेकिन बच्चों की बढ़ती जनसंख्या को देखते हुए और श्री प्रयास के बेहतर काम की वजह से मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने 2 एकड़ जमीन एलाट करवाया है. उसे प्रशासन के द्वारा संरक्षित कर हमें दिया जाएगा ताकि बच्चों को मैदान की कमी न हो और उन्हें बेहतर ट्रेनिंग दी जा सके.

कई आईपीएस, आईएएस अफसर भी पहुंचते हैं प्रयास

श्री प्रयास संस्था की नींव पुलिस आरक्षक महेश नेताम, सुनील पाठक, जितेंद्र नाग और धनंजय गोस्वामी ने रखी थी. धीरे-धीरे जब इन जवानों के इस प्रयास की खबर पुलिस विभाग के बड़े अफसरों को मिली तो उन्होंने भी इन जवानों का हौसला बढ़ाया. इतना ही नहीं कई आईएएस और आईपीएस अफसर अपना समय निकालकर श्री प्रयास संस्था पहुंचने लगे और बच्चों का मनोबल बढ़ाने के साथ ही उचित दिशा-निर्देश भी देने लगे. अब श्री प्रयास को सरकार का भी साथ मिलना शुरू हो गया है.

Last Updated : Jan 19, 2022, 7:23 PM IST
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