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साख पर बट्टा : कांग्रेस को फिर से "वनवास" न दिला दे पार्टी का अंतर्कलह, 15 साल बाद मिली है सत्ता

छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार साल 2018 में बनने के बाद से ही मुसीबतों से लगातार जूझती नजर आ रही है. कभी ढाई-ढाई साल के सीएम (CM of Two And a Half Years) तो कभी कप्तान परिवर्तन का मामला चलता ही रहा. एक बार फिर से जशपुर में कार्यकर्ता सम्मेलन (Worker Conference in Jashpur) के दौरान हुई धक्का-मुक्की ने कांग्रेस के अंतर्कलह को सबके सामने लाकर रख दिया है. ये सारी घटनाएं विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की साख पर बट्टा लगाने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ेंगी.

Congress is constantly battling with infighting
अंतर्कलह से लगातार जूझ रही कांग्रेस
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Published : Oct 25, 2021, 7:25 PM IST

Updated : Oct 25, 2021, 9:06 PM IST

रायपुर : कांग्रेस की सबसे बड़ी दुश्मन, खुद कांग्रेस ही है! यह बात सुनने में आपको अटपटी जरूर लग रही होगी, लेकिन छत्तीसगढ़ में इन दिनों कुछ ऐसा ही प्रतीत हो रहा है. जिस तरह सत्ता पर काबिज होने के बाद से लगातार कांग्रेस के अंदर विवाद, लड़ाई-झगड़ा, गाली-गलौज और आरोप-प्रत्यारोप हो रहे हैं उससे फिलहाल ऐसा ही लग रहा है कि कांग्रेस को घेरने के लिए दूसरे राजनीतिक दल (Other Political Parties) की जरूरत ही नहीं है. यह काम खुद कांग्रेस के कार्यकर्ता ही कर ले रहे हैं. इसका सबसे ताजा उदाहरण जशपुर की घटना है.


प्रचंड बहुमत से विकास के प्रति आशान्वित थे लोग, पर अब स्थिति बिल्कुल उलट

करीब 15 वर्षों के वनवास के बाद जब कांग्रेस सत्ता पर काबिज हुई तो लोगों को लगा कि बेतहाशा बहुमत हासिल करने के बाद अब कांग्रेस सरकार प्रदेश को एक अलग ऊंचाई पर ले जाएगी. पार्टी एकजुट होकर प्रदेश के विकास के लिए योजना बनाएगी. किसान, गरीब, मजदूर, युवा और महिला सभी वर्गों के लिए काम करेगी. यहां तक कि इतना बहुमत हासिल करने के बाद सरकार को घेरने की हिम्मत शायद ही कोई दल कर सकता था. लेकिन आज परिस्थिति बिल्कुल विपरीत है.

अंतर्कलह से लगातार जूझ रही कांग्रेस

कांग्रेस को सत्ता में काबिज होने के करीब 3 साल होने जा रहे हैं. इन 3 सालों में शायह ही ऐसा समय रहा हो जब पार्टी अंतर्कलह से जूझती नजर न आई. कभी ढाई-ढाई साल का फार्मूला तो कभी कप्तान बदलाव की चर्चा. कभी एक विधायक का दूसरे मंत्री पर हत्या करा देने का आरोप तो कभी अन्य कोई मामले. ऐसे कई मौके आए जब पार्टी अपने आप में ही गिरती नजर आई. उसे घेरने के लिए अन्य राजनीतिक दलों को मेहनत ही नहीं करनी पड़ी.


बीते रविवार को जशपुर में कार्यकर्ता सम्मेलने में मंच पर ही धक्का-मुक्की

इस बीच कुछ दिनों से कांग्रेस के अंदर छाई शांति तब भंग हो गई, जब बीते रविवार को जशपुर जिले में कार्यकर्ता सम्मेलन के दौरान स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव के समर्थक नेता के साथ धक्का-मुक्की हुई. मंच पर ही उनका माइक छीन लिया गया. जिस समय यह घटना घटी, उस दौरान मंच पर कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी सचिव सप्तगिरि शंकर भी मौजूद थे. इस घटना के बाद एक बार फिर पार्टी के अंदर चल रहा अंतर्कलह खुलकर सामने आ गया है.

सीएम ने घटना को बताया दुर्भाग्यजनक

हालांकि इस घटना को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने दुर्भाग्यजनक बताया है. उन्होंने कहा कि जो चीजें छत्तीसगढ़ प्रभारी पीएल पुनिया ने स्पष्ट कर दी हैं, उसके बाद भी बार-बार सवाल उठाकर माहौल खराब नहीं करना चाहिए. जो घटनाएं घटी हैं, उसको टाला जा सकता था. ऐसा नहीं होना था.


एक बार फिर से भाजपा, कांग्रेस पर हावी

इधर, मामले के तूल पकड़ने के बाद एक बार फिर भाजपा, कांग्रेस पर हमलावर हो गई है. नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने तो यहां तक कह दिया कि जशपुर की घटना कांग्रेस के अंतर्कलह को जाहिर कर रही है. पार्टी में दो गुट लगातार दिख रहे हैं. मंत्रियों के दरबार में अधिकारियों की मनमानी की शिकायत लेकर कार्यकर्ता पहुंच रहे हैं. लेकिन कार्यकर्ताओं की सुनी नहीं जा रही है.


सुशील बोले-जानकारी जुटाकर की जाएगी कार्रवाई

जबकि कांग्रेस के मीडिया विभाग के प्रदेश अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने इस पूरे मामले पर कहा कि घटना से संबंधित जानकारी मंगाई गई है. पूरी जानकारी जुटाकर उसी के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी.


विधानसभा चुनाव में दिख सकता है अंतर्कलह का असर

बहरहाल कारण जो भी हों, लेकिन जिस तरह से पार्टी के अंदर उठापटक, गुटबाजी और अंतर्कलह चल रहा है उसका असर कहीं न कहीं आगामी विधानसभा चुनाव में पार्टी पर जरूर दिखेगा. हो सकता है इसका खामियाजा पार्टी को विधानसभा चुनाव में बड़े पैमाने पर भी उठाना पड़ जाए. बहरहाल पार्टी के अंदर चल रहे अंतर्कलह से निपटने के लिए हाईकमान क्या निर्णय लेता है, यह तो आने वाले समय में ही स्पष्ट होगा. लेकिन इसे रोकने के लिए पार्टी की ओर से अगर जल्द ही कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए तो इसके दुष्परिणाम भी पार्टी को भुगतने पड़ सकते हैं.

रायपुर : कांग्रेस की सबसे बड़ी दुश्मन, खुद कांग्रेस ही है! यह बात सुनने में आपको अटपटी जरूर लग रही होगी, लेकिन छत्तीसगढ़ में इन दिनों कुछ ऐसा ही प्रतीत हो रहा है. जिस तरह सत्ता पर काबिज होने के बाद से लगातार कांग्रेस के अंदर विवाद, लड़ाई-झगड़ा, गाली-गलौज और आरोप-प्रत्यारोप हो रहे हैं उससे फिलहाल ऐसा ही लग रहा है कि कांग्रेस को घेरने के लिए दूसरे राजनीतिक दल (Other Political Parties) की जरूरत ही नहीं है. यह काम खुद कांग्रेस के कार्यकर्ता ही कर ले रहे हैं. इसका सबसे ताजा उदाहरण जशपुर की घटना है.


प्रचंड बहुमत से विकास के प्रति आशान्वित थे लोग, पर अब स्थिति बिल्कुल उलट

करीब 15 वर्षों के वनवास के बाद जब कांग्रेस सत्ता पर काबिज हुई तो लोगों को लगा कि बेतहाशा बहुमत हासिल करने के बाद अब कांग्रेस सरकार प्रदेश को एक अलग ऊंचाई पर ले जाएगी. पार्टी एकजुट होकर प्रदेश के विकास के लिए योजना बनाएगी. किसान, गरीब, मजदूर, युवा और महिला सभी वर्गों के लिए काम करेगी. यहां तक कि इतना बहुमत हासिल करने के बाद सरकार को घेरने की हिम्मत शायद ही कोई दल कर सकता था. लेकिन आज परिस्थिति बिल्कुल विपरीत है.

अंतर्कलह से लगातार जूझ रही कांग्रेस

कांग्रेस को सत्ता में काबिज होने के करीब 3 साल होने जा रहे हैं. इन 3 सालों में शायह ही ऐसा समय रहा हो जब पार्टी अंतर्कलह से जूझती नजर न आई. कभी ढाई-ढाई साल का फार्मूला तो कभी कप्तान बदलाव की चर्चा. कभी एक विधायक का दूसरे मंत्री पर हत्या करा देने का आरोप तो कभी अन्य कोई मामले. ऐसे कई मौके आए जब पार्टी अपने आप में ही गिरती नजर आई. उसे घेरने के लिए अन्य राजनीतिक दलों को मेहनत ही नहीं करनी पड़ी.


बीते रविवार को जशपुर में कार्यकर्ता सम्मेलने में मंच पर ही धक्का-मुक्की

इस बीच कुछ दिनों से कांग्रेस के अंदर छाई शांति तब भंग हो गई, जब बीते रविवार को जशपुर जिले में कार्यकर्ता सम्मेलन के दौरान स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव के समर्थक नेता के साथ धक्का-मुक्की हुई. मंच पर ही उनका माइक छीन लिया गया. जिस समय यह घटना घटी, उस दौरान मंच पर कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी सचिव सप्तगिरि शंकर भी मौजूद थे. इस घटना के बाद एक बार फिर पार्टी के अंदर चल रहा अंतर्कलह खुलकर सामने आ गया है.

सीएम ने घटना को बताया दुर्भाग्यजनक

हालांकि इस घटना को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने दुर्भाग्यजनक बताया है. उन्होंने कहा कि जो चीजें छत्तीसगढ़ प्रभारी पीएल पुनिया ने स्पष्ट कर दी हैं, उसके बाद भी बार-बार सवाल उठाकर माहौल खराब नहीं करना चाहिए. जो घटनाएं घटी हैं, उसको टाला जा सकता था. ऐसा नहीं होना था.


एक बार फिर से भाजपा, कांग्रेस पर हावी

इधर, मामले के तूल पकड़ने के बाद एक बार फिर भाजपा, कांग्रेस पर हमलावर हो गई है. नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने तो यहां तक कह दिया कि जशपुर की घटना कांग्रेस के अंतर्कलह को जाहिर कर रही है. पार्टी में दो गुट लगातार दिख रहे हैं. मंत्रियों के दरबार में अधिकारियों की मनमानी की शिकायत लेकर कार्यकर्ता पहुंच रहे हैं. लेकिन कार्यकर्ताओं की सुनी नहीं जा रही है.


सुशील बोले-जानकारी जुटाकर की जाएगी कार्रवाई

जबकि कांग्रेस के मीडिया विभाग के प्रदेश अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने इस पूरे मामले पर कहा कि घटना से संबंधित जानकारी मंगाई गई है. पूरी जानकारी जुटाकर उसी के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी.


विधानसभा चुनाव में दिख सकता है अंतर्कलह का असर

बहरहाल कारण जो भी हों, लेकिन जिस तरह से पार्टी के अंदर उठापटक, गुटबाजी और अंतर्कलह चल रहा है उसका असर कहीं न कहीं आगामी विधानसभा चुनाव में पार्टी पर जरूर दिखेगा. हो सकता है इसका खामियाजा पार्टी को विधानसभा चुनाव में बड़े पैमाने पर भी उठाना पड़ जाए. बहरहाल पार्टी के अंदर चल रहे अंतर्कलह से निपटने के लिए हाईकमान क्या निर्णय लेता है, यह तो आने वाले समय में ही स्पष्ट होगा. लेकिन इसे रोकने के लिए पार्टी की ओर से अगर जल्द ही कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए तो इसके दुष्परिणाम भी पार्टी को भुगतने पड़ सकते हैं.

Last Updated : Oct 25, 2021, 9:06 PM IST
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