बिलासपुर: इंटरनेट आज की दुनिया के लिए वरदान Internet is a boon in today time साबित हो रहा है. अब बड़ी कंपनियों में काम करने वाले से लेकर छोटी कंपनी और व्यापार तक इंटरनेट के माध्यम से हो रहे हैं, यहां तक पैसों का लेनदेन भी अब इंटरनेट के माध्यम से किया जा रहा है. इंटरनेट और सोशल मीडिया का आलम यह है कि सोशल मीडिया और इंटरनेट का अब दुष्परिणाम भी सामने आने लगा है. नाबालिग बच्चे, बच्चियां सोशल मीडिया के माध्यम से दोस्ती कर रहे हैं, और पढ़ाई के प्रति उनका ध्यान हटते जा रहा है.
बच्चों को अब कैरियर से ज्यादा अपने स्टेटस और फॉलोअर्स की चिंता रहती है. सोशल मीडिया के माध्यम से बच्चे, बच्चियां एक दूसरे से दोस्ती कर रहे हैं, और यह दोस्ती लव अफेयर तक पहुंच रहा है. इसके दुष्परिणाम यह बन कर सामने आते हैं कि कई बार बच्चे घर छोड़कर भाग जाते हैं और बच्चों के प्रति अपराध भी बढ़ रहे हैं. ऐसे में पलकों को सोचना होगा कि इंटरनेट और सोशल मीडिया की उनके बच्चे को कितनी आवश्यकता है, और कितना देर तक उन्हें इस सुविधा को प्रोवाइड करना चाहिए.
"अभिभावकों को होना पड़ेगा सजग": सोशल मीडिया अब बच्चों के लिए अभिशाप social media now curse for kids भी बनता जा रहा है. बच्चे पढ़ाई के नाम पर मोबाइल रखते हैं और अलग अलग सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर अपनी आईडी बनाकर चैटिंग और अन्य चीजें कर रहे हैं. इस विषय पर सामाजिक चिंतक राजेश अग्रवाल का कहना है कि "बच्चे पढ़ाई के नाम पर मोबाइल तो लेते हैं, लेकिन उसका बेजा फायदा भी उठाते हैं. ऐसे में पालको को बच्चों को मोबाइल देते समय यह ध्यान रखना होगा कि वे मोबाइल में क्या कर रहे हैं. अभिभावक यदि सजग हो जाएगा तो समाज में सोशल मीडिया के बढ़ रहे दुष्परिणाम से अपने बच्चों को बचा सकेंगे. इससे बच्चों का भविष्य भी सुधर सकता है, क्योंकि बच्चो के टीनएज वैसे भी उन्हें काफी बागी बना देता है. उस पर मोबाइल के प्रति बच्चो से रोका टोकी से बच्चे पूरी तरह से परिवार से बागी हो जाते हैं और अपने कैरियर की तरफ ध्यान नहीं देते, इसलिए परिवार को इस ओर सजग होना पड़ेगा."
"सोशल मीडिया से बागी हो रहे बच्चे": सोशल मीडिया हैंडल करने वाले बच्चों के पालकों से बात करने पर उन्होंने बताया कि "टीन एज ऐसा होता है कि पहले ही बच्चे परिवार से बागी हो जाते हैं और उस पर सोशल मीडिया बच्चों को परिवार से दूर कर रहे हैं. वह हमेशा ध्यान रखते हैं कि उनके बच्चे मोबाइल का उपयोग किस तरह से कर रहे हैं, लेकिन यह संभव नहीं है कि पूरे समय बच्चों पर ध्यान दिया जा सके. बच्चे और पालक के बीच एक दीवार रहती है, जिसकी वजह से कई बार बच्चे अपने साथ हो रहे परेशानियों, समस्याओं को बता नहीं पाते और बच्चों के एज को देखते हुए पालक भी उनसे कुछ कह नहीं पाते."
बच्चों के पालकों ने बताया कि "स्कूलों की पढ़ाई इंटरनेट, मोबाइल के माध्यम से बंद कर केवल स्कूल के क्लास तक कराया जाए तो इस समस्या से निजात मिल जाएगा, लेकिन समय ऐसा है कि बच्चों को मोबाइल और इंटरनेट देना मजबूरी है, क्योंकि नई जानकारियां और नए अविष्कार इसके साथ ही समाज में क्या चल रहा है. इसकी जानकारी भी इसी से होती है, इसलिए कई बार बच्चे इसका दुरुपयोग कर लेते हैं, फिर भी पालक इस चिंता को लेकर काफी चिंतित रहते हैं कि आखिर वे अपने बच्चों की परवरिश और एजुकेशन कैसे करें, जिससे उनके बच्चे उनके प्रति ईमानदार रहें.