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वास्तु के अनुसार जानिए...नये घर में सीढ़ी किस दिशा में बनाएं - नये घर में सीढ़ी का महत्व

वास्तु के अनुसार नये घर में सीढ़ी कहां और किस दिशा में बनाना चाहिए. इसको लेकर ज्योतिष एवं वास्तु शास्त्री पंडित विनीत शर्मा ने बताया है. आइए यहां जानते हैं घर में बने सीढ़ियों के महत्व के बारें में...

Vastu Shastri Pandit Vineet Sharma
वास्तु शास्त्री पंडित विनीत शर्मा
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Published : Jun 7, 2022, 6:51 PM IST

रायपुर: भवन के वास्तु में सीढ़ियां एक महत्वपूर्ण घटक होती है. दक्षिण-पश्चिम का हिस्सा भारी चीजों, भारी सामान और अधिक ऊंचाई की चीजों के लिए सबसे उपयुक्त माना गया है. अतः सीढ़ियों का स्थान नैरेत्र कोण में सर्वथा उचित माना गया है. इसके साथ ही दक्षिण के हिस्से में भी सीढ़ियों को स्थान दिया जा सकता है. आग्नेय कोण (दक्षिण पूर्व), पश्चिम और वायव्य में भी सीढ़ियों का निर्माण हो सकता है.

ये घर में सीढ़ी किस दिशा में बनाएं

यह भी पढ़ें: Budhwar Ganesh Puja: बुधवार को गणेश पूजा करने से मिलते हैं ये लाभ

यथासंभव सीढ़ियों का निर्माण क्लाकवाइज: ज्योतिष एवं वास्तु शास्त्री पंडित विनीत शर्मा ने बताया कि यथासंभव सीढ़ियों का निर्माण क्लाकवाइज होना चाहिए. ऐसा निर्माण फलित होता है. सीढ़ियों के माध्यम से प्रकाश वायु का संचरण होता रहता है. इससे ऊर्जा का विकास होता है. सीढ़ियां रहने वाले सदस्यों के वास्तु को बहुत प्रभावित करती है. यहां बहने वाली ऊर्जा सकारात्मक हो इसका विशेष ध्यान रखना चाहिए. सीढ़ियां निर्माण करते समय छज्जे पर विभिन्न वास्तु यंत्रों को लगाया जाना चाहिए. इसके साथ ही साथ सीढ़ियों के छज्जे पर पिरामिड आदि लगाकर वास्तु को संतुलित किया जाता है. सीढ़ियों का क्रम क्लाकवाइज होने से वास्तु निर्माता को लाभ मिलता है. सीढ़ियों का निर्माण कराते समय विषम संख्या का ध्यान रखना आवश्यक है.

सीढ़ियों की संख्या का भी विशेष महत्व: प्रमुख रूप से सीढ़ियों की संख्या विषम संख्या में होनी चाहिए जैसे 5, 7, 9, 11, 13, 15, 17 और 19 आदि सीढ़ियां वास्तु का बल होती हैं. यह एक गुरुत्व के स्थान पर गिरती है. उनके माध्यम से लगातार प्रकाश हवा ऊर्जा का आगमन और निर्गमन होता रहता है. सीढ़ियों के सबसे ऊपरी छज्जे पर दिशा के अनुसार यंत्र लगाए जा सकते हैं.

वास्तु शास्त्र में सीढ़ियों को बहुत महत्व: सीढ़ियों के नीचे कभी भी पूजा स्थल धार्मिक क्षेत्र आध्यात्मिक क्षेत्र विकसित नहीं करनी चाहिए. सीढ़ियों के नीचे साफ-सुथरे जूते चप्पल व्यवस्थित ढंग से रखे जा सकते हैं और सीढ़ियों के नीचे के क्षेत्र का उपयोग कुशलता और अच्छे प्रबंधन के साथ करना चाहिए. सीढ़ियों के सबसे ऊपरी छज्जे पर दिशा के अनुसार यंत्र लगाए जा सकते हैं. इन यंत्रों को शुभ मुहूर्त की बेला और पंचांग के अनुसार लगाया जाना चाहिए.

घर में आती है सुख समृद्धि: वास्तु के मुताबिक सीढियां निर्माण कराने से घर में सुख समृद्धि आती है. घर का निर्माण वास्तु शास्त्र के अनुसार करना चाहिए.वास्तु का पालन करने से घर में खुशियां और समृद्धि आती है. सीढ़ियां किसी भी घर की उन्नति से संबंध रखती है. यह जीवन के उतार-चढ़ाव से संबंध रखती है. सीढ़ियों की दिशा के साथ ही यह भी जरूरी है कि जहां सीढ़ियां हो वहां क्या चीज हो या क्या चीज नहीं होना चाहिए. उसका भी विशेष ध्यान रखा जाना चाहिए.

सीढ़ियों के नीचे वाले स्थान पर रख सकते है किताब: सीढ़ियों के नीचे वाले स्थान पर पठन-पाठन की सामग्री रखी जा सकती: सीढ़ियों का रंग सफेद रखें. सीढ़ियों के साथ वाली दीवार पर लाल रंग का स्वास्तिक लगा दे. अगर सीढ़ियों के नीचे कुछ गलत निर्माण करा लिया है तो वहां पर एक तुलसी का पौधा लगाएं. सीढ़ियों के नीचे प्रकाश की उचित व्यवस्था करें. सीढ़ियों की शुरुआत वाले स्टेज पर और खत्म होने वाले स्टेज पर एक-एक हरे रंग का डोरमेट रख दें. सीढ़ियों के नीचे वाले स्थान पर पढ़ने लिखने की वस्तुएं या किताब रखने की व्यवस्था की जा सकती है.

रायपुर: भवन के वास्तु में सीढ़ियां एक महत्वपूर्ण घटक होती है. दक्षिण-पश्चिम का हिस्सा भारी चीजों, भारी सामान और अधिक ऊंचाई की चीजों के लिए सबसे उपयुक्त माना गया है. अतः सीढ़ियों का स्थान नैरेत्र कोण में सर्वथा उचित माना गया है. इसके साथ ही दक्षिण के हिस्से में भी सीढ़ियों को स्थान दिया जा सकता है. आग्नेय कोण (दक्षिण पूर्व), पश्चिम और वायव्य में भी सीढ़ियों का निर्माण हो सकता है.

ये घर में सीढ़ी किस दिशा में बनाएं

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यथासंभव सीढ़ियों का निर्माण क्लाकवाइज: ज्योतिष एवं वास्तु शास्त्री पंडित विनीत शर्मा ने बताया कि यथासंभव सीढ़ियों का निर्माण क्लाकवाइज होना चाहिए. ऐसा निर्माण फलित होता है. सीढ़ियों के माध्यम से प्रकाश वायु का संचरण होता रहता है. इससे ऊर्जा का विकास होता है. सीढ़ियां रहने वाले सदस्यों के वास्तु को बहुत प्रभावित करती है. यहां बहने वाली ऊर्जा सकारात्मक हो इसका विशेष ध्यान रखना चाहिए. सीढ़ियां निर्माण करते समय छज्जे पर विभिन्न वास्तु यंत्रों को लगाया जाना चाहिए. इसके साथ ही साथ सीढ़ियों के छज्जे पर पिरामिड आदि लगाकर वास्तु को संतुलित किया जाता है. सीढ़ियों का क्रम क्लाकवाइज होने से वास्तु निर्माता को लाभ मिलता है. सीढ़ियों का निर्माण कराते समय विषम संख्या का ध्यान रखना आवश्यक है.

सीढ़ियों की संख्या का भी विशेष महत्व: प्रमुख रूप से सीढ़ियों की संख्या विषम संख्या में होनी चाहिए जैसे 5, 7, 9, 11, 13, 15, 17 और 19 आदि सीढ़ियां वास्तु का बल होती हैं. यह एक गुरुत्व के स्थान पर गिरती है. उनके माध्यम से लगातार प्रकाश हवा ऊर्जा का आगमन और निर्गमन होता रहता है. सीढ़ियों के सबसे ऊपरी छज्जे पर दिशा के अनुसार यंत्र लगाए जा सकते हैं.

वास्तु शास्त्र में सीढ़ियों को बहुत महत्व: सीढ़ियों के नीचे कभी भी पूजा स्थल धार्मिक क्षेत्र आध्यात्मिक क्षेत्र विकसित नहीं करनी चाहिए. सीढ़ियों के नीचे साफ-सुथरे जूते चप्पल व्यवस्थित ढंग से रखे जा सकते हैं और सीढ़ियों के नीचे के क्षेत्र का उपयोग कुशलता और अच्छे प्रबंधन के साथ करना चाहिए. सीढ़ियों के सबसे ऊपरी छज्जे पर दिशा के अनुसार यंत्र लगाए जा सकते हैं. इन यंत्रों को शुभ मुहूर्त की बेला और पंचांग के अनुसार लगाया जाना चाहिए.

घर में आती है सुख समृद्धि: वास्तु के मुताबिक सीढियां निर्माण कराने से घर में सुख समृद्धि आती है. घर का निर्माण वास्तु शास्त्र के अनुसार करना चाहिए.वास्तु का पालन करने से घर में खुशियां और समृद्धि आती है. सीढ़ियां किसी भी घर की उन्नति से संबंध रखती है. यह जीवन के उतार-चढ़ाव से संबंध रखती है. सीढ़ियों की दिशा के साथ ही यह भी जरूरी है कि जहां सीढ़ियां हो वहां क्या चीज हो या क्या चीज नहीं होना चाहिए. उसका भी विशेष ध्यान रखा जाना चाहिए.

सीढ़ियों के नीचे वाले स्थान पर रख सकते है किताब: सीढ़ियों के नीचे वाले स्थान पर पठन-पाठन की सामग्री रखी जा सकती: सीढ़ियों का रंग सफेद रखें. सीढ़ियों के साथ वाली दीवार पर लाल रंग का स्वास्तिक लगा दे. अगर सीढ़ियों के नीचे कुछ गलत निर्माण करा लिया है तो वहां पर एक तुलसी का पौधा लगाएं. सीढ़ियों के नीचे प्रकाश की उचित व्यवस्था करें. सीढ़ियों की शुरुआत वाले स्टेज पर और खत्म होने वाले स्टेज पर एक-एक हरे रंग का डोरमेट रख दें. सीढ़ियों के नीचे वाले स्थान पर पढ़ने लिखने की वस्तुएं या किताब रखने की व्यवस्था की जा सकती है.

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