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हिंदू शादी में कन्यादान का क्या है महत्व, जानिए यहां - कन्यादान मंत्र

कन्यादान (importance of kanyadan) का सौभाग्य बहुत ही पुण्यशाली और सौभाग्यशाली लोगों को मिलता है. कन्यादान (kanyadan) करने से कई जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं और व्यक्ति मोक्ष को प्राप्त होता है. आइए जानते हैं कन्यादान की रस्म क्या होती है.

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कन्यादान
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Published : Nov 25, 2021, 6:40 PM IST

Updated : Nov 25, 2021, 7:59 PM IST

रायपुर: कन्यादान (importance of kanyadan) का सौभाग्य बहुत ही पुण्यशाली और सौभाग्यशाली लोगों को मिलता है. सभी दानों में इसे सर्वश्रेष्ठ बताया गया है. विद्यादान, गौ दान और कन्यादान (kanyadan) महानतम दान माने गए हैं. कन्या का दान करना अर्थात ऋण से मुक्त होना है. जीवन में अनेक तरह के पाप और विकारों से मनुष्य इस दान के माध्यम से मुक्त हो जाता है. वास्तव में यह बहुत ही कार्य है. जिनके जीवन में कन्यादान का अवसर नहीं मिलता है. वह अनाथ आदि कन्याओं का कन्यादान कर यह सौभाग्य प्राप्त कर सकते हैं. शास्त्र इस धन को महादान के रूप में बताता है.

विवाह में कन्यादान का महत्व

यह भी पढ़ें: विवाह मुहूर्त के सबसे बड़े और अहम पल कौन से हैं जानिए

कन्यादान का विशेष स्थान

अष्टकूट कुंडली (Ashtakoot Kundli) मिलाने के बाद शुभ मुहूर्त में विवाह के साथ पाणीग्रहण (panigrahan) के कार्यक्रम को संपन्न करना चाहिए. इस दान के समय जोड़े में बैठने का महत्व है अर्थात इस समय पति और पत्नी एक जोड़े के रूप में बैठे पोशाक गरिमामय और विवाह के अनुकूल होनी चाहिए. इस समय सर पर पगड़ी रखने का विधान है. माताएं गरिमा में सौंदर्य के साथ सिर ढककर इस कार्य को करती हैं.

इस विधि में विशेष मंत्रों का जाप किया जाना चाहिए. इस दान में कन्या को वर पर पूरे अधिकार और कर्तव्य भी मिलते हैं. कन्या, वर के जीवन में अर्धांगिनी के रूप में जानी जाती है. दोनों ही सप्तपदी में एक दूसरे को वचन प्रदान करते हैं और इन वचनों को प्रण और प्राण से निभाने का आश्वासन देते हैं.

कन्यादान (Kanyadan) करने से होता है समूल पापों का नाश

वेद कहते हैं कि वधू गृह प्रवेश के साथ ही अनेक अधिकारों की स्वामिनी बन जाती है. ऐसी मान्यता है कि कन्या दान करने से कई जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं और व्यक्ति मोक्ष को प्राप्त होता है. इसलिए इस सौभाग्य को सभी को धारण करने का प्रयास करना चाहिए. इस प्रविधि में विशिष्ट मंत्रों का पाठ किया जाता है. इन मंत्रों का पाठ शुद्ध आचरण के साथ करना चाहिए.

यह भी पढ़ें: मंडप पूजा का महत्व, किन-किन बातों का रखें ध्यान, आइये जानते हैं...

कन्यादान करना सौभाग्य

कन्यादान के समय किसी कारणवश पिता या माता नहीं है अथवा उनका स्वर्गवास हो गया है तो ऐसे समय में नजदीकी हितैषी और सहयोगी रिश्तेदार को यह सौभाग्य मिलता है. इसके साथ ही यह जरूरी है कि आप इस आयोजन में अपनी श्रद्धा, क्षमता और आस्था के अनुसार विवाह के खर्च में सहभागी बने इससे अनेक ऋण चुकाए जा सकते हैं. वास्तव में यह सौभाग्य प्राप्त करना बहुत ही गौरव का विषय है.

विवाह संस्कार (Marriage rituals) एक आध्यात्मिक, धार्मिक और सामाजिक संस्कार हैं. संपूर्ण विवाह (perfect marriage) की प्रक्रिया में कन्यादान बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान रखता है. एक पिता अपने कलेजे के टुकड़े को जीवन भर के लिए दूसरे के हाथों में सौंप देता है. यह दान करने के लिए वास्तव में बड़ा साहस बड़ा ह्रदय चाहिए.

रायपुर: कन्यादान (importance of kanyadan) का सौभाग्य बहुत ही पुण्यशाली और सौभाग्यशाली लोगों को मिलता है. सभी दानों में इसे सर्वश्रेष्ठ बताया गया है. विद्यादान, गौ दान और कन्यादान (kanyadan) महानतम दान माने गए हैं. कन्या का दान करना अर्थात ऋण से मुक्त होना है. जीवन में अनेक तरह के पाप और विकारों से मनुष्य इस दान के माध्यम से मुक्त हो जाता है. वास्तव में यह बहुत ही कार्य है. जिनके जीवन में कन्यादान का अवसर नहीं मिलता है. वह अनाथ आदि कन्याओं का कन्यादान कर यह सौभाग्य प्राप्त कर सकते हैं. शास्त्र इस धन को महादान के रूप में बताता है.

विवाह में कन्यादान का महत्व

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कन्यादान का विशेष स्थान

अष्टकूट कुंडली (Ashtakoot Kundli) मिलाने के बाद शुभ मुहूर्त में विवाह के साथ पाणीग्रहण (panigrahan) के कार्यक्रम को संपन्न करना चाहिए. इस दान के समय जोड़े में बैठने का महत्व है अर्थात इस समय पति और पत्नी एक जोड़े के रूप में बैठे पोशाक गरिमामय और विवाह के अनुकूल होनी चाहिए. इस समय सर पर पगड़ी रखने का विधान है. माताएं गरिमा में सौंदर्य के साथ सिर ढककर इस कार्य को करती हैं.

इस विधि में विशेष मंत्रों का जाप किया जाना चाहिए. इस दान में कन्या को वर पर पूरे अधिकार और कर्तव्य भी मिलते हैं. कन्या, वर के जीवन में अर्धांगिनी के रूप में जानी जाती है. दोनों ही सप्तपदी में एक दूसरे को वचन प्रदान करते हैं और इन वचनों को प्रण और प्राण से निभाने का आश्वासन देते हैं.

कन्यादान (Kanyadan) करने से होता है समूल पापों का नाश

वेद कहते हैं कि वधू गृह प्रवेश के साथ ही अनेक अधिकारों की स्वामिनी बन जाती है. ऐसी मान्यता है कि कन्या दान करने से कई जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं और व्यक्ति मोक्ष को प्राप्त होता है. इसलिए इस सौभाग्य को सभी को धारण करने का प्रयास करना चाहिए. इस प्रविधि में विशिष्ट मंत्रों का पाठ किया जाता है. इन मंत्रों का पाठ शुद्ध आचरण के साथ करना चाहिए.

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कन्यादान करना सौभाग्य

कन्यादान के समय किसी कारणवश पिता या माता नहीं है अथवा उनका स्वर्गवास हो गया है तो ऐसे समय में नजदीकी हितैषी और सहयोगी रिश्तेदार को यह सौभाग्य मिलता है. इसके साथ ही यह जरूरी है कि आप इस आयोजन में अपनी श्रद्धा, क्षमता और आस्था के अनुसार विवाह के खर्च में सहभागी बने इससे अनेक ऋण चुकाए जा सकते हैं. वास्तव में यह सौभाग्य प्राप्त करना बहुत ही गौरव का विषय है.

विवाह संस्कार (Marriage rituals) एक आध्यात्मिक, धार्मिक और सामाजिक संस्कार हैं. संपूर्ण विवाह (perfect marriage) की प्रक्रिया में कन्यादान बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान रखता है. एक पिता अपने कलेजे के टुकड़े को जीवन भर के लिए दूसरे के हाथों में सौंप देता है. यह दान करने के लिए वास्तव में बड़ा साहस बड़ा ह्रदय चाहिए.

Last Updated : Nov 25, 2021, 7:59 PM IST
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