रायपुर: छत्तीसगढ़ के शासकीय कर्मचारी केंद्र की नीतियों से नाराज हैं. शुक्रवार को केंद्र सरकार के खिलाफ कर्मचारियों ने सोशल मीडिया में प्रदर्शन किया. शासकीय कर्मचारियों ने विभिन्न मुद्दों को लेकर अपना विरोध दर्ज कराया है. कर्मचारियों का कहना है कि, देश और प्रदेश के कर्मचारियों की वेतनवृद्धि, मंहगाई भत्ता रोका गया, इसके साथ ही 1 जनवरी 2004 के बाद से देश में नियुक्त शासकीय कर्मचारियों को पेंशन भी नहीं दिया जा रहा है.
प्रदेश के 28 जिलों से कर्मचारी सोशल मीडिया में जुटे थे. प्रदर्शन के लिए रायपुर कलेक्ट्रेट परिसर में भी कर्मचारियों ने प्रदर्शन किया है. इस दौरान सरकारी कर्मचारियों ने सामाजिक दूरी के नियमों की भी धज्जियां उड़ाईं, मास्क तो हर किसी ने लगा रखा था. लेकिन 2 गज दूरी कहीं नजर नहीं आई. कर्मचारियों का कहना है कि, केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार की नीतियों से प्रदेश की सरकार और शासकीय कर्मचारी दोनों प्रभावित हो रहे हैं. जिसका पूरे प्रदेश के शासकीय कर्मचारी विरोध कर रहे हैं.
कुछ नहीं मिला कर्मचारियों को
तृतीय वर्ग कर्मचारी संघ के महामंत्री विजय कुमार झा ने कहा कि, प्रदेश और केंद्र की सरकार ने किसान, गरीब समेत कई सेक्टरों के लिए योजनाएं बनाई. किसान न्याय योजना, उज्जवला योजना, देश के 80 करोड़ जनता अनाज भी उपलब्ध करा रही है. लेकिन हम सरकारी कर्मचारियों के लिए कोई योजना नहीं है. बल्कि हमारे पेंशन के अधिकार भी छीने जा रहे हैं. हमें मिलने वाला मंहगाई भत्ता भी नहीं मिल रहा है.
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नेताओं के पेंशन पर उठाए सवाल
शासकीय कर्मचारियों का कहना है कि जब कोई विधायक, सांसद बनते हैं तो 5 साल के कार्यकाल के बाद जीवन भर उन्हें पेंशन दिया जाता है. जबकि एक शासकीय कर्मचारी 35 साल काम करने के बाद भी पेंशन का हकदार नहीं है. तो आखिर ऐसा क्यों है. उन्होंने मांग की है कि अंशदायी पेंशन योजना बंद कर पुरानी पेंशन योजना शुरू की जाए.
सरकार ने बदला फैसला
बता दें कि, भूपेश कैबिनेट ने फैसला लिया है कि प्रदेश के तीन लाख से ज्यादा कर्मचारियों को जुलाई 2020 से लेकर दिसंबर 2020 तक के इंक्रीमेंट एरियर का भुगतान जनवरी 2021 में किया जाएगा.