रायपुर: अधिकतम तापमान बढ़ने से अप्रैल और मई के महीने में गर्मी की तपिश बढ़ जाती है. ऐसे में नवोदित या नया उद्यान, जहां पर पौधों की उम्र 2 या 3 साल की होती है या फिर इसी साल उद्यान की तैयारी किया गया हो. तो इन पौधों को यदि इस साल अगर गर्मी की तपिश से बचा लेते हैं, तो अगले साल ज्यादा मेहनत नहीं करनी होती. इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के वरिष्ठ फल और कृषि वैज्ञानिक डॉ घनश्याम साहू से ईटीवी ने बातचीत की.
लू से पौधे को बचाने के तरीके: तेज गर्मी और लू से बचाने के लिए पौधों में पानी देने या सिंचाई का काम दोपहर के बाद किया जाना चाहिए. इससे मिट्टी में ठंडकता बनी रहेगी. दूसरा तरीका यह है कि छोटे फलों के बीच में शेडनेट ट्री गार्ड का उपयोग किया जाना चाहिए. ऐसा करने से गर्मियों में लू से पौधे को बचाया जा सकता है.
फ्रूट कैपिंग और बंच कवरिंग के फायदे: फल और कृषि वैज्ञानिक ने बताया कि "कभी-कभी पपीता और केला में हरापन की बजाए सफेदपन दिखाई पड़ने लगता है. पपीता के पौधों को फ्रूट कैपिंग करके गर्मी से आसानी से बचाया जा सकता है. इसके साथ ही केले के पौधों को जब फल लग गए हों, ऐसे समय में केले के पत्तों को बंच कवरिंग और फल को भी कवरिंग किया जा सकता है."
"किसानों को इस बात का भी ध्यान रखना होगा कि लाइव फेंसिंग वाली बड़ी बीज वाली देसी फल जैसे कटहल, देसी आम और जामुन का पौधा, उसको उद्यान के चारों ओर लगाना चाहिए. ऐसा करने से फल उद्यान को गर्मी की तपिश से काफी हद तक बचाया जा सकता है." - डॉ घनश्याम साहू, फल और कृषि वैज्ञानिक
पौधे और उद्यान को बचाना है जरूरी: कृषि और फल वैज्ञानिक ने बताया कि "प्रदेश के किसान देशी तरीके से भी छोटे फल और छोटे पौधे को पैरा या सूखा घास से ढंक सकते हैं. पौधा लगाने से ज्यादा महत्वपूर्ण गर्मी के दिनों में पौधे और उद्यान को बचाना होता है."
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मटका विधि से करें सिंचाई: कृषि और फल वैज्ञानिक के अनुसार, जिन किसानों के पास टपक सिंचाई पद्धति नहीं है, ऐसे किसान पौधों को मटका विधि से पानी दे सकते हैं. पौधे के आसपास छोटा सा मटका रखकर उसमें छेद करके पानी डाल के रखते हैं, तो आसानी से पौधों को 10 से 12 दिन तक पानी मिलता रहेगा. अप्रैल और मई के महीने में मटके में अगर 3 बार पानी भी भरना पड़े, तो इससे पौधों को आसानी से गर्मी की तपिश से बचाया जा सकता है.