Birth anniversary of pawan diwan : छत्तीसगढ़ के प्रयाग कहे जाने वाले राजिम (महानदी पैरी और सोदूर नदी का जीवंत संगम) के पास किरवई गांव है. यहां 1 जनवरी 1945 को प्रतिष्ठित ब्राम्हण परिवार में पवन दीवान का जन्म हुआ. उनकी प्रारंभिक शिक्षा फिंगेश्वर में हुई. हिन्दी, संस्कृत और अंग्रेजी में एमए करने वाले Pawan Diwan जब संस्कृत कॉलेज रायपुर में पढ़ते थे, तब आचार्य रजनीश भी वहां व्याख्याता थे. हर साल 1 जनवरी को पवन दीवान की जयंती Pawan Diwan Jayanti Date मनाई जाती है.
छात्र जीवन से ही साहित्य सृजन करने वाले दीवानजी छत्तीसगढ़ी और हिन्दी में कविता भी करने लगे. वैसे उन्होंने कुछ कविताएं अंग्रेजी में भी लिखी थी. कविता करते करते वे भागवत प्रवचन में लग गये. छत्तीसगढ़ की हालत, दलितों की पीड़ा और दूसरे कारणों से व्यथित होकर उन्होंने स्वर्गधाम मैनपुरी ऋषिकेश के स्वामी भजनानंद जी महाराज से दीक्षा ली और वैराग्य मार्ग पर बढ़ गए. उनका नाम भी दीक्षा के बाद स्वामी अमृतानंद हो गया. हालांकि वे पवन दीवान के नाम से पहचाने जाते थे.
छत्तीसगढ़ के गांधी नाम से हुए प्रसिद्ध : आपातकाल के समय उन्होंने 'पृथक छत्तीसगढ़ पार्टी' से रायपुर से चुनाव लड़ा. उन्हें सफलता तो नहीं मिली लेकिन 'पृथक छत्तीसगढ़ राज्य' के लिए अलख जगाने का बीज उन्होंने रोपित कर दिया. स्वर्गीय खूबचंद बघेल से लेकर स्वर्गीय चंदूलाल चंद्राकर के लगातार संपर्क में रहकर उन्होंने Prithak chhattisgarh के लिए संघर्ष किया.
दिग्गज को चुनाव हराकर कमाया नाम : साल 1975 में आपात काल के बाद साल 1977 में जनता पार्टी से राजिम विधानसभा सीट से चुनाव लड़े. एक युवा संत कवि के सामने तब कांग्रेस के दिग्गज नेता shyamacharan shukla कांग्रेस पार्टी से मैदान में थे. पवन दीवान ने चुनाव में श्यामाचरण शुक्ल को हराकर सबको चौंका दिया. तब उस दौर में एक नारा गूंजा था- पवन नहीं ये आंधी है, छत्तीसगढ़ का गांधी है. shyamacharan shukla जैसे नेता को हराने का इनाम पवन दीवान को मिला. अविभाजित मध्यप्रदेश में जनता पार्टी की सरकार में वे जेल मंत्री रहे. इसके बाद वे कांग्रेस के साथ आ गए. फिर पृथक राज्य छत्तीसगढ़ बनने तक कांग्रेस में ही रहे. वे गौ सेवा आयोग के अध्यक्ष भी रहे.
अनोखी प्रतिभा के धनी थे दीवान : पवन दीवान की प्रकाशित पुस्तकों में कविता संग्रह 'मेरा हर स्वर इसका पूजन' और 'अम्बर का आशीष' प्रमुख हैं. पवन दीवान ने 'अंतरिक्ष' ,'बिम्ब' और 'महानदी' नाम की साहित्यिक पत्रिकाओं का सम्पादन किया. समय गुजरते गुजरते एक दिन ऐसा भी आया, जब अपनी खिलखिलाहट से पूरे छत्तीसगढ़ को हंसा देने वाले पवन दीवान का 2 मार्च 2014 को दिल्ली में इलाज के दौरान निधन हो गया.