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रायपुर: कोतवाली से गांधी मैदान होकर भू-अभिलेख दफ्तर तक बनेगी फोरलेन सड़क

रायपुर के सिटी कोतवाली की पुरानी बिल्डिंग और आवासीय परिसर तोड़ने के बाद अब सड़क चौड़ी हो गई है. ऐसे में कोतवाली चौक से गांधी मैदान होते हुए भू-अभिलेख दफ्तर तक की सड़क फोर लेन बनाई जाएगी. इसके लिए रायपुर स्मार्ट सिटी ने प्लान बनाकर टेंडर भी जारी कर दिया है.

City Kotwali
सिटी कोतवाली
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Published : Oct 20, 2020, 11:09 AM IST

रायपुर: राजधानी के सिटी कोतवाली की पुरानी बिल्डिंग को तोड़ने के बाद अब सड़क चौड़ी हो गई है. ऐसे में कोतवाली चौक से गांधी मैदान होते हुए भू-अभिलेख दफ्तर तक फोर लेन सड़क बनाई जाएगी. कोतवाली की पुरानी बिल्डिंग और आवासीय परिसर तोड़ने के बाद काफी जगह निकल गई है. इसी तरह कोतवाली चौक से गांधी मैदान तक कुछ कब्जों को भी एक-दो दिन में हटाने की तैयारी चल रही है.

जानकारी के मुताबकि छोटापारा से गांधी मैदान जाने वाली सड़क की चौड़ाई भी बढ़ाई जाएगी. इसके लिए कांग्रेस भवन की करीब 20 फीट जमीन ली जा रही है. सड़क निर्माण होने से मालवीय रोड और सदर बाजार की ट्रैफिक समस्या दूर की जा सकती है. रायपुर स्मार्ट सिटी ने सड़क चौड़ीकरण का प्लान बनाकर टेंडर भी जारी कर दिया है. जल्द ही इसका काम भी शुरू हो जाएगा.

पढ़ें: SPECIAL: ऐतिहासिक सिटी कोतवाली की दीवारों के साथ खत्म हो गई स्वतंत्रता सेनानियों की यादें

रायपुर नगर निगम महापौर एजाज ढेबर ने बताया कि कोतवाली से गांधी मैदान होते हुए भू-अभिलेख दफ्तर तक फोरलेन सड़क निर्माण किया जाना है. इसका टेंडर जारी कर दिया गया है. इससे सड़क में यातायात की समस्या कम होगी.

इतिहासकारों ने जताई नाराजगी

राजधानी रायपुर के सदर बाजार और मालवीय रोड चौराहे पर सिटी कोतवाली अंग्रेजों के समय 1802 में बनाई गई थी. शुरुआती दौर में यहां अंग्रेज कचहरी लगाया करते थे, बाद में इसे कोतवाली बना दिया गया. जिसे विकास के नाम पर गिरा दिया गया है. इतिहासकारों ने इस भवन के टूटने को लेकर नाराजगी जताई है. उन्होंने कहा कि यह रायपुर की ऐतिहासिक धरोहरों में से एक थी. इसे संजोना जाना चाहिए था, लेकिन इसे तोड़ दिया गया. इसे लेकर आम शहरवासियों ने भी नाराजगी जताई है.

ऐतिहासिक इमारतों के संरक्षण के लिए नहीं हुआ काम

2 साल पहले कांग्रेस पार्टी 'गढ़बो नवा छत्तीसगढ़' के नारे के साथ सत्ता में आई थी. घोषणापत्र में गढ़बो नवा छत्तीसगढ़ का नारा कांग्रेस ने दिया था. इसी के साथ बदलाव की बयार इतनी तेज हो रही है कि विरासत ही संकट में आ गई है. राजधानी रायपुर में ऐतिहासिक इमारतों को संरक्षित किया जाना चाहिए था, लेकिन इन बिल्डिंगों को ही गिराया जा रहा है. सिटी कोतवाली थाना जहां 200 साल पहले 1857 के क्रांतिकारियों के खिलाफ भी सुनवाई हुई थी. इस कोतवाली में प्रदेश के तमाम बड़े स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों ने कई दिन गुजारे थे. सारी यादें दीवारों के साथ ध्वस्त हो चुकी है. सबसे बड़ी बात है कि देश में जब ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व की इमारतों के संरक्षण पर बल दिया जा रहा है, वहीं रायपुर में इतिहास को जमींदोज किया जा रहा है.

रायपुर: राजधानी के सिटी कोतवाली की पुरानी बिल्डिंग को तोड़ने के बाद अब सड़क चौड़ी हो गई है. ऐसे में कोतवाली चौक से गांधी मैदान होते हुए भू-अभिलेख दफ्तर तक फोर लेन सड़क बनाई जाएगी. कोतवाली की पुरानी बिल्डिंग और आवासीय परिसर तोड़ने के बाद काफी जगह निकल गई है. इसी तरह कोतवाली चौक से गांधी मैदान तक कुछ कब्जों को भी एक-दो दिन में हटाने की तैयारी चल रही है.

जानकारी के मुताबकि छोटापारा से गांधी मैदान जाने वाली सड़क की चौड़ाई भी बढ़ाई जाएगी. इसके लिए कांग्रेस भवन की करीब 20 फीट जमीन ली जा रही है. सड़क निर्माण होने से मालवीय रोड और सदर बाजार की ट्रैफिक समस्या दूर की जा सकती है. रायपुर स्मार्ट सिटी ने सड़क चौड़ीकरण का प्लान बनाकर टेंडर भी जारी कर दिया है. जल्द ही इसका काम भी शुरू हो जाएगा.

पढ़ें: SPECIAL: ऐतिहासिक सिटी कोतवाली की दीवारों के साथ खत्म हो गई स्वतंत्रता सेनानियों की यादें

रायपुर नगर निगम महापौर एजाज ढेबर ने बताया कि कोतवाली से गांधी मैदान होते हुए भू-अभिलेख दफ्तर तक फोरलेन सड़क निर्माण किया जाना है. इसका टेंडर जारी कर दिया गया है. इससे सड़क में यातायात की समस्या कम होगी.

इतिहासकारों ने जताई नाराजगी

राजधानी रायपुर के सदर बाजार और मालवीय रोड चौराहे पर सिटी कोतवाली अंग्रेजों के समय 1802 में बनाई गई थी. शुरुआती दौर में यहां अंग्रेज कचहरी लगाया करते थे, बाद में इसे कोतवाली बना दिया गया. जिसे विकास के नाम पर गिरा दिया गया है. इतिहासकारों ने इस भवन के टूटने को लेकर नाराजगी जताई है. उन्होंने कहा कि यह रायपुर की ऐतिहासिक धरोहरों में से एक थी. इसे संजोना जाना चाहिए था, लेकिन इसे तोड़ दिया गया. इसे लेकर आम शहरवासियों ने भी नाराजगी जताई है.

ऐतिहासिक इमारतों के संरक्षण के लिए नहीं हुआ काम

2 साल पहले कांग्रेस पार्टी 'गढ़बो नवा छत्तीसगढ़' के नारे के साथ सत्ता में आई थी. घोषणापत्र में गढ़बो नवा छत्तीसगढ़ का नारा कांग्रेस ने दिया था. इसी के साथ बदलाव की बयार इतनी तेज हो रही है कि विरासत ही संकट में आ गई है. राजधानी रायपुर में ऐतिहासिक इमारतों को संरक्षित किया जाना चाहिए था, लेकिन इन बिल्डिंगों को ही गिराया जा रहा है. सिटी कोतवाली थाना जहां 200 साल पहले 1857 के क्रांतिकारियों के खिलाफ भी सुनवाई हुई थी. इस कोतवाली में प्रदेश के तमाम बड़े स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों ने कई दिन गुजारे थे. सारी यादें दीवारों के साथ ध्वस्त हो चुकी है. सबसे बड़ी बात है कि देश में जब ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व की इमारतों के संरक्षण पर बल दिया जा रहा है, वहीं रायपुर में इतिहास को जमींदोज किया जा रहा है.

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