रायपुर: एक प्रोफेसर की पहल किसानों के लिए वरदान बन गई है. समस्या चाहे फसलों में माहो कीट पतंगों की हो या खेती में इस्तेमाल होने वाली खाद पर राय लेनी हो. अब इसके लिए अन्नदाता को बार-बार कृषि विभाग के दफ्तर में फोन लगाने की जरूरत नहीं पड़ेगी, बल्कि उन्हें ये सारी जानकारी वाट्सएप ग्रुप के जरिए मोबाइल फोन पर मिल रही है.
छत्तीसगढ़ में किसान कभी बारिश न होने से परेशान रहते हैं, तो कभी ज्यादा बारिश की वजह से उनकी फसल चौपट हो जाती है. अगर बारिश और सूखे से फसल को बचा भी लिया तो, कीट-पतंगे फसल खराब पर काल बनकर उसे बर्बाद कर देते हैं. कई बार किसान जानकारी के अभाव में गलत खाद और दवा के इस्तेमाल अपने लिए खुद ही मुसीबत खड़ी कर लेता है. लेकिन अब किसान को इन सारी समस्या से निजात मिल गई है.
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कृषि वैज्ञानिकों ने किसान समाधान के नाम से बने 50 से अधिक व्हाट्सएप ग्रुप में एक बार में दस हजार किसानों तक एक साथ समस्या का समाधान पहुंचता है. इसकी वजह से किसान कृषि विभाग के दफ्तर तक भाग-दौड़ करने से बच रहे हैं. धान में तनाछेदक, ब्लास्ट और कीटों का ज्यादा प्रकोप होने लगा है. जिसके लिए बाजार में मिलने वाली दवाओं का सही मात्रा में उपयोग करने की सलाह दी जा जाती है. इंदिरा गांधी कृषि महाविद्यालय रायपुर के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. गजेंद्र चंद्राकर की पहल से न सिर्फ किसानों को घर बैठे कृषि से संबंधित समस्याओं का समाधान मिलता है, बल्कि उन्हें बार-बार कृषि विभाग को फोन घनघनाने से मुक्ति भी मिल गई है.