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प्रोफेसर की पहल बनी किसानों के लिए वरदान, सोशल मीडिया ग्रुप में मिल रहा समस्या का समाधान - कृषि संबंधि जानकारी

समस्या चाहे फसलों में माहो कीट पतंगों की हो या खेती में इस्तेमाल होने वाली खाद पर राय लेनी हो उन्हें ये सारी जानकारियां वाट्सएप ग्रुप के जरिए मोबाइल फोन पर मिल रही हैं.

प्रोफेसर की पहल
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Published : Oct 5, 2019, 10:18 PM IST

Updated : Oct 5, 2019, 10:25 PM IST

रायपुर: एक प्रोफेसर की पहल किसानों के लिए वरदान बन गई है. समस्या चाहे फसलों में माहो कीट पतंगों की हो या खेती में इस्तेमाल होने वाली खाद पर राय लेनी हो. अब इसके लिए अन्नदाता को बार-बार कृषि विभाग के दफ्तर में फोन लगाने की जरूरत नहीं पड़ेगी, बल्कि उन्हें ये सारी जानकारी वाट्सएप ग्रुप के जरिए मोबाइल फोन पर मिल रही है.

प्रोफेसर की पहल बनी किसानों के लिए वरदान

छत्तीसगढ़ में किसान कभी बारिश न होने से परेशान रहते हैं, तो कभी ज्यादा बारिश की वजह से उनकी फसल चौपट हो जाती है. अगर बारिश और सूखे से फसल को बचा भी लिया तो, कीट-पतंगे फसल खराब पर काल बनकर उसे बर्बाद कर देते हैं. कई बार किसान जानकारी के अभाव में गलत खाद और दवा के इस्तेमाल अपने लिए खुद ही मुसीबत खड़ी कर लेता है. लेकिन अब किसान को इन सारी समस्या से निजात मिल गई है.

पढ़ें- नवा रायपुर में जू-सफारी का सीएम ने किया उद्घाटन

कृषि वैज्ञानिकों ने किसान समाधान के नाम से बने 50 से अधिक व्हाट्सएप ग्रुप में एक बार में दस हजार किसानों तक एक साथ समस्या का समाधान पहुंचता है. इसकी वजह से किसान कृषि विभाग के दफ्तर तक भाग-दौड़ करने से बच रहे हैं. धान में तनाछेदक, ब्लास्ट और कीटों का ज्यादा प्रकोप होने लगा है. जिसके लिए बाजार में मिलने वाली दवाओं का सही मात्रा में उपयोग करने की सलाह दी जा जाती है. इंदिरा गांधी कृषि महाविद्यालय रायपुर के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. गजेंद्र चंद्राकर की पहल से न सिर्फ किसानों को घर बैठे कृषि से संबंधित समस्याओं का समाधान मिलता है, बल्कि उन्हें बार-बार कृषि विभाग को फोन घनघनाने से मुक्ति भी मिल गई है.

रायपुर: एक प्रोफेसर की पहल किसानों के लिए वरदान बन गई है. समस्या चाहे फसलों में माहो कीट पतंगों की हो या खेती में इस्तेमाल होने वाली खाद पर राय लेनी हो. अब इसके लिए अन्नदाता को बार-बार कृषि विभाग के दफ्तर में फोन लगाने की जरूरत नहीं पड़ेगी, बल्कि उन्हें ये सारी जानकारी वाट्सएप ग्रुप के जरिए मोबाइल फोन पर मिल रही है.

प्रोफेसर की पहल बनी किसानों के लिए वरदान

छत्तीसगढ़ में किसान कभी बारिश न होने से परेशान रहते हैं, तो कभी ज्यादा बारिश की वजह से उनकी फसल चौपट हो जाती है. अगर बारिश और सूखे से फसल को बचा भी लिया तो, कीट-पतंगे फसल खराब पर काल बनकर उसे बर्बाद कर देते हैं. कई बार किसान जानकारी के अभाव में गलत खाद और दवा के इस्तेमाल अपने लिए खुद ही मुसीबत खड़ी कर लेता है. लेकिन अब किसान को इन सारी समस्या से निजात मिल गई है.

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कृषि वैज्ञानिकों ने किसान समाधान के नाम से बने 50 से अधिक व्हाट्सएप ग्रुप में एक बार में दस हजार किसानों तक एक साथ समस्या का समाधान पहुंचता है. इसकी वजह से किसान कृषि विभाग के दफ्तर तक भाग-दौड़ करने से बच रहे हैं. धान में तनाछेदक, ब्लास्ट और कीटों का ज्यादा प्रकोप होने लगा है. जिसके लिए बाजार में मिलने वाली दवाओं का सही मात्रा में उपयोग करने की सलाह दी जा जाती है. इंदिरा गांधी कृषि महाविद्यालय रायपुर के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. गजेंद्र चंद्राकर की पहल से न सिर्फ किसानों को घर बैठे कृषि से संबंधित समस्याओं का समाधान मिलता है, बल्कि उन्हें बार-बार कृषि विभाग को फोन घनघनाने से मुक्ति भी मिल गई है.

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छत्तीसगढ़ में एक प्रोफेसर की सोच ने किसानों के जीवन मे परिवर्तन ला दिया है । समस्या चाहे फसलों में माहो कीट पतंगों की हो या खेती में इस्तेमाल होने वाली खाद पर राय लेनी हो , किसानों को यह मोबाइल फोन पर मिल रही है। खेती किसानी से जुड़े हर विषय पर इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डॉ गजेंद्र चंद्राकर ने किसानों की समस्याओं के समाधान के लिए किसान समाधान ग्रुप बनाया है। व्हाट्सएप के कईयों ग्रुप्स के ज़रिए प्रदेश के करीब 10000 किसानों को राहत पहुचाने का काम किया है। बड़ी बात इसलिए भी है क्योंकि यह कोई सरकारी कार्यक्रम नही बल्कि बिना किसी लाभ की मंशा से बल्कि यह उनका निजी प्रयास है। इस किसान समाधान ग्रुप में बस्तर के सुदूर इलाको से लेकर सरगुजा तक के किसान इसमे अपनी तमाम समस्याओं का निदान पा रहे है।Body:Vo1 -

छत्तीसगढ़ में किसान कभी बारिश न होने से परेशान रहे तो कभी अधिक वर्षा ने फसल चौपट कर दी। कभी कीट पतंगों ने फसल खराब की तो कभी जानकारी के अभाव में गलत खाद और दवा के इस्तेमाल ने दिक्कते बढ़ा दी लेकिन अब ये सारी समस्याए बस एक व्हाट्सएप्प मेसेज से दूर हो रही है। छत्तीसगढ़ में किसान भी अब वाट्सएप ग्रुप की मदद से एक दूसरे की मदद कर रहे हैं तथा कृषि वैज्ञानिकों से सोशल मीडिया पर निदान भी पूछ रहे हैं। किसान समाधान के नाम से बने 50 से अधिक ग्रुप में एक बार में दस हजार किसानों तक समाधान एक साथ पहुंचता है। इससे किसान कृषि विभाग तक दौड़ धूप करने से बच रहे हैं। धान में तनाछेदक, ब्लास्ट और कीटों का ज्यादा प्रकोप होने लगा है जिसके लिए बाज़ार में मिलने वाली दवाओं का सही मात्रा में उपयोग करने की सलाह दी जा रही है ।डॉ. गजेंद्र चंद्राकर, वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक ,इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर इन दिनों सोशल मीडिया के माध्यम से किसानों की इन समस्याओं का समाधान कर रहे हैं।

बाईट- डॉ गजेंद्र चंद्रकार, कृषि वैज्ञानिक
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किसानों के द्वारा वाट्सअप ग्रुप में समस्या बताने पर वे उसका हल बता रहे हैं जिससे किसानों को बहुत राहत मिल रही है। किसानों के लिए बनाए गए ग्रुपो के संस्थापक डॉ. गजेंद्र चंद्राकर ने बताया कि प्रदेश के 27 जिलों में अलग-अलग ग्रुप बनाए गए हैं। कृषि मैदानी अमलों से सम्पर्क कर किसानों को निःशुल्क सामयिक सलाह दी जाती है। उन्होंने इस काम मे अपने छात्रों को भी जोड़ रखा है जो अलग अलग जिलों के ग्रुप में किसानों से सम्पर्क में रहते है।इससे उन्हें प्रेक्टिकल ज्ञान भी मिलता है,किसान भी खुश है।


बाईट-रवि कुमार, पीएचडी छात्र
बाईट-रेणुका यादव,छात्रा

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दरअसल प्रदेशभर में किसानों को खेती किसानी की तमाम नई तकनीकों की जानकारी समय पर नही मिल पाने और मौसमी बीमारियों से फसलों को भारी नुकसान होता था। इसके लिए प्रदेश भर में एक साथ जानकारी पहुँचना सम्भव नही था ऐसे में कृषि वैज्ञानिक डॉ गजेंद्र चंद्राकर ने बिना किसी मदद से अपने स्तर पर किसानों की पुरजोर मदद कर रहे है।

क्लोजिंग - PTC

मयंक ठाकुर, ईटीवी भारत, रायपुर
Last Updated : Oct 5, 2019, 10:25 PM IST
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