रायपुर: त्रिभुनेश्वर शरणसिंह से टीएस बाबा बनने के पीछे की कहानी हो, या फिर लोकसभा चुनाव के मुद्दे, घोषणा पत्र का मैजिक हो या स्वास्थ्य विभाग को दुरुस्त करने का प्लान. छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव से हमने पूछे सीधे, सटीक और टेढ़े हर तरह के सवाल और टीएस ने बेबाकी से दिया हर सवाल का जवाब.
सवाल: बाबा की कहानी की शुरूआत कहां से हुई ?
जवाब: इसकी शुरुआत घर से हुई, बचपन में बाबा बोलते थे जो धीरे-धीरे टीएस बाबा में तब्दील हो गया.
सवाल: स्वास्थ्य विभाग को बेहतर बनाने के लिए आपकी रणनीति क्या है ?
जवाब: स्वास्थ्य सुविधाओं को गुणवत्तापूर्ण बनाए रखना. इसके साथ ही लोगों को दवाएं मुहैया हों, स्वास्थ्य उपकण बेहतर तरीके से काम करे. हमने ऐसी परिकल्पना की है, कि स्वास्थ्य सुविधाएं सूबे के पहले से लेकर आखिरी व्यक्ति की पहुंच में हों.
सवाल: आप ने थाईलैंड जाकर वहां की स्वास्थ्य सुविधाओं का जायजा लिया था. इस बारे में कुछ बताना चाहेंगे ?
जवाब: थाईलैंड में भारत से मिलती जुलती अर्थव्यवस्था है. वहां उन्होंने यूनिवर्सल हेल्थ कवरेज स्कीम चलाई है. वहां होने वाली अंतर्राष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस में दुनिया भर के लोग आए थे. ये हमारे लिए थाईलैंड के साथ-साथ दूसरे देशों की अर्थव्यवस्था का अध्यन करने का मौका था.
सवाल: इंफ्रास्ट्रक्चर के साथ-साथ डॉक्टर्स और दवाओं की कमी को कैसे दूर करेंगे ?
जवाब: 899 मेडिकल ऑफिसर्स की पोस्ट खाली थी, जिसमें 345 की भर्ती की है और 600 मेडिकल ऑफिसर्स की भर्ती करने वाले हैं. 300 मेडिकल ऑफिसर्स का स्पेस्लिस्ट के तौर पर प्रमोशन होना है. हम डॉक्टरों का वेतन बढ़ाने पर विचार कर रहे हैं.
सवाल: कई अस्पतालों में अनियमितताओं की खबर भी आती रही है. ऐसे में लोगों में सरकारी अस्पतालों के प्रति विश्वास जगाना बड़ी चुनौती मानी जाती है.
जवाब: मानव संसाधन को पूरा करने के साथ-साथ हमें डॉक्टरों के प्रति लोगों में विश्वास जगाने का काम करना होगा. डॉक्टर और दवाओं की कमी को दूर करने की कोशिश करेंगे. पब्लिक के पैसे मिस यूज नहीं होने देंगे. मैने अपने और बच्चों के लिए हमेशा सरकारी डॉक्टरों से इलाज कराया है. गरीब और लोअर मिडिल क्लास को सस्ते में इलाज मुहैया हो हम इस पर भी ध्यान दे रहे हैं, क्योंकि बीमारी होने पर गरीब आदमी पर मुसीबतों का अंबार टूट पड़ता है, उनका परिवार टूट जाता है.
सवाल: सरगुजा एक महत्वपूर्ण इलाका है और वहां हाथियों का उत्पात बड़ी समस्या है. इसे लेकर क्या कुछ प्लानिंग है ?
जवाब: आजादी के पहले तैमोर पहाड़ में आखिरी हाथी पकड़ा गया. उस समय से लेकर 1980 के दशक तक सरगुजा में कोई हाथी नहीं आया. सिंहहोम क्षेत्र में माइनिंग की एक्टिविटी होने पर हाथियों का माइग्रेशन शुरू हुआ और वो बढ़ते-बढ़ते 125 से 250 तक पहुंच चुका है. चारा और पानी नहीं मिलने की वजह से हाथी लोगों को नुकसान पहुंचा रहे हैं. आपको हाथियों की संख्या को कम करना होगा. मानव और वन्य प्राणियों के संघर्ष को बचाने के लिए इनकी मॉनिटरिंग करनी होगी.
सवाल: माइनिंग को लेकर सरकार की क्या सोच है ?
जवाब: माइनिंग राइट्स के बारे में मेरा विचार है कि एक तरफ राष्ट्रीय और वैश्विक स्तर पर हम एनर्जी के वैकल्पिक सोर्सेज की बात कर रहे हैं, तो फिर जंगल की ओर क्यों जाना. वन क्षेत्र में मौजूद कोयले के खनन को रोकना चाहिए. माइनिंग के बाद री-फिलिंग और वन क्षेत्र को रीस्टोर होना चाहिए.
सवाल: आपको ओडिशा की जिम्मेदारी दी गई है, तो आने वाले समय में हम आपको को केंद्र में बड़ी जिम्मेदारी निभाते हुए देखेंगे ?
जवाब: ओडिशा की जिम्मेदारी अस्थाई तौर पर दी गई है. जितेंद्र सिंह के चुनाव लड़ने की संभावना है, इस वजह से मुझे जिम्मेदारी दी गई है.
सवाल: छत्तीसगढ़ में सत्ता लाने में जन घोषणा-पत्र ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. एक बार फिर चुनाव आ रहे हैं और फिर से जनघोषणापत्र बनना है, तो क्या इस बार भी उसी तर्ज पर कांग्रेस का घोषणापत्र रहेगा ?
जवाब: उस तर्ज पर बनाने का तो अब टाइम नहीं रहा. एक्सपर्ट्स के सुझाव के आधार पर भी घोषणापत्र बनाया जा सकता है. इस बार कांग्रेस ने सभी राज्यों में टीम भेजकर लोगों की राय लेने की कोशिश की है. छत्तीसगढ़ में राजू जी आए थे और उन्होंने लोगों से फीडबैक भी लिया है.
सवाल: पिछले चुनाव में छत्तीसगढ़ में ग्यारह में से महज एक सीट जीती थी, लेकिन इस बार परिस्थिति बदली है. ऐसे में आप क्या उम्मीद कर रहे हैं ?
जवाब: मेरा माननाहै कि, सात से कम सीटें आईं तो हम लोग हार गए. सात पासिंग मार्क है, नौ आ गए तो 75 पर्सेंट उसके ऊपर आए तो नाइंटी पर्सेंट.
सवाल: छत्तीसगढ़ में ऐतिहासिक जीत हुई है तो क्या जीत के मंत्र केंद्रीय नेतृत्व को भी बताए गए हैं ?
जवाब: ये बात सही है कि विधानसभा चुनाव के दौरान पांचों राज्यों में छत्तीसगढ़ के चांसेस सबसे कम आंके गए थे. यहां जोगी का मेन फैक्टर था. मेरा ये मानना है कि कांग्रेस पार्टी ने जिस तरह से पांच साल संघर्ष किया, लोगों के मुद्दे उठाए और घोषणा पत्र के जरिए लोगों से जुड़ने के प्रयास किए. राहुल जी ने कहा था कि अगर दस दिन में कर्जमाफी नहीं हुई तो हम मुख्यमंत्री पर कार्रवाई करेंगे. कैबिनेट के शपथ लेकने के तीन घंटे के अंदर कर्जमाफी के प्रस्ताव पर मुहर लग गई थी. जब घोषणा पत्र रिलीज हो रहा था उस दौरान राहुल जी ने मुझसे पूछा था कि पैसे कहांसे आएंगे. जब मैने उन्हें बताया था कि ये महज एक साल की बात है. अगले साल तो वो ये पैसा आपके बजट में सेफ है. वादे निभाने का भी प्रभाव रहा.
सवाल: सरकार के 70 दिन को किस तरह से आंकते हैं ?
जवाब: जो टार्गेट हमने रखे थे उसकी डिलेवरी अच्छी रही. छत्तीसगढ़ के 36 लक्ष्य जो हमने रखे थे. उनमें से 18 से 20 लक्ष्य पूरे हो गए हैं. उसमें फूड सिक्यूरिटी की बात थी. जमीन वापसी की बात थी. पांच डिसमिल के पट्टों की खरीदी की अनुमती देने की बात थी. जिनको पट्टों के पत्र मिले थे उन्हें मिलिकाना हक देने की बात थी. 35 किलो चावल देने के वादे तो भी पूरा किया गया. पुलिसकर्मियों के वीकली ऑफ की बात थी, उनके भत्ते की मांग पूरी हुई. शिक्षाकर्मियों का वेतन इस सरकार ने दिया. कई मुद्दों पर सरकार ने डिलेवर करने की पहल की है. कहीं कमी रही होगी तो उसकी भी चर्चा होती है.