रायपुर: पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली के निधन पर देश में शोक का माहौल है. जेटली यादों में हमेशा रहेंगे. ETV भारत उनका छत्तीसगढ़ से जुड़ा ऐसा ही किस्सा आपसे शेयर कर रहा है. राजनीतिक वजहों से कई बार अरुण जेटली का छत्तीसगढ़ दौरा हुआ लेकिन 2003 में एक बेहद खास काम के लिए तत्कालीन गृहमंत्री लालकृष्ण आडवाणी ने उन्हें प्रदेश भेजा था.
बात है साल 2003. विधानसभा चुनाव में भाजपा को बहुमत मिला था लेकिन तभी आदिवासी विधायकों को तोड़ने के लिए जाल बिछाया गया था. इस बात की जानकारी पूर्व भाजपा नेता विरेंद्र पांडेय ने केंद्रीय संगठन को दी थी. आडवाणी ने ये मामला जेटली को सौंपा. वकील और कुशल राजनेता अरुण जेटली ने इस जिम्मेदारी को बखूबी निभाया और भाजपा के खिलाफ हो रही साजिश पर पानी फेर दिया.
बहुत रोचक है ये वाकया-
- इस पूरे मामले में अरुण जेटली का साथ पूर्व भाजपा नेता वीरेंद्र पांडेय ने भी बखूबी निभाया था. जेटली और उस किस्से से जुड़ी यादें वीरेंद्र पांडेय ने ETV भारत से शेयर की.
- वीरेंद्र पांडेय ने 2003 के इस टेपकांड की जानकारी देते हुए बताया कि अरुण जेटली देश के ख्याति प्राप्त वकील थे. साथ वे पार्टी के लिए भी समर्पित थे. 2003 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने खरीद-फरोख्त का खुलासा किया था.
- घटना का जिक्र करते हुए उन्होंने बताया कि 2003 में 4 दिसंबर को विधानसभा चुनाव के परिणाम आए थे. परिणाम बीजेपी के पक्ष में था. 5 दिसंबर को सभी विधायकों को निर्देश दिया गया था कि उन्हें एक होटल में आना है, जहां नेताओं को चुनाव होगा.
- उस दौरान केंद्रीय मंत्री संजय जोशी और राजनाथ सिंह छत्तीसगढ़ आए हुए थे. उस दिन नेताओं का चुनाव होना था जिनमें से कोई एक बाद में मुख्यमंत्री बनता.
- चुनाव की प्रक्रिया चल ही रही थी कि बीजेपी सांसद पीआर खूंटे कांग्रेस के पाले में चल गए थे. ये सोचकर कि कांग्रेस जीतेगी और जोगी सीएम होंगे. लेकिन तब तक हमने उन्हें पार्टी से नहीं निकाला था.
- एक दिन उनका फोन आया कि आप चाणक्य की भूमिका निभा सकते हैं. आप बलिराम कश्यप को मुख्यमंत्री बना सकते हैं. इसके लिए आपको 7 से 8 विधायक तोड़ना होगा. इसमें अजीत जोगी आपका समर्थन करेंगे.
- मैंने पहली बार उन बातों को अनसुना कर दिया, लेकिन फोन का ये सिलसिला रुका नहीं. तब मैंने बातों की गंभीरता को समझा और अन्य लोगों से रिकॉर्डिंग के बारे में पूछने लगा लेकिन कुछ हो नहीं सका.
- वीरेंद्र पांडेय ने कहते हैं उन्होंने अपना जाल फेंका और पैसे की डिमांड कर दी. पांडेय कहते हैं कि ऑफर देने वाले पैसे देने के लिए तैयार हो गए. कुछ पैसे घर और कुछ बाहर देने की बात हुई.
- वीरेंद्र पांडेय ने पूरे घटनाक्रम की जानकारी संजय को दी. उन्होंने इसकी जानकारी लालकृष्ण आडवाणी को दी.
- इस गंभीर मामले को सुलझाने के लिए आडवाणी ने अरुण जेटली को भेजा. उनकी और पुलिस की मदद से वीरेंद्र पांडेय के घर टेलीफोन में रिकॉर्डर लगाया गया. जिसमें सांसद पीआर खूंटे की सारे बातों को रिकॉर्ड कर लिया गया.
- जेटली की मदद से इस बात का खुलासा मीडिया में किया गया, जिसमें फोन की रिकॉर्डिग भी दी गई.
- बातचीत में वीरेंद्र पांडे ने बताया कि शायद ये पहला ऐसा टेप मामला होगा जिसका खुलासा हमने किया था. जो जेटली के बिना मुमकिन नहीं था.
- 2008 में वीरेंद्र पांडेय ने पार्टी छोड़ दी थी.