रायपुर: छत्तीसगढ़ में मानसिक समस्या से पीड़ित वस्तु की संख्या लगातार बढ़ रही (mental problems of youth in Chhattisgarh ) है. मानसिक स्वास्थ्य सर्वेक्षण साल 2019 के अनुसार छत्तीसगढ़ में 18 आयु वर्ग से अधिक 22 फीसद से ज्यादा लोग किसी ना किसी मानसिक समस्या से ग्रसित हैं. यानी प्रदेश में हर पांच में से एक व्यक्ति किसी ना किसी मानसिक समस्या से ग्रसित है. मेडिकल कॉलेज में मानसिक समस्या से ग्रसित मरीजों का इलाज किया जा रहा है. लेकिन प्रदेश के कई प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, कम्युनिटी सेंटर में इलाज की बेहतर व्यवस्था नहीं हो पाने की वजह से मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ता (Youth of Chhattisgarh in grip of mental problem) है.
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एक नजर केस स्टडी पर:
- मरीज के रिश्तेदार कोमल साहू (परिवर्तित नाम) कहते हैं, " भाई का परिवार धमतरी (परिवर्तित स्थान) स्थित एक छोटे से गांव में रहता है और वहीं खेती-बाड़ी करते हैं. भाई रामेश्वर (परिवर्तित नाम) की कुछ ही साल पहले शादी हुई थी. उनका एक छोटा बच्चा है. रामेश्वर क परिवार उतना संपन्न नहीं है. लेकिन खेती-बाड़ी से उनका घर चल जाता है. उनका बेटा काफी छोटा है. अचानक एक दिन रामेश्वर अपने खेत में अपने बेटे को मार-मार कर बेहोश कर देता है और खुद भी बेहोश होकर गिर जाता है. जब आसपास के लोगों ने उसके बेटे को और उसको बेहोशी की हालत में देखा तो वहां भीड़ लग गई. दोनों को तुरंत अस्पताल भेजा गया. रामेश्वर के होश आने पर जब उससे पूछा गया तो उसको कुछ भी याद नहीं था. रामेश्वर के आक्रामक व्यवहार को देखते हुए उसे तुरंत अस्पताल में एडमिट किया गया. अभी उसका इलाज चल रहा है."
- एक अन्य मरीज के रिश्तेदार रामा बाई (परिवर्तित नाम) ने बताया, " मैं अपने परिवार के साथ भिलाई जिला (परिवर्तित स्थान) स्थित एक छोटे से गांव में रहती हूंं. मेरी बेटी की शादी की उम्र हो गई है. मेरा बेटा एक छोटे से ढाबे में समोसा कचोरी बेचने का काम करता है. मेरे बेटे को किसी तरह की कोई बीमारी नहीं थी. लेकिन एक दिन जब मैं अपनी बहन के घर गई हुई थी. मेरा बेटा अचानक घर से भाग गया. जब हमें उस बारे में पता चला तो हम लोगों ने उसकी तलाश शुरू की. कुछ दिनों बाद मेरा बेटा दूसरे शहर में मिला. जब हमने उससे पूछा कि यहां कैसे आया? कब आया? तो उसको कुछ भी याद नहीं था. उसे वापस हम घर लेकर आ गए. लेकिन बार-बार वह ऐसा ही करता था. जब उससे पूछा जाता कि वह कैसे गया? उसे कुछ याद नहीं रहता था. उसकी इस हालत को देखते हुए हमने उसे अस्पताल में एडमिट कराया. अभी उसका इलाज चल रहा है."
तनाव, मादक पदार्थों के सेवन से बढ़ रहे मानसिक रोग: साइकेट्रिस्ट डॉक्टर सुरभि दुबे ने बताया, " मानसिक रोग को हम व्यावहारिक समस्याएं भी बोल सकते हैं. यह बच्चों से लेकर वयस्क और बूढ़े तक में हो सकती है. हमारी रूटीन जिंदगी में कई तरह की समस्या होती है. जैसे लोगों से मेल-मिलाप कम हो जाना, बातचीत कम हो जाना, सोशलाइजेशन कम हो जाना. इस वजह से तनाव, अवसाद, मतिभ्रष्ट, मादक पदार्थों का सेवन यह सारी चीजें बढ़ जाती है. जिससे मानसिक समस्या उत्पन्न होती है."
युवाओं में मानसिक समस्याओं की ये है वजह: साइकेट्रिस्ट डॉक्टर सुरभि दुबे ने बताया, " 18 वर्ष आयु ग्रुप प्रोडक्टिव ग्रुप है. इस उम्र के लोग किसी भी कार्यक्रम में किसी भी कार्य में बड़े ही जोश के साथ शामिल होते हैं. इन लोगों में स्पेशली वर्चुअल फ्रेंडशिप बढ़ गई है और सोशल इंटरेक्शन कम हो गए हैं. इसके अलावा इस ग्रुप में बहुत ज्यादा नशे की लत भी देखने को मिलती है. शराब, सिगरेट या आजकल मोबाइल की लत भी एक बड़ी लत निकल कर आई है. नशे से उत्पन्न होने वाली समस्याएं भी काफी ज्यादा बढ़ गई है. इसके अलावा जो एजुकेटेड यूथ हैं, उनको काम नहीं मिल रहा है. इस वजह से भी उम्र में डिप्रेशन या तनाव देखने को मिल रहा है. यह भी देखने को मिला है कि जेनेटिक किसी के घर में अगर पहले किसी को मानसिक समस्या थी तो उसके फैमिली में दूसरे जनरेशन को इस तरह की समस्या देखने को मिल सकती है."
मानसिक रोग को लेकर लोग हो रहे सजग: साइकेट्रिस्ट डॉक्टर सुरभि दुबे कहती हैं, " मानसिक रोग बहुत तेजी से फैला है. कोरोना महामारी के बाद मानसिक रोग और तेजी से बढ़ रहा है. आइसोलेशन और सामाजिक मेल मिलाप कम होने के चलते भी मानसिक रोग में वृद्धि हो रही है. कोरोना के पहले भी मानसिक रोग लोगों में देखने को मिलते थे. लेकिन अब आंकड़ा हमें और ज्यादा इसलिए नजर आ रहा है, क्योंकि लोग अब सजग हो गए हैं. अगर उन्हें लग रहा है कि कोई डिप्रेशन में है या कोई तनाव में हैं, तो वह खुद अस्पताल आकर काउंसलर या डॉक्टर को दिखा रहे हैं."
मानसिक मरीजों को देखने के लिए चिकित्सक को दिया जा चुका है प्रशिक्षण: मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के राज्य नोडल अधिकारी डॉ. महेंद्र सिंह ठाकुर ने बताया, " राज्य में 22 फीसद से अधिक वयस्क किसी ना किसी मानसिक समस्या से ग्रसित हैं. स्वास्थ्य केंद्रों में स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराने की योजना है. चिकित्सकों को प्रशिक्षण भी दे चुके हैं. दवाई उपलब्ध ना होने से समस्या आ रही है. हम जल्द व्यवस्था ठीक करेंगे."
सरकारी अस्पतालों में मानसिक समस्या का उपचार:
हॉस्पिटल | टोटल |
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जिला हॉस्पिटल | 25 |
सिविल अस्पताल | 20 |
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र | 171 |
शहरी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र | 4 |
प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र | 793 |
शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र | 52 |
शहरी उप स्वास्थ्य केंद्र | 5206 |
मानसिक चिकित्सालय | 1 |