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छत्तीसगढ़ के हाई प्रोटीन और जिंक चावल की बढ़ी डिमांड, कृषि विश्वविद्यालय की विदेशों में चावल भेजने की तैयारी - प्रोटाजीन चावल का महत्व

छत्तीसगढ़ के हाई प्रोटीन और जिंक चावल की डिमांड अब विदेशों में भी बढ़ने लगी है. आखिर क्या वजह है कि इन चावलों की मांग में वृद्धि दर्ज की गई है.

Increased demand for zinc rice
जिंक चावलों की बढ़ी डिमांड
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Published : Apr 7, 2022, 6:25 PM IST

Updated : Apr 7, 2022, 11:28 PM IST

रायपुर: पिछले 15 सालों से इंदिरा कृषि विश्वविद्यालय रायपुर में भारत सरकार की परियोजना के तहत ऐसे चावल की किस्म पर रिसर्च किया जा रहा है, जिसमें जिंक, आयरन और प्रोटीन की मात्रा भरपूर हो. इसी कड़ी में इंदिरा कृषि विश्वविद्यालय रायपुर द्वारा छत्तीसगढ़ जिंक राइस 1, एस वन छत्तीसगढ़ जिंक राइस 2 , जिंकोराइस एमएस और प्रोटाजीन चावल बनाए गए हैं. चावल की इन किस्मों में प्रोटीन, जिंक और आयरन की मात्रा भरपूर है. आज इन चावलों की डिमांड सिर्फ भारत में नहीं बल्कि विदेशों में भी है. इन चारों तरह के चावल में कई तरह के गुण पाए जाते हैं.

जिंक चावलों की बढ़ी डिमांड

जिंक राइस चावल और प्रोटोजीन/प्रोटाजीन चावल का महत्व

  • छत्तीसगढ़ जिंक राइस 1 के चावल का दाना लंबा और मोटा होता है. यह पोहा बनाने के लिए काफी उचित है. छत्तीसगढ़ जिंक राइस 1 खेत में 110 दिन में पक कर तैयार हो जाती है.
  • जिंक राइस के उत्पादन की क्षमता प्रति हेक्टेयर करीब 5 टन है.
  • छत्तीसगढ़ जिंक राइस 1 में जिंक की भरपूर मात्रा है. अगर अर्बन पापुलेशन इस तरह का चावल खाती है तो शरीर में यह जिंक की कमी नहीं होने देगा.
  • छत्तीसगढ़ जिंक राइस 2 और जिंको राइस एमएस 130 में होने वाली वैरायटी है. छत्तीसगढ़ जिंक राइस 2 और जिंको राइस एमएस के दाने मध्यम और मोटे होते हैं. यह वैरायटी भी फाइंड ग्रीन की वैरायटी है. इसमें भी जिंक की मात्रा भरपूर होती है.
  • धान की खेती खरीफ और रवि दोनों समय की जा सकती है.
  • जिंक राइस चावल और प्रोटोजीन/प्रोटाजीन चावल आम चावलों की तरह ही दिखते हैं. आम चावल की तरह ही इनकी खेती की जाती है.
  • प्रोटाजीन चावल में आम चावल के मुकाबले 4 फीसदी प्रोटीन की मात्रा ज्यादा होती है.

यह भी पढ़ें: अब अयोध्या में महकेगी छत्तीसगढ़ के देवभोग चावल की खुशबू, इंदिरा गांधी कृषि विवि से किया कॉन्ट्रैक्ट

छत्तीसगढ़ जिंक राइस और प्रोटोजीन/प्रोटाजीन चावलों में जिंक और प्रोटीन की भरपूर मात्रा: इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर गिरीश चंदेल के मुताबिक ''छत्तीसगढ़ जिंक राइस 1, एस वन छत्तीसगढ़ जिंक राइस 2 , जिंक राइस 2 , जिंकोराइस एमएस तीनों वैरायटी को अलग-अलग प्रदेश में लगाकर निकाला गया है. वर्तमान में भारत सरकार ने SAARC कंपनी के लिए एक एमओयू साइन किया है. जिसमें इंडिया में रिलीज वैरायटी को इसी प्रपोजल के द्वारा वहां भी रिलीज करा सकते हैं. छत्तीसगढ़ की इन वैरायटी में नार्मल चावल के मुकाबले डेढ़ गुना ज्यादा जिंक पाया जाता है. प्रोटाजीन चावल में प्रोटीन की मात्रा नॉर्मल चावल के मुकाबले 2 गुना ज्यादा है. इंटरनेशनल रिसर्च राइस इंस्टीट्यूट फिलीपींस में जब प्रचार-प्रसार के माध्यम से नेपाल तक इस चावल के खासियत की खबर पहुंची तो नेपाल के किसानों ने इन चावलों की डिमांड काफी ज्यादा की है.''

नेपाल में पहले चावल का किया जाएगा टेस्ट फिर भेजे जाएंगे चावल : इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर गिरीश चंदेल ने बताया कि ''छत्तीसगढ़ जिंक राइस1 , एस वन छत्तीसगढ़ जिंक राइस 2 , जिंक राइस एमएस और प्रोटोजीन चावल का ट्रायल पहले नेपाल में किया जाएगा. नेपाल , बांग्लादेश और भारत के आसपास के जितने देश हैं, उनकी जलवायु लगभग भारत की तरह ही है. भारत के आसपास के जितने देश हैं, उनमें सॉइल टाइप, एयर टाइप कंडीशन भारत जैसे ही रहते हैं. हम यह देखना चाहते हैं कि इनमें से किस वैरायटी की उपज नेपाल में और अच्छी होगी. नेपाल में अगर इसकी खेती की जाती है तो वहां जिंक की मात्रा ज्यादा या कम तो नहीं होगी. इसकी जांच होने के बाद हमारी 1-2 वैरायटी को वहां पर रिलीज कर लार्ज स्केल में वहां इसकी खेती की जाएगी.''

रायपुर: पिछले 15 सालों से इंदिरा कृषि विश्वविद्यालय रायपुर में भारत सरकार की परियोजना के तहत ऐसे चावल की किस्म पर रिसर्च किया जा रहा है, जिसमें जिंक, आयरन और प्रोटीन की मात्रा भरपूर हो. इसी कड़ी में इंदिरा कृषि विश्वविद्यालय रायपुर द्वारा छत्तीसगढ़ जिंक राइस 1, एस वन छत्तीसगढ़ जिंक राइस 2 , जिंकोराइस एमएस और प्रोटाजीन चावल बनाए गए हैं. चावल की इन किस्मों में प्रोटीन, जिंक और आयरन की मात्रा भरपूर है. आज इन चावलों की डिमांड सिर्फ भारत में नहीं बल्कि विदेशों में भी है. इन चारों तरह के चावल में कई तरह के गुण पाए जाते हैं.

जिंक चावलों की बढ़ी डिमांड

जिंक राइस चावल और प्रोटोजीन/प्रोटाजीन चावल का महत्व

  • छत्तीसगढ़ जिंक राइस 1 के चावल का दाना लंबा और मोटा होता है. यह पोहा बनाने के लिए काफी उचित है. छत्तीसगढ़ जिंक राइस 1 खेत में 110 दिन में पक कर तैयार हो जाती है.
  • जिंक राइस के उत्पादन की क्षमता प्रति हेक्टेयर करीब 5 टन है.
  • छत्तीसगढ़ जिंक राइस 1 में जिंक की भरपूर मात्रा है. अगर अर्बन पापुलेशन इस तरह का चावल खाती है तो शरीर में यह जिंक की कमी नहीं होने देगा.
  • छत्तीसगढ़ जिंक राइस 2 और जिंको राइस एमएस 130 में होने वाली वैरायटी है. छत्तीसगढ़ जिंक राइस 2 और जिंको राइस एमएस के दाने मध्यम और मोटे होते हैं. यह वैरायटी भी फाइंड ग्रीन की वैरायटी है. इसमें भी जिंक की मात्रा भरपूर होती है.
  • धान की खेती खरीफ और रवि दोनों समय की जा सकती है.
  • जिंक राइस चावल और प्रोटोजीन/प्रोटाजीन चावल आम चावलों की तरह ही दिखते हैं. आम चावल की तरह ही इनकी खेती की जाती है.
  • प्रोटाजीन चावल में आम चावल के मुकाबले 4 फीसदी प्रोटीन की मात्रा ज्यादा होती है.

यह भी पढ़ें: अब अयोध्या में महकेगी छत्तीसगढ़ के देवभोग चावल की खुशबू, इंदिरा गांधी कृषि विवि से किया कॉन्ट्रैक्ट

छत्तीसगढ़ जिंक राइस और प्रोटोजीन/प्रोटाजीन चावलों में जिंक और प्रोटीन की भरपूर मात्रा: इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर गिरीश चंदेल के मुताबिक ''छत्तीसगढ़ जिंक राइस 1, एस वन छत्तीसगढ़ जिंक राइस 2 , जिंक राइस 2 , जिंकोराइस एमएस तीनों वैरायटी को अलग-अलग प्रदेश में लगाकर निकाला गया है. वर्तमान में भारत सरकार ने SAARC कंपनी के लिए एक एमओयू साइन किया है. जिसमें इंडिया में रिलीज वैरायटी को इसी प्रपोजल के द्वारा वहां भी रिलीज करा सकते हैं. छत्तीसगढ़ की इन वैरायटी में नार्मल चावल के मुकाबले डेढ़ गुना ज्यादा जिंक पाया जाता है. प्रोटाजीन चावल में प्रोटीन की मात्रा नॉर्मल चावल के मुकाबले 2 गुना ज्यादा है. इंटरनेशनल रिसर्च राइस इंस्टीट्यूट फिलीपींस में जब प्रचार-प्रसार के माध्यम से नेपाल तक इस चावल के खासियत की खबर पहुंची तो नेपाल के किसानों ने इन चावलों की डिमांड काफी ज्यादा की है.''

नेपाल में पहले चावल का किया जाएगा टेस्ट फिर भेजे जाएंगे चावल : इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर गिरीश चंदेल ने बताया कि ''छत्तीसगढ़ जिंक राइस1 , एस वन छत्तीसगढ़ जिंक राइस 2 , जिंक राइस एमएस और प्रोटोजीन चावल का ट्रायल पहले नेपाल में किया जाएगा. नेपाल , बांग्लादेश और भारत के आसपास के जितने देश हैं, उनकी जलवायु लगभग भारत की तरह ही है. भारत के आसपास के जितने देश हैं, उनमें सॉइल टाइप, एयर टाइप कंडीशन भारत जैसे ही रहते हैं. हम यह देखना चाहते हैं कि इनमें से किस वैरायटी की उपज नेपाल में और अच्छी होगी. नेपाल में अगर इसकी खेती की जाती है तो वहां जिंक की मात्रा ज्यादा या कम तो नहीं होगी. इसकी जांच होने के बाद हमारी 1-2 वैरायटी को वहां पर रिलीज कर लार्ज स्केल में वहां इसकी खेती की जाएगी.''

Last Updated : Apr 7, 2022, 11:28 PM IST

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