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जानें 'कोविशील्ड' से जुड़े हर सवाल का जवाब

'कोविशील्ड' एस्ट्राजेनेका और ऑक्सफोर्ड द्वारा विकसित वैक्सीन है. विशेषज्ञ पैनल ने इसके आपात उपयोग की सशर्त मंजूरी दे दी है. कोविशील्ड से जुड़े कई सवाल खड़े होते हैं, जैसे क्या यह सुरक्षित है, यह अन्य वैक्सीन से कैसे अलग है, यह टीका काम कैसे करता है इत्यादि. ऐसे ही कुछ सवालों के जवाब जानने के लिए पढ़ें पूरी खबर...

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ड्रग रेगुलेटर के विशेषज्ञ पैनल की कोविशील्ड को मंजूरी
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Published : Jan 1, 2021, 6:22 PM IST

रायपुर: भारत सरकार के ड्रग रेगुलेटर के विशेषज्ञ पैनल की महत्वपूर्ण बैठक में कोरोना महामारी से बचाव के लिए विकसित टीके के आपात उपयोग को मंजूरी दे दी गई. विषय विशेषज्ञ पैनल ने आज एस्ट्राजेनेका और ऑक्सफोर्ड द्वारा विकसित टीका- 'कोविशील्ड' के आपात उपयोग को सशर्त मंजूरी दे दी.

इस टीके का उत्पादन सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया कर रहा है. पुणे स्थित सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एसआईआई) ने कोविशील्ड के उत्पादन के लिए एस्ट्रेजेनेका के साथ करार किया है. एसआईआई दुनिया की सबसे बड़ी टीका निर्माता कंपनी है.

गौरतलब है कि ब्रिटेन की मेडिसिन्स एंड हेल्थकेयर प्रोडक्ट्स रेगुलेटरी एजेंसी (एमएचआरए) ने ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में वैज्ञानिकों द्वारा विकसित तथा एस्ट्रेजेनेका द्वारा निर्मित टीके को बुधवार को मंजूरी प्रदान की थी.

क्या ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका वैक्सीन म्यूटेंट वायरस में कारगर है?

  • शोधकर्ताओं का मानना है कि वैक्सीन का शॉट ब्रिटेन में तेजी से संक्रमण फैलाने वाले वायरस के नए संस्करण में प्रभावी होगा.
  • ऑक्सफोर्ड के कोविड-19 वैक्सीन के तीसरे चरण के परीक्षण परिणामों में दो अलग-अलग रेजिमेंस में 70 प्रतिशत की प्रभावकारिता दर अलग-अलग दिखी.
  • इनमें से एक रेजिमेंस (एक पूर्ण खुराक के बाद एक आधा खुराक) में 90 प्रतिशत प्रभावकारिता दर देखी गई.
  • चीन के वॉल्वैक्स बायोटेक्नोलॉजी कॉर्पोरेशन ने एस्ट्राजेनेका पीएलसी के उत्पाद के समान है.
  • प्रारंभिक चरण के कोरोना वायरस वैक्सीन उम्मीदवार बनने के लिए एक संयंत्र पर काम शुरू कर दिया है.

ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका फाइजर-बायोनेट और मॉडर्ना से कैसे अलग है?

  • ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका टीका स्पाइक प्रोटीन के निर्माण के वायरस के आनुवंशिक निर्देशों पर आधारित है.
  • फाइजर-बायोएनटेक और मॉडर्ना टीकों के उलट, जो सिंगल स्ट्रैंडेड आरएनए के निर्दिशों पर काम करते हैं.
  • ऑक्सफोर्ड वैक्सीन डबल स्ट्रैंडेड डीएनए का उपयोग करता है.
  • कोरोना के लिए ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका वैक्सीन फाइजर और मॉडर्न से एमआरएनए टीकों की तुलना में ज्यादा अनियमित है.
  • एडेनोवायरस का सख्त प्रोटीन कोट अंदर की जेनेटिक सामग्री को बचाने में मदद करता है.
  • परिणामस्वरूप ऑक्सफोर्ड की वैक्सीन को फ्रोजन में रखने की जरूरत नहीं पड़ती.
  • 38–46°F (2–8°C) तापमान पर रखे जाने पर वैक्सीन के कम से कम छह माह तक चलने की उम्मीद की जा सकती है.
  • ऑक्सफोर्ड वैक्सीन को सामान्य तापमान पर भी संग्रहीत कर रखा जा सकता है.
  • इसी तरह, मॉडर्न को उम्मीद है कि mRNA-1273 छह महीने तक -20 डिग्री सेल्सियस (-4 डिग्री F) तक रखी जा सकती है.
  • एस्ट्राजेनेका के टीके के अन्य प्रमुख वैक्सीन उम्मीदवारों की तुलना में कई फायदे हैंः
  • इसका बड़े पैमाने पर उत्पादन किया जा सकता है.इसे स्टोर करना काफी आसान है. यह अन्य टीकों की तुलना में सस्ता है.
  • यह संयुक्त राज्य अमेरिका की तरह सरकार द्वारा भुगतान की गई कीमत को दर्शाता है.
  • वैक्सीन के दसियों या करोड़ों डोज के ऑर्डर दिए गए हैं.
  • फाइजर-बायोएनटेक की कीमत $20.00 है. वहीं मॉडर्ना प्रति डोज के लिए $19.5 ( Rs. 1,440) चार्ज करेगा.

ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका टीका कैसे काम करता है?

  • शोधकर्ताओं ने कोरोना वायरस स्पाइक प्रोटीन के लिए जीन को एडेनोवायरस नामक एक अन्य वायरस में जोड़ा. एडेनोवायरस आम वायरस हैं, जो आमतौर पर सर्दी या फ्लू जैसे लक्षणों का कारण होते हैं.
  • ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका टीम ने एक चिंपांजी एडेनोवायरस के संशोधित संस्करण का उपयोग किया, जिसे ChAdxx1 के रूप में जाना जाता है. यह कोशिकाओं में प्रवेश कर सकता है, लेकिन यह उनके अंदर प्रतिकृति नहीं कर सकता है.
  • वैक्सीन को किसी व्यक्ति की बांह में इंजेक्ट किए जाने के बाद, एडेनोवायरस कोशिकाओं में टकराते हैं और उनकी सतह पर प्रोटीन की एक लेयर बनाते हैं. इसके बाद कोशिका एक बुलबुले में वायरस को डालती है और इसे अंदर खींचती है.
  • एंटीबॉडी कोरोना वायरस स्पाइक्स को लॉक करते हैं. इसे खत्म करने के लिए इसका चयन करते हैं और संक्रमण को रोकते हैं.

क्या एस्ट्राजेनेका वैक्सीन सुरक्षित है?

  • ऑक्सफोर्ड के शोधकर्ता इबोला और जीका सहित कई अन्य बीमारियों पर अपने चिंपांजी एडेनोवायरस वैक्सीन, ChAdOx1 का परीक्षण कर रहे हैं.
  • हालांकि, उन अध्ययनों में से कोई भी अंतिम तक नहीं पहुंचा है. लेकिन शोधकर्ताओं ने इनके कोई गंभीर दुष्प्रभाव नहीं देखे हैं.
  • जब शोधकर्ताओं ने कोविड-19 के लिए ChAdOx1 को अनुकूलित किया, तो उनके शुरुआती नैदानिक परीक्षणों ने भी कोई प्रतिकूल प्रतिक्रिया नहीं दी.
  • चरण 3 परीक्षणों में, हालांकि, दो बार परीक्षण को रोकना पड़ा, जब स्वयंसेवकों ने स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों का सामना किया.
  • एस्ट्राजेनेका और ऑक्सफोर्ड ने कहा कि टीके से संबंधित किसी भी गंभीर सुरक्षा मुद्दों की पुष्टि नहीं की गई.

रायपुर: भारत सरकार के ड्रग रेगुलेटर के विशेषज्ञ पैनल की महत्वपूर्ण बैठक में कोरोना महामारी से बचाव के लिए विकसित टीके के आपात उपयोग को मंजूरी दे दी गई. विषय विशेषज्ञ पैनल ने आज एस्ट्राजेनेका और ऑक्सफोर्ड द्वारा विकसित टीका- 'कोविशील्ड' के आपात उपयोग को सशर्त मंजूरी दे दी.

इस टीके का उत्पादन सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया कर रहा है. पुणे स्थित सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एसआईआई) ने कोविशील्ड के उत्पादन के लिए एस्ट्रेजेनेका के साथ करार किया है. एसआईआई दुनिया की सबसे बड़ी टीका निर्माता कंपनी है.

गौरतलब है कि ब्रिटेन की मेडिसिन्स एंड हेल्थकेयर प्रोडक्ट्स रेगुलेटरी एजेंसी (एमएचआरए) ने ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में वैज्ञानिकों द्वारा विकसित तथा एस्ट्रेजेनेका द्वारा निर्मित टीके को बुधवार को मंजूरी प्रदान की थी.

क्या ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका वैक्सीन म्यूटेंट वायरस में कारगर है?

  • शोधकर्ताओं का मानना है कि वैक्सीन का शॉट ब्रिटेन में तेजी से संक्रमण फैलाने वाले वायरस के नए संस्करण में प्रभावी होगा.
  • ऑक्सफोर्ड के कोविड-19 वैक्सीन के तीसरे चरण के परीक्षण परिणामों में दो अलग-अलग रेजिमेंस में 70 प्रतिशत की प्रभावकारिता दर अलग-अलग दिखी.
  • इनमें से एक रेजिमेंस (एक पूर्ण खुराक के बाद एक आधा खुराक) में 90 प्रतिशत प्रभावकारिता दर देखी गई.
  • चीन के वॉल्वैक्स बायोटेक्नोलॉजी कॉर्पोरेशन ने एस्ट्राजेनेका पीएलसी के उत्पाद के समान है.
  • प्रारंभिक चरण के कोरोना वायरस वैक्सीन उम्मीदवार बनने के लिए एक संयंत्र पर काम शुरू कर दिया है.

ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका फाइजर-बायोनेट और मॉडर्ना से कैसे अलग है?

  • ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका टीका स्पाइक प्रोटीन के निर्माण के वायरस के आनुवंशिक निर्देशों पर आधारित है.
  • फाइजर-बायोएनटेक और मॉडर्ना टीकों के उलट, जो सिंगल स्ट्रैंडेड आरएनए के निर्दिशों पर काम करते हैं.
  • ऑक्सफोर्ड वैक्सीन डबल स्ट्रैंडेड डीएनए का उपयोग करता है.
  • कोरोना के लिए ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका वैक्सीन फाइजर और मॉडर्न से एमआरएनए टीकों की तुलना में ज्यादा अनियमित है.
  • एडेनोवायरस का सख्त प्रोटीन कोट अंदर की जेनेटिक सामग्री को बचाने में मदद करता है.
  • परिणामस्वरूप ऑक्सफोर्ड की वैक्सीन को फ्रोजन में रखने की जरूरत नहीं पड़ती.
  • 38–46°F (2–8°C) तापमान पर रखे जाने पर वैक्सीन के कम से कम छह माह तक चलने की उम्मीद की जा सकती है.
  • ऑक्सफोर्ड वैक्सीन को सामान्य तापमान पर भी संग्रहीत कर रखा जा सकता है.
  • इसी तरह, मॉडर्न को उम्मीद है कि mRNA-1273 छह महीने तक -20 डिग्री सेल्सियस (-4 डिग्री F) तक रखी जा सकती है.
  • एस्ट्राजेनेका के टीके के अन्य प्रमुख वैक्सीन उम्मीदवारों की तुलना में कई फायदे हैंः
  • इसका बड़े पैमाने पर उत्पादन किया जा सकता है.इसे स्टोर करना काफी आसान है. यह अन्य टीकों की तुलना में सस्ता है.
  • यह संयुक्त राज्य अमेरिका की तरह सरकार द्वारा भुगतान की गई कीमत को दर्शाता है.
  • वैक्सीन के दसियों या करोड़ों डोज के ऑर्डर दिए गए हैं.
  • फाइजर-बायोएनटेक की कीमत $20.00 है. वहीं मॉडर्ना प्रति डोज के लिए $19.5 ( Rs. 1,440) चार्ज करेगा.

ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका टीका कैसे काम करता है?

  • शोधकर्ताओं ने कोरोना वायरस स्पाइक प्रोटीन के लिए जीन को एडेनोवायरस नामक एक अन्य वायरस में जोड़ा. एडेनोवायरस आम वायरस हैं, जो आमतौर पर सर्दी या फ्लू जैसे लक्षणों का कारण होते हैं.
  • ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका टीम ने एक चिंपांजी एडेनोवायरस के संशोधित संस्करण का उपयोग किया, जिसे ChAdxx1 के रूप में जाना जाता है. यह कोशिकाओं में प्रवेश कर सकता है, लेकिन यह उनके अंदर प्रतिकृति नहीं कर सकता है.
  • वैक्सीन को किसी व्यक्ति की बांह में इंजेक्ट किए जाने के बाद, एडेनोवायरस कोशिकाओं में टकराते हैं और उनकी सतह पर प्रोटीन की एक लेयर बनाते हैं. इसके बाद कोशिका एक बुलबुले में वायरस को डालती है और इसे अंदर खींचती है.
  • एंटीबॉडी कोरोना वायरस स्पाइक्स को लॉक करते हैं. इसे खत्म करने के लिए इसका चयन करते हैं और संक्रमण को रोकते हैं.

क्या एस्ट्राजेनेका वैक्सीन सुरक्षित है?

  • ऑक्सफोर्ड के शोधकर्ता इबोला और जीका सहित कई अन्य बीमारियों पर अपने चिंपांजी एडेनोवायरस वैक्सीन, ChAdOx1 का परीक्षण कर रहे हैं.
  • हालांकि, उन अध्ययनों में से कोई भी अंतिम तक नहीं पहुंचा है. लेकिन शोधकर्ताओं ने इनके कोई गंभीर दुष्प्रभाव नहीं देखे हैं.
  • जब शोधकर्ताओं ने कोविड-19 के लिए ChAdOx1 को अनुकूलित किया, तो उनके शुरुआती नैदानिक परीक्षणों ने भी कोई प्रतिकूल प्रतिक्रिया नहीं दी.
  • चरण 3 परीक्षणों में, हालांकि, दो बार परीक्षण को रोकना पड़ा, जब स्वयंसेवकों ने स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों का सामना किया.
  • एस्ट्राजेनेका और ऑक्सफोर्ड ने कहा कि टीके से संबंधित किसी भी गंभीर सुरक्षा मुद्दों की पुष्टि नहीं की गई.
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