रायपुर: नवरात्रि का पर्व देवी आराधना का पर्व है. व्रत और पूजा अर्चना को माध्यम से भक्त माता को खुश करके जीवन के कष्टों को हरने की कामना करते हैं. अगर आप नवरात्रि का व्रत नहीं भी कर रहे हैं तो भी प्याज और लहसुन की मनाही होती है या इसके सेवन को कम मात्रा में करने के लिए कहा जाता है. प्याज और लहसुन के सेवन को वर्जित क्यों किया गया है यह जानने के लिए ईटीवी भारत ने ज्योतिषाचार्य विनीत शर्मा से बातचीत की.
तामसिकता को कर देते हैं सक्रिय: ज्योतिष विनीत शर्मा ने बताया कि "प्याज और लहसुन का सेवन इसलिए वर्जित माना गया है क्योंकि इनमें तामसिक गुण होते हैं. यह नकारात्मक वृत्तियों को उतपन्न करते है. नवरात्रि का पर्व शुद्धता, निर्मलता और स्वच्छता के साथ मन को शुद्ध विचारों की ओर लगाने का होता है. जब हम देवी की आराधना, ध्यान या यज्ञ करते है, तब हमारा ध्यान एकाग्र मन में बना रहे है, एक चित्त होकर पूजा अर्चना कर सकें, इसलिए ऐसे खाद्य पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए जो तामसिकता को सक्रिय करे."
मन शांत रखने के लिए इनसे बनाए रखें दूरी: विनीत शर्मा के मुताबिक "अगर आप नवरात्र में उपवास भी कर रहे है तो प्याज लहसुन का सेवन करने से परहेज करना चाहिए. क्योंकि इनमें वासनात्मक तत्व होते हैं. प्याज लहसुन का सेवन करने से तामसिक वृत्तियां जागृत होती हैं. इनके सेवन से वृत्तिया नियंत्रण में नही रहतीं. वृत्तिया नियंत्रण में रहें, इसलिए प्याज लहसुन का सेवन नहीं करना चाहिए. इसके सेवन न करने से मन शांत चित्त और स्थिर रहता है और हमारे शरीरी की अनुकूलता बनी रहती है."
साधकों को लिए है अधिक बाधक : ज्योतिष विनीत शर्मा ने बताया कि "प्याज और लहसुन का सेवन करने से यह शरीर की गर्मी को बढ़ाती है. तामसिक गुण होने के कारण यह वास्तनात्मक वृत्ति को बढ़ाते हैं. इसलिए आध्यात्मिक साधक या मेडिटेशन करने वाले लोगों को प्याज लहसुन ग्रहण करने की मनाही रहती है. जब कोई साधक ध्यान करता है तो उसका मन स्थित रहना जरूरी है. तामसिक भोजन ग्रहण करने से मन स्थिर नहीं रहता. इसलिए मेडिटेशन करने वालों के लिए प्याज और लहसुन वर्जित माना गया है और यह साधकों के लिए साधना में बाधा भी डालता है."