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NIA पर बघेल सरकार और बीजेपी में तकरार बढ़ी - NIA पर बीजेपी-कांग्रेस में तकरार

छत्तीसगढ़ में NIA जांच के मामले में बीजेपी के सीनियर विधायक बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि राज्य सरकार डरी हुई है. उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार का भारत के संघीय ढांचे पर विश्वास नहीं है.

accusations between government and opposition in NIA case at raipur
NIA जांच पर सिसासी तकरार
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Published : Jan 17, 2020, 6:29 PM IST

रायपुर: प्रदेश में NIA (राष्ट्रीय जांच एजेंसी) को लेकर सत्तारूढ़ कांग्रेस और राज्य की विपक्षी दल बीजेपी के बीच तकरार बढ़ती जा रही है. रमन सरकार में मंत्री रहे बीजेपी के सीनियर विधायक बृजमोहन अग्रवाल ने कहा है कि 'राज्य सरकार डरी हुई है'. वहीं राज्य सरकार के कैबिनेट मंत्री अमरजीत भगत ने NIA के मामले को राजनीतिक बातों से परे और राज्य के अधिकारों को जरूरी बताया है.

प्रदेश की कांग्रेस सरकार ने एनआईए अधिनियम 2008, (NIA Act) को असंवैधानिक करार देने की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. सरकार ने शीर्ष अदालत में दलील दी है कि NIA कानून राज्य की शक्ति को कम करता है साथ ही अधिकारों का हनन करता है और केंद्र को मनमाना अधिकार देता है. सरकार की ओर से यह भी कहा गया है कि यह कानून NIA Act 2008 राज्य की संप्रभुता वाले विचार के खिलाफ है, जैसा कि संविधान में इसका जिक्र है. बीजेपी के सीनियर विधायक बृजमोहन अग्रवाल ने कहा है कि राज्य सरकार डरी हुई है, साथ ही कहा कि 'प्रदेश सरकार को भारत के संघीय ढांचे पर विश्वास नहीं है, प्रदेश सरकार छत्तीसगढ़ को भारत मान बैठी है'.

पहली बार NIA को किसी राज्य सरकार ने दी है चुनौती
यह पहली बार हुआ है कि किसी राज्य सरकार की ओर से NIA को चुनौती देने वाली याचिका सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई है. इसके पहले प्रदेश के उच्च न्यायालय में इस पर याचिका लगाई गई थी. जिसे हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया. जिसके बाद अब सुप्रीम कोर्ट में हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी है. इसमें कहा गया है कि 'NIA पुलिस के अधिकारों में दखल नहीं दे सकती है. इसके साथ ही यह पिटीशन भी दाखिल किया गया है कि छत्तीसगढ़ के किसी भी मामले में जांच करने का अधिकार NIA को नहीं मिलना चाहिए'.

पढ़ें:निर्भया केस : राष्ट्रपति ने खारिज की दोषी मुकेश की दया याचिका, 'फंदे के और करीब' पहुंचे चारों दोषी

साल 2008 में बना था NIA कानून
NIA अधिनियम 2008 का गठन राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर किया गया है. NIA के गठन के वक्त केंद्र में कांग्रेस की सरकार थी. पी चिदंबरम के गृहमंत्री रहते हुए इसे बनाया गया था. ऐसे में प्रदेश सरकार उस अधिनियम को गलत ठहरा रही है जिसे खुद कांग्रेस की सरकार रहते बनाया और लागू किया गया है.

रायपुर: प्रदेश में NIA (राष्ट्रीय जांच एजेंसी) को लेकर सत्तारूढ़ कांग्रेस और राज्य की विपक्षी दल बीजेपी के बीच तकरार बढ़ती जा रही है. रमन सरकार में मंत्री रहे बीजेपी के सीनियर विधायक बृजमोहन अग्रवाल ने कहा है कि 'राज्य सरकार डरी हुई है'. वहीं राज्य सरकार के कैबिनेट मंत्री अमरजीत भगत ने NIA के मामले को राजनीतिक बातों से परे और राज्य के अधिकारों को जरूरी बताया है.

प्रदेश की कांग्रेस सरकार ने एनआईए अधिनियम 2008, (NIA Act) को असंवैधानिक करार देने की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. सरकार ने शीर्ष अदालत में दलील दी है कि NIA कानून राज्य की शक्ति को कम करता है साथ ही अधिकारों का हनन करता है और केंद्र को मनमाना अधिकार देता है. सरकार की ओर से यह भी कहा गया है कि यह कानून NIA Act 2008 राज्य की संप्रभुता वाले विचार के खिलाफ है, जैसा कि संविधान में इसका जिक्र है. बीजेपी के सीनियर विधायक बृजमोहन अग्रवाल ने कहा है कि राज्य सरकार डरी हुई है, साथ ही कहा कि 'प्रदेश सरकार को भारत के संघीय ढांचे पर विश्वास नहीं है, प्रदेश सरकार छत्तीसगढ़ को भारत मान बैठी है'.

पहली बार NIA को किसी राज्य सरकार ने दी है चुनौती
यह पहली बार हुआ है कि किसी राज्य सरकार की ओर से NIA को चुनौती देने वाली याचिका सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई है. इसके पहले प्रदेश के उच्च न्यायालय में इस पर याचिका लगाई गई थी. जिसे हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया. जिसके बाद अब सुप्रीम कोर्ट में हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी है. इसमें कहा गया है कि 'NIA पुलिस के अधिकारों में दखल नहीं दे सकती है. इसके साथ ही यह पिटीशन भी दाखिल किया गया है कि छत्तीसगढ़ के किसी भी मामले में जांच करने का अधिकार NIA को नहीं मिलना चाहिए'.

पढ़ें:निर्भया केस : राष्ट्रपति ने खारिज की दोषी मुकेश की दया याचिका, 'फंदे के और करीब' पहुंचे चारों दोषी

साल 2008 में बना था NIA कानून
NIA अधिनियम 2008 का गठन राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर किया गया है. NIA के गठन के वक्त केंद्र में कांग्रेस की सरकार थी. पी चिदंबरम के गृहमंत्री रहते हुए इसे बनाया गया था. ऐसे में प्रदेश सरकार उस अधिनियम को गलत ठहरा रही है जिसे खुद कांग्रेस की सरकार रहते बनाया और लागू किया गया है.

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रायपुर। छत्तीसगढ़ में एनआईए को लेकर सत्तारूढ़ कांग्रेस और राज्य के विपक्षी दल भाजपा के बीच तकरार बढ़ती जा रही है। रमन सरकार में मंत्री रहे भाजपा के सीनियर विधायक बृजमोहन अग्रवाल ने कहा है कि राज्य सरकार डरी हुई है। वही राज्य सरकार के कैबिनेट मंत्री अमरजीत भगत ने किसी प्रकार की राजनीतिक बातों से परे राज्य के अधिकारों को जरूरी बताया है।


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कांग्रेस की अगुवाई वाली छत्तीसगढ़ सरकार ने साल 2008 के एनआईए अधिनियम NIA Act को असंवैधानिक करार देने की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। सरकार ने शीर्ष अदालत में दलील दी है कि एनआईए कानून राज्य से जांच का अधिकार छीन लेता है और केंद्र को मनमाना अधिकार उपलब्‍ध करता है। सरकार की ओर से यह भी कहा गया है कि यह कानून NIA Act 2008 राज्य की संप्रभुता वाले विचार के खिलाफ है, जैसा कि संविधान में वर्णित है। भाजपा के सीनियर विधायक बृजमोहन अग्रवाल ने कहा है कि राज्य सरकार डरी हुई है।

बाईट बृजमोहन अग्रवाल, भाजपा विधायक

छत्तीसगढ़ सरकार ने राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) के अधिकार क्षेत्र व एक्ट को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने के मामले में भाजपा नेताओ के बयानों पर छत्तीसगढ़ सरकार के मंत्री अमरजीत भगत ने नपा तुला जवाब दिया है। उन्होंने किसी प्रकार की राजनीतिक बातों से परे राज्य के अधिकारों को जरूरी बताया है।

बाइट-अमरजीत भगत,कैबिनेट मंत्री ,छःग

Conclusion:यह पहली बार हुआ है कि किसी राज्य सरकार की ओर से एनआईए को चुनौती देने वाली याचिका देश के शीर्ष न्यायालय में दाखिल की गई है। इसके पहले छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट बिलासपुर में इस पर याचिका लगाई गई थी। जिसे हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया । बाद अब सुप्रीम कोर्ट में हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी गई है। इसमें कहा गया है कि एनआईए पुलिस के अधिकारों में दखल नहीं दे सकती है। इसके साथ ही यह पिटीशन भी दाखिल किया गया है कि छत्तीसगढ़ के किसी भी मामले में जांच करने का अधिकार एनआईए को नहीं मिलना चाहिए।

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