ETV Bharat / state

रायपुर: बदइंतजामी से परेशान, सुविधाओं के लिए जूझ रहा है शहर का बस स्टैंड

परिवहन के लिए छत्तीसगढ़ में ज्यादातर लोग बस पर ही निर्भर हैं, लेकिन राज्य में बसों और बस स्टैंड की हालत बेहद खराब है. ETV भारत ने हकीकत का जायजा लिया.

बसों की व्यवस्था लचर
author img

By

Published : Nov 12, 2019, 7:22 AM IST

Updated : Nov 12, 2019, 9:47 AM IST

रायपुर: देश की सबसे बड़ी यातायात लाइफलाइन कही जाने वाली बसों में लाखों लोग रोजाना सफर करते हैं. रायपुर को स्मार्ट सिटी बनाने की तैयारी जोर-शोर से चल रही है. ETV भारत ने राजधानी के बड़े बस स्टैंड पहुंचकर हालात का जायजा लिया.

बसों की व्यवस्था लचर

जब हम रायपुर के पंडरी बस स्टैंड पहुंचे तो हमने देखा कि वहां बसों की लंबी लाइन थी. जब हमने एक दिव्यांग व्यक्ति से बात की तो उसने बताया कि दिव्यांग और बुजुर्गों के लिए बस में किसी तरह की कोई व्यवस्था नहीं है. रोजाना आने-जाने वाले दिव्यांग और बुजुर्गों को इस समस्या से दो चार होना पड़ना है.

नियमों का पालन नहीं
बसों में दिव्यांग व्यक्ति या बुजुर्ग व्यक्ति भी सफर करते हैं लेकिन इनके लिए सुविधाएं नहीं होती. आप ये भी कह सकते हैं कि नियम तो हैं लेकिन उनका पालन नहीं किया जाता. जैसे कि दिव्यांग जनों या बुजुर्गों के लिए बस में आरक्षित सीटें होती हैं लेकिन उस पर दूसरे लोग बैठ जाते हैं.

नियमों को ताक पर रखकर चला रहे बस
राजधानी के बस स्टैंड में दिव्यांग जनों के लिए अलग शौचालय की व्यवस्था तक नहीं है. ज्यादा कमाई करने के लिए बस चालक नियमों को ताक पर रखकर ठूंस-ठूंसकर यात्रियों को बस में भरते हैं. जब राजधानी की हालत ऐसी है तो राज्य के दूरस्थ शहरों की स्थिति तो और बदतर होगी. सरकार को इस तरफ ध्यान जरूर देने की जरूरत है.

अधिकारी मामले से झाड़ रहे पल्ला
अधिकारियों से बसों की व्यवस्था के बारे में पूछा गया तब उन्होंने बताया कि सरकार ने रैंप लगाने की योजना तो बनाई हैं लेकिन अभी तक किसी भी बस में रैंप नहीं लगाए गए हैं. अधिकारी ने पल्ला झाड़ते हुए कहा कि जब तक ऊपर से हमें रैंप के ब्लूप्रिंट और फंडिंग के बारे में नहीं बताया जाएगा तब तक किसी तरह का रैंप बनाना पॉसिबल नहीं है.

रायपुर: देश की सबसे बड़ी यातायात लाइफलाइन कही जाने वाली बसों में लाखों लोग रोजाना सफर करते हैं. रायपुर को स्मार्ट सिटी बनाने की तैयारी जोर-शोर से चल रही है. ETV भारत ने राजधानी के बड़े बस स्टैंड पहुंचकर हालात का जायजा लिया.

बसों की व्यवस्था लचर

जब हम रायपुर के पंडरी बस स्टैंड पहुंचे तो हमने देखा कि वहां बसों की लंबी लाइन थी. जब हमने एक दिव्यांग व्यक्ति से बात की तो उसने बताया कि दिव्यांग और बुजुर्गों के लिए बस में किसी तरह की कोई व्यवस्था नहीं है. रोजाना आने-जाने वाले दिव्यांग और बुजुर्गों को इस समस्या से दो चार होना पड़ना है.

नियमों का पालन नहीं
बसों में दिव्यांग व्यक्ति या बुजुर्ग व्यक्ति भी सफर करते हैं लेकिन इनके लिए सुविधाएं नहीं होती. आप ये भी कह सकते हैं कि नियम तो हैं लेकिन उनका पालन नहीं किया जाता. जैसे कि दिव्यांग जनों या बुजुर्गों के लिए बस में आरक्षित सीटें होती हैं लेकिन उस पर दूसरे लोग बैठ जाते हैं.

नियमों को ताक पर रखकर चला रहे बस
राजधानी के बस स्टैंड में दिव्यांग जनों के लिए अलग शौचालय की व्यवस्था तक नहीं है. ज्यादा कमाई करने के लिए बस चालक नियमों को ताक पर रखकर ठूंस-ठूंसकर यात्रियों को बस में भरते हैं. जब राजधानी की हालत ऐसी है तो राज्य के दूरस्थ शहरों की स्थिति तो और बदतर होगी. सरकार को इस तरफ ध्यान जरूर देने की जरूरत है.

अधिकारी मामले से झाड़ रहे पल्ला
अधिकारियों से बसों की व्यवस्था के बारे में पूछा गया तब उन्होंने बताया कि सरकार ने रैंप लगाने की योजना तो बनाई हैं लेकिन अभी तक किसी भी बस में रैंप नहीं लगाए गए हैं. अधिकारी ने पल्ला झाड़ते हुए कहा कि जब तक ऊपर से हमें रैंप के ब्लूप्रिंट और फंडिंग के बारे में नहीं बताया जाएगा तब तक किसी तरह का रैंप बनाना पॉसिबल नहीं है.

Intro:
देश की सबसे बड़ी यातायात लाइफलाइन कहे जाने वाले में से एक बस सर्विस है। देश में लाखों करोड़ों लोग डेली बस से सफर करते हैं चाहे महिला हो या पुरुष बच्चे हो या बूढ़े हर कोई बस से सफर करता हैं। बस चाहे छोटी दूरी की हो या लंबी दूरी की हो बस हमेशा तैयार रहती है। छत्तीसगढ़ जैसे राज्य जिसको अस्तित्व में आए हुए अभी 19 साल ही हुए हैं इसकी राजधानी रायपुर सिटी है इस रायपुर सिटी को सरकार द्वारा स्मार्ट सिटी के तौर पर डेवलप किया जा रहा है जिसकी जोरों शोरों से तैयारी चल रही है। छत्तीसगढ़ जहां रेल सर्विस भी कुछ ही जगहों तक सीमित है वहां ज्यादा कर लोग बस का सहारा लेते हैं एक जगह से दूसरी जगह जाने के लिए पर जो दिव्यांग व्यक्ति हैं या वृद्ध व्यक्ति हैं नियम यह कहता है कि उनके लिए बस में सुविधाएं होनी चाहिए जैसे कि उनके लिए बस में आरक्षित सीटें होनी चाहिए , बस में चढ़ने व उतरने के लिए रैंप होनी चाहिए ताकि उन्हें चड़ने उतरने में दिक्कतों का सामना ना करना पड़े , वही बस स्टैंड में बने शौचालय में दिव्यांगों के लिए अलग से शौचालय होने चाहिए ताकि उन्हें दिक्कत ना हो पर इनमें से किसी चीजों का इंतजाम राजधानी के बस स्टैंड में नहीं मिलता है यहां के बसों में यात्रियों को थुस थूस कर भरा जाता है ताकि बस चालक की कमाई ज्यादा हो वहीं चढ़ने उतरने के लिए रैंप नाम की कोई व्यवस्था यहां की ही नहीं गई है वही शौचालय की बात की जाए तो बस स्टैंड के शौचालय में ना तो पानी है ना दिव्यांगों के लिए अलग व्यवस्था। जब राजधानी की हालत ऐसी है तो राज्य के दूरस्थ शहरों की स्थिति तो और बत्तर होगी सरकार को इस तरफ ध्यान जरूर देना चाहिए।


Body:जब हम रायपुर के पंडरी बस स्टैंड पहुंचे तो हमने देखा कि वहां बसों की कतारें खड़ी थी कुछ बसें बस स्टैंड में आ रही थी तो कुछ रवाना होने के लिए तैयार थी पर जब हमने एक दिव्यांग व्यक्ति से बात करने की कोशिश की तो दिव्यांग व्यक्ति ने बताया की दिव्यांग वह बूढ़े लोगों के लिए बस में किसी तरह की कोई यवस्था नहीं बनाई गई है डेली आने जाने वाले दिव्यांग वह बूढ़े व्यक्तियों को इस समस्या का सामना रोजाना करना पड़ता है और दिव्यांग व्यक्ति द्वारा बताया गया कि एक तरीके से यहां उनकी रोजाना जिंदगी का एक हिस्सा बन चुका है जिससे वह शायद अब स्वीकार कर चुके हैं।

वही जब बस अड्डे अधिकारियों से बात की तब उन्होंने बताया की सरकार द्वारा वह परिवहन मंत्री द्वारा बस में विकलांगों चढ़ने उतरने के लिए रैंप की बात की गई है पर अभी तक रैंप के किसी तरह का ब्लूप्रिंट नहीं दिया गया है वही उनका कहना है कि बस में रैंप किस तरह से लगेगा क्या रैंप पोटेबल होगा या रैंप किसी ठोस चीज से बनाया जाएगा क्या फोल्डिंग रैंप होगा किसी तरह की कोई बात नहीं कही गई है। अधिकारियों ने यह भी बताया कि बस स्टैंड में हजारों बरसे रहती हैं जिसमें से कुछ छोटी दूरी के लिए वह कुछ लंबी दूरी की रहती हैं और कुछ सिंपल बसों के साथ डीलक्स और सुपर डीलक्स बसे भी रहती हैं जिसकी ऊंचाई वह दरवाजे की चौड़ाई अलग अलग रहती है जिसके लिए अलग-अलग रैंप लंबाई वह चौड़ाई के लिए बनाना पड़ेगा पर अब तक किसी तरह का रैंप राजधानी में नहीं बन पाया है।

Conclusion:अधिकारियों ने मीडिया के सामने आकर इस विषय पर खुलकर बात करने से बिल्कुल मना कर दिया वह अपना पल्ला झाड़ते हुए कहा कि जब तक ऊपर से हमें रैंप का ब्लूप्रिंट और फंडिंग के बारे में नहीं बताया जाएगा तब तक किसी तरह का रैंप बनाना पॉसिबल नहीं है।

बाइट :- मोहन लाल (दिव्यांग व्यक्ति यात्री)

अभिषेक कुमार सिंह ईटीवी भारत रायपुर

(बाकी शॉर्ट्स लाइव यू से भेजे जा रहे है)
Last Updated : Nov 12, 2019, 9:47 AM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.