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छत्तीसगढ़ी राजभाषा दिवस : सीएम भूपेश ने किया साहित्यकारों का सम्मान, रचनाकारों के किताब का विमोचन

छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल के निवास स्थान पर छत्तीसगढ़ी राजभाषा दिवस मनाया गया.इस दौरान 13 साहित्यकारों का सम्मान किया गया. साथ ही साथ 10 साहित्यकारों के किताबों का विमोचन भी किया. CM Bhupesh honored writers

सीएम भूपेश ने किया साहित्यकारों का सम्मान
सीएम भूपेश ने किया साहित्यकारों का सम्मान
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Published : Nov 28, 2022, 7:03 PM IST

रायपुर :छत्तीसगढ़ी राजभाषा दिवस के मौके पर सोमवार मुख्यमंत्री निवास कार्यालय में कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इस दौरान छत्तीसगढ़ के 13 साहित्यकारों को छत्तीसगढ़ी भाषा के प्रति उनकी सेवा को देखते हुए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सम्मानित किया. कार्यक्रम के दौरान छत्तीसगढ़ी भाषा के 10 साहित्यकारों की रचनाओं का विमोचन किया गया.(CM Bhupesh honored writers )

सीएम भूपेश ने की छत्तीसगढ़ी भाषा की तारीफ : कार्यक्रम में सीएम भूपेश बघेल (Chief Minister Bhupesh Baghel) ने कहा कि ''हमारी मातृ भाषा ही हमारा अभिमान है. जिसे संवारने और आगे बढ़ाने का काम छत्तीसगढ़ की वर्तमान सरकार द्वारा लगातार किया जा रहा है. हमारी सरकार ने अरपा पैरी के धार को राजगीत बनाया और सरकारी स्कूलों में छत्तीसगढ़ी भाषा में पढ़ाई लिखाई शुरू करवाई. हर छत्तीसगढ़िया की जिम्मेदारी है कि वो छत्तीसगढ़ी को आगे बढ़ाने का काम करे.साथ ही स्थानीय तीज त्यौहारों और खेलों को बढ़ावा देकर देश दुनिया में छत्तीसगढ़ी को पहचान दिलाने का काम कर रही है.



किनका हुआ सम्मान : छत्तीसगढ़ी राजभाषा दिवस के अवसर पर वरिष्ठ साहित्यकार जागेश्वर प्रसाद ( रायपुर) रामेश्वर शर्मा(रायपुर) ,जे. आर. सोनी( रायपुर) पी सी लाल यादव (सक्ती), दुर्गा प्रसाद पारकर ( रायपुर) , रामनाथ साहू (रायपुर) , सोरिन चन्द्रसेन (महासमुंद), परमानंद वर्मा (खैरागढ़), बुधराम यादव ( बिलासपुर), रंजीत सारथी ( सरगुजा) , डॉ. शैल चन्द्रा( धमतरी) डुमन लाल धुव (धमतरी), रुद्र नारायण पाणिग्राही (जगदलपुर) को छत्तीसगढ़ी भाषा के प्रति उनके विशेष योगदान के लिए सम्मानित किया.

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10 साहित्यकारों की किताबों का हुआ विमोचन : राजभाषा दिवस के अवसर पर छत्तीसगढ़ी राजभाषा आयोग द्वारा प्रकाशित पुस्तकों का विमोचन भी किया. मुख्यमंत्री ने महेत्तरू मधुकर की गुरतुर भाखा, डॉ. सुरेश कुमार शर्मा की वाल्मिकी रामायण, सुखदेव सिंह अहिलेश्वर की बंगस्य छन्द अंजोर, तेजपाल सोनी की श्रीमद भगवत गीता, सुमन लाल ध्रुव की गांव ल सिरजाबो, राजेन्द्र प्रसाद सिन्हा की अमरईया हे मनभावन, कमलेश प्रसाद शरमा बाबू की कुटिस बंदरा जझरग-जझरग, डॉ. शिल्पी शुक्ला की छत्तीसगढ़ महिला लेखन और उर्मिला शुक्ल की रचनाएँ तथा पी.सी. लाल यादव की कृतियों का विमोचन किया.

रायपुर :छत्तीसगढ़ी राजभाषा दिवस के मौके पर सोमवार मुख्यमंत्री निवास कार्यालय में कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इस दौरान छत्तीसगढ़ के 13 साहित्यकारों को छत्तीसगढ़ी भाषा के प्रति उनकी सेवा को देखते हुए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सम्मानित किया. कार्यक्रम के दौरान छत्तीसगढ़ी भाषा के 10 साहित्यकारों की रचनाओं का विमोचन किया गया.(CM Bhupesh honored writers )

सीएम भूपेश ने की छत्तीसगढ़ी भाषा की तारीफ : कार्यक्रम में सीएम भूपेश बघेल (Chief Minister Bhupesh Baghel) ने कहा कि ''हमारी मातृ भाषा ही हमारा अभिमान है. जिसे संवारने और आगे बढ़ाने का काम छत्तीसगढ़ की वर्तमान सरकार द्वारा लगातार किया जा रहा है. हमारी सरकार ने अरपा पैरी के धार को राजगीत बनाया और सरकारी स्कूलों में छत्तीसगढ़ी भाषा में पढ़ाई लिखाई शुरू करवाई. हर छत्तीसगढ़िया की जिम्मेदारी है कि वो छत्तीसगढ़ी को आगे बढ़ाने का काम करे.साथ ही स्थानीय तीज त्यौहारों और खेलों को बढ़ावा देकर देश दुनिया में छत्तीसगढ़ी को पहचान दिलाने का काम कर रही है.



किनका हुआ सम्मान : छत्तीसगढ़ी राजभाषा दिवस के अवसर पर वरिष्ठ साहित्यकार जागेश्वर प्रसाद ( रायपुर) रामेश्वर शर्मा(रायपुर) ,जे. आर. सोनी( रायपुर) पी सी लाल यादव (सक्ती), दुर्गा प्रसाद पारकर ( रायपुर) , रामनाथ साहू (रायपुर) , सोरिन चन्द्रसेन (महासमुंद), परमानंद वर्मा (खैरागढ़), बुधराम यादव ( बिलासपुर), रंजीत सारथी ( सरगुजा) , डॉ. शैल चन्द्रा( धमतरी) डुमन लाल धुव (धमतरी), रुद्र नारायण पाणिग्राही (जगदलपुर) को छत्तीसगढ़ी भाषा के प्रति उनके विशेष योगदान के लिए सम्मानित किया.

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10 साहित्यकारों की किताबों का हुआ विमोचन : राजभाषा दिवस के अवसर पर छत्तीसगढ़ी राजभाषा आयोग द्वारा प्रकाशित पुस्तकों का विमोचन भी किया. मुख्यमंत्री ने महेत्तरू मधुकर की गुरतुर भाखा, डॉ. सुरेश कुमार शर्मा की वाल्मिकी रामायण, सुखदेव सिंह अहिलेश्वर की बंगस्य छन्द अंजोर, तेजपाल सोनी की श्रीमद भगवत गीता, सुमन लाल ध्रुव की गांव ल सिरजाबो, राजेन्द्र प्रसाद सिन्हा की अमरईया हे मनभावन, कमलेश प्रसाद शरमा बाबू की कुटिस बंदरा जझरग-जझरग, डॉ. शिल्पी शुक्ला की छत्तीसगढ़ महिला लेखन और उर्मिला शुक्ल की रचनाएँ तथा पी.सी. लाल यादव की कृतियों का विमोचन किया.

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