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विश्व पुस्तक दिवस: सीएम ने ट्वीट कर कहा, किताबें सबसे अच्छी दोस्त

विश्व पुस्तक दिवस के अवसर पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने किताब पढ़ते हुए ट्विटर पर अपनी फोटो शेयर की है.

Chief Minister Bhupesh Baghel
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल
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Published : Apr 23, 2020, 7:43 PM IST

रायपुर: विश्व पुस्तक दिवस को विश्व पुस्तक और कॉपीराइट दिवस के रूप में भी जाना जाता है. विश्व के महान लेखक विलियम शेक्सपियर का निधन 23 अप्रैल 1616 को हुआ था. साहित्य की जगत में शेक्सपियर का जो कद है, उसको देखते हुए यूनेस्को ने 1995 से और भारत सरकार ने 2001 से इस दिन को विश्व पुस्तक दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की.

  • जब भी हमें निर्णय लेने या राह चुनने में असमंजस हो, हमें एक सच्चे दोस्त की आवश्यकता होती है।

    किताबें हमारी वही सच्ची दोस्त हैं। इनमें जीवन जीने की कला से लेकर विचारों की आधारशिलाओं तक सब कुछ दर्ज है।

    मुझे जब समय मिलता है मैं पढ़ता हूँ। आप सब भी समय निकालते रहिए। #WorldBookDay pic.twitter.com/DZLVCWJfNS

    — Bhupesh Baghel (@bhupeshbaghel) April 23, 2020 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

विश्व पुस्तक दिवस के अवसर पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने ट्विटर पर एक तस्वीर शेयर की है. उन्होंने लिखा, 'जब भी हमें निर्णय लेने या राह चुनने में असमंजस हो, हमें एक सच्चे दोस्त की आवश्यकता होती है. किताबें हमारी वही सच्ची दोस्त है. इनमें जीवन जीने की कला से लेकर विचारों की आधारशिलाओं तक सब कुछ दर्ज है. मुझे जब समय मिलता है मैं पढ़ता हूँ. आप सब भी समय निकालते रहिए'.

छत्तीसगढ़ से कई मशहूर सहित्यकार

वहीं किताबी दुनिया से छत्तीसगढ़ का खासा नाता है. छत्तीसगढ़ से भी बड़े-बड़े लेखक निकले हैं, जिनकी किताबें विश्वस्तर पर पढ़ी जाती है. इनमें से चर्चित सहित्यकार गजानंद माधव मुक्तिबोध की किताब 'चांद का मुंह टेढ़ा है', विनोद कुमार शुक्ल की किताब 'नौकर की कमीज', 'लगभग जय हिंद', 'दिवाल पर खिड़की रहती है' सहित उनकी कई किताबें बहुचर्चित हैं. वहीं छत्तीसगढ़ के प्रमुख सहित्यकार श्रीकांत वर्मा, पदुमलाल पुन्नालाल बक्सी, पं श्याम लाल चतुर्वेदी सहित कई साहित्यकार की किताबें बहुचर्चित हैं, जो आज भी देशस्तर पर पढ़ी जाती है.

पढ़ें- कोविड-19 पर कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक, सोनिया बोलीं- वॉरियर्स को सलाम करना चाहिए

रायपुर: विश्व पुस्तक दिवस को विश्व पुस्तक और कॉपीराइट दिवस के रूप में भी जाना जाता है. विश्व के महान लेखक विलियम शेक्सपियर का निधन 23 अप्रैल 1616 को हुआ था. साहित्य की जगत में शेक्सपियर का जो कद है, उसको देखते हुए यूनेस्को ने 1995 से और भारत सरकार ने 2001 से इस दिन को विश्व पुस्तक दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की.

  • जब भी हमें निर्णय लेने या राह चुनने में असमंजस हो, हमें एक सच्चे दोस्त की आवश्यकता होती है।

    किताबें हमारी वही सच्ची दोस्त हैं। इनमें जीवन जीने की कला से लेकर विचारों की आधारशिलाओं तक सब कुछ दर्ज है।

    मुझे जब समय मिलता है मैं पढ़ता हूँ। आप सब भी समय निकालते रहिए। #WorldBookDay pic.twitter.com/DZLVCWJfNS

    — Bhupesh Baghel (@bhupeshbaghel) April 23, 2020 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

विश्व पुस्तक दिवस के अवसर पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने ट्विटर पर एक तस्वीर शेयर की है. उन्होंने लिखा, 'जब भी हमें निर्णय लेने या राह चुनने में असमंजस हो, हमें एक सच्चे दोस्त की आवश्यकता होती है. किताबें हमारी वही सच्ची दोस्त है. इनमें जीवन जीने की कला से लेकर विचारों की आधारशिलाओं तक सब कुछ दर्ज है. मुझे जब समय मिलता है मैं पढ़ता हूँ. आप सब भी समय निकालते रहिए'.

छत्तीसगढ़ से कई मशहूर सहित्यकार

वहीं किताबी दुनिया से छत्तीसगढ़ का खासा नाता है. छत्तीसगढ़ से भी बड़े-बड़े लेखक निकले हैं, जिनकी किताबें विश्वस्तर पर पढ़ी जाती है. इनमें से चर्चित सहित्यकार गजानंद माधव मुक्तिबोध की किताब 'चांद का मुंह टेढ़ा है', विनोद कुमार शुक्ल की किताब 'नौकर की कमीज', 'लगभग जय हिंद', 'दिवाल पर खिड़की रहती है' सहित उनकी कई किताबें बहुचर्चित हैं. वहीं छत्तीसगढ़ के प्रमुख सहित्यकार श्रीकांत वर्मा, पदुमलाल पुन्नालाल बक्सी, पं श्याम लाल चतुर्वेदी सहित कई साहित्यकार की किताबें बहुचर्चित हैं, जो आज भी देशस्तर पर पढ़ी जाती है.

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