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4 महीने बाद अब गूंजेगी शहनाई, जानिए देवउठनी एकादशी पर अबूझ मुहूर्त

आज कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी मनाई जाएगी. इसे छोटी दिवाली के रूप में भी मनाया जाता है.

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Published : Nov 8, 2019, 7:16 AM IST

Updated : Nov 8, 2019, 12:47 PM IST

रायपुर : दिपावली के 11 दिन बाद यानी आज पूरे भारत में देवउठनी एकादशी का पर्व मनाया जा रहा है. इसे छत्तीसगढ़ में जेठवनी नाम से भी जाना जाता है. परंपरा अनुसार आज के दिन भगवान विष्णु चार महीने के शयनकाल के बाद जागते हैं. इसी के साथ आज चतुर्मास का अंत हो जाता है. इसी अनुरूप में भगवान शालिग्राम और माता तुलसी का विवाह होता है. इसके साथ ही शादी विवाह जैसे मांगलिक कार्य शुरू हो जाते हैं.

4 महीने बाद अब गूंजेगी शहनाई, जानिए देवउठनी एकादशी पर अबूझ मुहूर्त
परम्परा के अनुसार आज का दिन इसलिए भी खास है क्योंकि आज ही के दिन सभी शुभ कामों की शुरुआत की जाती है. साथ ही गन्ने का भी आज विशेष महत्व होता है. एकादशी की पूजा के लिए गन्ना सबसे अनिवार्य फल है. देवउठनी एकादशी के लिए गन्ने से ही मंडप तैयार किया जाता है फिर विधि-विधान से पूजा-पाठ की जाती है.

'किसान 8 महीने पहले से करते हैं तैयारी'
आज के दिन तुलसी चौरा के आस-पास 4 गन्नों से मंडप सजाया जाता है. देवउठनी एकादशी से ही सारे मांगलिक कार्य जैसे विवाह, गृह प्रवेश आदि प्रारंभ हो जाते है. देवउठनी की तैयारी किसान 8 महीने पहले से करते हैं.

'भगवान विष्‍णु के चरणों की आकृति'
ऐसी मान्यता है कि एकादशी के दिन सुबह-सवेरे उठकर स्‍नान के बाद घर के आंगन में भगवान विष्‍णु के चरणों की आकृति बनाई जाती हैं. इसके बाद तुलसी चौरा के पास फल, मिठाई, सिंघाड़े और गन्‍ना रखा जाता है और विशेष पूजा-अर्चना की जाती है. रात के समय घर के बाहर और पूजा स्‍थल पर दीपक जलाए जाते हैं. इस दिन भगवान विष्‍णु समेत सभी देवताओं की पूजा की जाती है.

शुभ मुहुर्त
पंडित अरुणेश शर्मा ज्योतिषाचार्य के अनुसार देवउठनी एकादशी का विशेष महत्व है. इस तिथि पर निर्जला व्रत रखना विशेष फलदाई है. तुलसी चौरा पर गन्ने का मंडप सजा कर दंपति भगवान शालिग्राम और माता तुलसी की सात फेरे लेंगे. आतिशबाजी के बीच विवाह संपन्न कर उत्सव मनाए जाएंगे.

दोपहर 12:24 बजे के बाद कर सकते हैं पूजा

देवउठनी एकादशी के मुहूर्त के बारे में ज्योतिषाचार्य का कहना है कि दोपहर 12:24 में भद्रा निकलने के बाद शाम को भी पूजा की जा सकती है.

इन तारीखों पर होगी शादी
शादियों का मुहूर्त 19, 20, 22, 23, 28 नवंबर और दिसंबर में केवल 11 और 12 तारीख को विवाह मुहूर्त है. इसके बाद खरमास पक्ष 16 दिसंबर से शुरू हो रहा है. जिसमें शुभ काम नहीं होंगे.
वहीं सूर्य जब अपने गुरुगृह राशि में प्रवेश करेंगे, तब जनवरी में 15, 18, 20, 29, 30 और 31 जनवरी को विवाह मुहूर्त है.

फरवरी में 3, 4, 9, 10, 12, 15, 16, 25, 26, 27 को विवाह मुहूर्त है. मार्च में 9, 10, 11 फिर 14 मार्च को से सूर्य का मीन राशि में प्रवेश होकर 15 अप्रैल तक रहेगा. इस बीच शादी विवाह के नोट नहीं बन रहा है.

रायपुर : दिपावली के 11 दिन बाद यानी आज पूरे भारत में देवउठनी एकादशी का पर्व मनाया जा रहा है. इसे छत्तीसगढ़ में जेठवनी नाम से भी जाना जाता है. परंपरा अनुसार आज के दिन भगवान विष्णु चार महीने के शयनकाल के बाद जागते हैं. इसी के साथ आज चतुर्मास का अंत हो जाता है. इसी अनुरूप में भगवान शालिग्राम और माता तुलसी का विवाह होता है. इसके साथ ही शादी विवाह जैसे मांगलिक कार्य शुरू हो जाते हैं.

4 महीने बाद अब गूंजेगी शहनाई, जानिए देवउठनी एकादशी पर अबूझ मुहूर्त
परम्परा के अनुसार आज का दिन इसलिए भी खास है क्योंकि आज ही के दिन सभी शुभ कामों की शुरुआत की जाती है. साथ ही गन्ने का भी आज विशेष महत्व होता है. एकादशी की पूजा के लिए गन्ना सबसे अनिवार्य फल है. देवउठनी एकादशी के लिए गन्ने से ही मंडप तैयार किया जाता है फिर विधि-विधान से पूजा-पाठ की जाती है.

'किसान 8 महीने पहले से करते हैं तैयारी'
आज के दिन तुलसी चौरा के आस-पास 4 गन्नों से मंडप सजाया जाता है. देवउठनी एकादशी से ही सारे मांगलिक कार्य जैसे विवाह, गृह प्रवेश आदि प्रारंभ हो जाते है. देवउठनी की तैयारी किसान 8 महीने पहले से करते हैं.

'भगवान विष्‍णु के चरणों की आकृति'
ऐसी मान्यता है कि एकादशी के दिन सुबह-सवेरे उठकर स्‍नान के बाद घर के आंगन में भगवान विष्‍णु के चरणों की आकृति बनाई जाती हैं. इसके बाद तुलसी चौरा के पास फल, मिठाई, सिंघाड़े और गन्‍ना रखा जाता है और विशेष पूजा-अर्चना की जाती है. रात के समय घर के बाहर और पूजा स्‍थल पर दीपक जलाए जाते हैं. इस दिन भगवान विष्‍णु समेत सभी देवताओं की पूजा की जाती है.

शुभ मुहुर्त
पंडित अरुणेश शर्मा ज्योतिषाचार्य के अनुसार देवउठनी एकादशी का विशेष महत्व है. इस तिथि पर निर्जला व्रत रखना विशेष फलदाई है. तुलसी चौरा पर गन्ने का मंडप सजा कर दंपति भगवान शालिग्राम और माता तुलसी की सात फेरे लेंगे. आतिशबाजी के बीच विवाह संपन्न कर उत्सव मनाए जाएंगे.

दोपहर 12:24 बजे के बाद कर सकते हैं पूजा

देवउठनी एकादशी के मुहूर्त के बारे में ज्योतिषाचार्य का कहना है कि दोपहर 12:24 में भद्रा निकलने के बाद शाम को भी पूजा की जा सकती है.

इन तारीखों पर होगी शादी
शादियों का मुहूर्त 19, 20, 22, 23, 28 नवंबर और दिसंबर में केवल 11 और 12 तारीख को विवाह मुहूर्त है. इसके बाद खरमास पक्ष 16 दिसंबर से शुरू हो रहा है. जिसमें शुभ काम नहीं होंगे.
वहीं सूर्य जब अपने गुरुगृह राशि में प्रवेश करेंगे, तब जनवरी में 15, 18, 20, 29, 30 और 31 जनवरी को विवाह मुहूर्त है.

फरवरी में 3, 4, 9, 10, 12, 15, 16, 25, 26, 27 को विवाह मुहूर्त है. मार्च में 9, 10, 11 फिर 14 मार्च को से सूर्य का मीन राशि में प्रवेश होकर 15 अप्रैल तक रहेगा. इस बीच शादी विवाह के नोट नहीं बन रहा है.

Intro:रायपुर छोटी दीवाली पर 8 नवंबर को चतुर्मास काल के बाद कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि पर देवता जागेंगे छोटी दीवाली के रूप में देवउठनी एकादशी पर भगवान शालिग्राम और माता तुलसी का तुलसी चौरा पर विवाह संपन्न होगा इसके साथ ही शादी विवाह जैसे मांगलिक कार्य प्रारंभ होंगे दिवाली के बाद इस तिथि पर बाजारों में भी रौनक लौटेगी


Body:पंडित अरुणेश शर्मा ज्योतिषाचार्य के अनुसार देवउठनी एकादशी का विशेष महत्व है इस तिथि पर निर्जला व्रत रखना विशेष फलदाई है तुलसी चौरा पर गन्ने का मंडप सजा कर दंपत्ति भगवान शालिग्राम और माता तुलसी की सात फेरे लेंगे आतिशबाजी के बीच विवाह संपन्न कर उत्सव मनाए जाएंगे ।


Conclusion:घर-घर पटाखे फोड़े जाएंगे स्थिति पर अबूझ मुहूर्त होने से सभी प्रकार के मांगलिक कार्य संपन्न किए जा सकेंगे देवउठनी एकादशी के मुहूर्त के बारे में ज्योतिषाचार्य का कहना है कि दोपहर 12:24 में भद्रा निकलने के बाद शाम को भी पूजा की जा सकती है। शादियों का मुहूर्त नवंबर और दिसंबर में 19 20 22 23 28 नवंबर और दिसंबर में केवल 11 और 12 तारीख को विवाह मुहूर्त है फिर खरमास 16 दिसंबर से खरमास प्रारंभ होने से शुभ मुहूर्त नहीं है ज्योतिषाचार्य के अनुसार सूर्य जब अपने गुरुगृह राशि में प्रवेश कर 14 जनवरी तक रहेगा जनवरी में 15 18 20 29 30 और 31 जनवरी को विवाह मुहूर्त है फरवरी में 3 4 9 10 12 15 16 25 26 27 को विवाह मुहूर्त है मार्च में 9 10 11 फिर 14 मार्च को से सूर्य का मीन राशि में प्रवेश होकर 15 अप्रैल तक रहेगा इस बीच शादी विवाह के नोट नहीं बन रहा है


बाइट पंडित अरुणेश शर्मा ज्योतिषाचार्य


रितेश कुमार तम्बोली ईटीवी भारत रायपुर
Last Updated : Nov 8, 2019, 12:47 PM IST
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